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'''कोडिनार''' या 'कोडिनारक' [[सौराष्ट्र]], [[गुजरात]] के [[ऐतिहासिक स्थान|ऐतिहासिक स्थानों]] में से एक है। कहा जाता है कि प्राचीन [[द्वारका]] वर्तमान कोडिनार नामक स्थान पर स्थित थी। आजकल कोडिनार, [[काठियावाड़]] के समुद्र तट पर स्थित एक छोटा-सा बंदरगाह है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=232|url=}}</ref> | '''कोडिनार''' या 'कोडिनारक' [[सौराष्ट्र]], [[गुजरात]] के [[ऐतिहासिक स्थान|ऐतिहासिक स्थानों]] में से एक है। कहा जाता है कि प्राचीन [[द्वारका]] वर्तमान कोडिनार नामक स्थान पर स्थित थी। आजकल कोडिनार, [[काठियावाड़]] के समुद्र तट पर स्थित एक छोटा-सा बंदरगाह है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=232|url=}}</ref> | ||
− | *कोडिनार का [[जैन]] ग्रंथ 'विविधतीर्थकल्प' में भी उल्लेख है। इस नगर के 'सोभ' नामक | + | *कोडिनार का [[जैन]] ग्रंथ 'विविधतीर्थकल्प' में भी उल्लेख है। इस नगर के 'सोभ' नामक विद्वान् एवं तपस्वी [[ब्राह्मण]] की कथा इस प्रसंग में वर्णित है। |
*कोडिनारक या कोडिनार [[गिरनार पर्वत]] के निकट स्थित है।<ref>मुनि चरितविजय रचित विहार दर्शन-पृ. 229</ref> | *कोडिनारक या कोडिनार [[गिरनार पर्वत]] के निकट स्थित है।<ref>मुनि चरितविजय रचित विहार दर्शन-पृ. 229</ref> | ||
*जैन स्त्रोत 'तीर्थमाला चैत्यवंदन' में भी कोडिनार का उल्लेख इस प्रकार है- | *जैन स्त्रोत 'तीर्थमाला चैत्यवंदन' में भी कोडिनार का उल्लेख इस प्रकार है- |
14:28, 6 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
कोडिनार या 'कोडिनारक' सौराष्ट्र, गुजरात के ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। कहा जाता है कि प्राचीन द्वारका वर्तमान कोडिनार नामक स्थान पर स्थित थी। आजकल कोडिनार, काठियावाड़ के समुद्र तट पर स्थित एक छोटा-सा बंदरगाह है।[1]
- कोडिनार का जैन ग्रंथ 'विविधतीर्थकल्प' में भी उल्लेख है। इस नगर के 'सोभ' नामक विद्वान् एवं तपस्वी ब्राह्मण की कथा इस प्रसंग में वर्णित है।
- कोडिनारक या कोडिनार गिरनार पर्वत के निकट स्थित है।[2]
- जैन स्त्रोत 'तीर्थमाला चैत्यवंदन' में भी कोडिनार का उल्लेख इस प्रकार है-
'कोडिनारक मंत्रिदाहडपुरे श्री मंडपेचाबुंदे।'
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