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'''कौआ''' एक पक्षी है। [[राजस्थानी भाषा|राजस्थानी]] में इसे कागला तथा [[मारवाड़ी भाषा]]| में हाडा कहा जाता है। यह एक कबूतर के आकार का काला पक्षी है जो कर्ण कर्कश ध्वनि काँव-काँव करता है और बहुत उद्दंड, धूर्त तथा चालाक होता है।
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'''कौआ''' एक पक्षी है। [[राजस्थानी भाषा|राजस्थानी]] में इसे कागला तथा [[मारवाड़ी भाषा]] में हाडा कहा जाता है। यह एक कबूतर के आकार का काला पक्षी है जो कर्ण कर्कश ध्वनि काँव-काँव करता है और बहुत उद्दंड, धूर्त तथा चालाक होता है।
 
==प्रजातियाँ==  
 
==प्रजातियाँ==  
 
कौए की छः प्रजातियाँ [[भारत]] में मिलती हैं। [[सालिम अली]] ने हैन्डबुक में दो का ही जिक्र किया है- एकजंगली कौआ (कोर्वस मैक्रोरिन्कोस) तथा दूसरा घरेलू कौआ ( कोर्वस स्प्लेन्ड़ेंस)। पहला तो पूरा काला कलूटा किस्म वाला है दूसरा गले में एक भूरी पट्टी लिए  होता है। शायद इसी को देखकर [[तुलसीदास]] ने काग भुशुंडि नामके अमर मानस पात्र की संकल्पना की हो, जिसके गले में कंठी माला सी पडी है।
 
कौए की छः प्रजातियाँ [[भारत]] में मिलती हैं। [[सालिम अली]] ने हैन्डबुक में दो का ही जिक्र किया है- एकजंगली कौआ (कोर्वस मैक्रोरिन्कोस) तथा दूसरा घरेलू कौआ ( कोर्वस स्प्लेन्ड़ेंस)। पहला तो पूरा काला कलूटा किस्म वाला है दूसरा गले में एक भूरी पट्टी लिए  होता है। शायद इसी को देखकर [[तुलसीदास]] ने काग भुशुंडि नामके अमर मानस पात्र की संकल्पना की हो, जिसके गले में कंठी माला सी पडी है।
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विशेषज्ञ बताते हैं कि कौवों का दिमाग लगभग उसी तरीके से काम करता है, जैसे चिम्पैन्जी और मानव का। वे लोगों की नज़र में अछूत हैं पर इतने चतुर-चालाक कि चेहरा देखकर ही जान लेते हैं कि कौन खुराफाती है और कौन दोस्त हो सकता है। कौवे अपनी चतुराई दिखाने में वे लाजवाब होते हैं। वैज्ञानिक इनको उम्दा चतुर पक्षियों में इसलिए गिनते हैं, क्योंकि इन्होंने ऐसे तमाम इम्तिहान पास किये हैं, जिनमें दूसरे पक्षी पास नहीं कर पाते। इस्राइली कौवों की कुछ प्रजातियों को तो इतना प्रशिक्षित कर लिया जाता है कि वे मछलियां पकड़ने के लिए ब्रेड के टुकड़ों को सही जगह ले जाने का काम निपटा देते हैं। अमरीकी यूनिवर्सिटी ऑफ़ वाशिंगटन के शोधकर्ताओं का कहना है कि वे खुद के लिए खतरा पैदा करने वाले चेहरे को पांच साल तक याद रख सकते हैं।
 
विशेषज्ञ बताते हैं कि कौवों का दिमाग लगभग उसी तरीके से काम करता है, जैसे चिम्पैन्जी और मानव का। वे लोगों की नज़र में अछूत हैं पर इतने चतुर-चालाक कि चेहरा देखकर ही जान लेते हैं कि कौन खुराफाती है और कौन दोस्त हो सकता है। कौवे अपनी चतुराई दिखाने में वे लाजवाब होते हैं। वैज्ञानिक इनको उम्दा चतुर पक्षियों में इसलिए गिनते हैं, क्योंकि इन्होंने ऐसे तमाम इम्तिहान पास किये हैं, जिनमें दूसरे पक्षी पास नहीं कर पाते। इस्राइली कौवों की कुछ प्रजातियों को तो इतना प्रशिक्षित कर लिया जाता है कि वे मछलियां पकड़ने के लिए ब्रेड के टुकड़ों को सही जगह ले जाने का काम निपटा देते हैं। अमरीकी यूनिवर्सिटी ऑफ़ वाशिंगटन के शोधकर्ताओं का कहना है कि वे खुद के लिए खतरा पैदा करने वाले चेहरे को पांच साल तक याद रख सकते हैं।
 
====संदेश वाहक====
 
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[[चित्र:Red-Billed-Chough.jpg|thumb|[[डोम कौवा]]]]
 
पूर्वी एशिया में कौवों को किस्मत से जोड़ा जाता है तो अपने यहां मुंडेर पर बैठकर कांव-कांव करने वाले कौवे को संदेश-वाहक भी माना जाता है। कुछ कौवे कमजोर पड़वों को ताजा मांस खाने के लोभ में मार तक देते हैं। भूरे गले वाले कौवे फसलें तबाह करने में अव्वल होते हैं। आइरिश कौवों को युद्ध और मृत्यु की देवी से जोड़ते हैं। ऑस्ट्रेलियाई इनको संस्कृति नायक के तौर पर देखते हैं। [[भारत]] में कौवे का सिर पर बैठना बुरा माना जाता है और इसको टोने के रूप में प्रचारित किया जाता है। योग वशिष्ठ में काक भुसुंडी की चर्चा है, [[रामायण]] में भी [[सीता]] माता के पांव पर कौवे के चोंच मारने का प्रसंग है।  
 
पूर्वी एशिया में कौवों को किस्मत से जोड़ा जाता है तो अपने यहां मुंडेर पर बैठकर कांव-कांव करने वाले कौवे को संदेश-वाहक भी माना जाता है। कुछ कौवे कमजोर पड़वों को ताजा मांस खाने के लोभ में मार तक देते हैं। भूरे गले वाले कौवे फसलें तबाह करने में अव्वल होते हैं। आइरिश कौवों को युद्ध और मृत्यु की देवी से जोड़ते हैं। ऑस्ट्रेलियाई इनको संस्कृति नायक के तौर पर देखते हैं। [[भारत]] में कौवे का सिर पर बैठना बुरा माना जाता है और इसको टोने के रूप में प्रचारित किया जाता है। योग वशिष्ठ में काक भुसुंडी की चर्चा है, [[रामायण]] में भी [[सीता]] माता के पांव पर कौवे के चोंच मारने का प्रसंग है।  
 
====कमाल की याददाश्त====
 
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*[http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%95%E0%A5%8C%E0%A4%8F-%E0%A4%97%E0%A4%A2%E0%A4%BC%E0%A5%80-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%9A%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AA/%E0%A4%95%E0%A5%8C%E0%A4%8F-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%97%E0%A4%A2%E0%A4%BC%E0%A5%80-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%9A%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AA-%E0%A4%95%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A5%87%E0%A4%82-1080925035_1.htm कौए पर गढ़ी दिलचस्प कहावतें ]
 
==संबंधित लेख==
 
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12:06, 11 अप्रैल 2013 का अवतरण

भारतीय कौआ

कौआ एक पक्षी है। राजस्थानी में इसे कागला तथा मारवाड़ी भाषा में हाडा कहा जाता है। यह एक कबूतर के आकार का काला पक्षी है जो कर्ण कर्कश ध्वनि काँव-काँव करता है और बहुत उद्दंड, धूर्त तथा चालाक होता है।

प्रजातियाँ

कौए की छः प्रजातियाँ भारत में मिलती हैं। सालिम अली ने हैन्डबुक में दो का ही जिक्र किया है- एकजंगली कौआ (कोर्वस मैक्रोरिन्कोस) तथा दूसरा घरेलू कौआ ( कोर्वस स्प्लेन्ड़ेंस)। पहला तो पूरा काला कलूटा किस्म वाला है दूसरा गले में एक भूरी पट्टी लिए  होता है। शायद इसी को देखकर तुलसीदास ने काग भुशुंडि नामके अमर मानस पात्र की संकल्पना की हो, जिसके गले में कंठी माला सी पडी है।

कौए के व्यवहार के रोचक पहलू

चतुर चंचल बुद्धि

विशेषज्ञ बताते हैं कि कौवों का दिमाग लगभग उसी तरीके से काम करता है, जैसे चिम्पैन्जी और मानव का। वे लोगों की नज़र में अछूत हैं पर इतने चतुर-चालाक कि चेहरा देखकर ही जान लेते हैं कि कौन खुराफाती है और कौन दोस्त हो सकता है। कौवे अपनी चतुराई दिखाने में वे लाजवाब होते हैं। वैज्ञानिक इनको उम्दा चतुर पक्षियों में इसलिए गिनते हैं, क्योंकि इन्होंने ऐसे तमाम इम्तिहान पास किये हैं, जिनमें दूसरे पक्षी पास नहीं कर पाते। इस्राइली कौवों की कुछ प्रजातियों को तो इतना प्रशिक्षित कर लिया जाता है कि वे मछलियां पकड़ने के लिए ब्रेड के टुकड़ों को सही जगह ले जाने का काम निपटा देते हैं। अमरीकी यूनिवर्सिटी ऑफ़ वाशिंगटन के शोधकर्ताओं का कहना है कि वे खुद के लिए खतरा पैदा करने वाले चेहरे को पांच साल तक याद रख सकते हैं।

संदेश वाहक

पूर्वी एशिया में कौवों को किस्मत से जोड़ा जाता है तो अपने यहां मुंडेर पर बैठकर कांव-कांव करने वाले कौवे को संदेश-वाहक भी माना जाता है। कुछ कौवे कमजोर पड़वों को ताजा मांस खाने के लोभ में मार तक देते हैं। भूरे गले वाले कौवे फसलें तबाह करने में अव्वल होते हैं। आइरिश कौवों को युद्ध और मृत्यु की देवी से जोड़ते हैं। ऑस्ट्रेलियाई इनको संस्कृति नायक के तौर पर देखते हैं। भारत में कौवे का सिर पर बैठना बुरा माना जाता है और इसको टोने के रूप में प्रचारित किया जाता है। योग वशिष्ठ में काक भुसुंडी की चर्चा है, रामायण में भी सीता माता के पांव पर कौवे के चोंच मारने का प्रसंग है।

कमाल की याददाश्त

अपनी याददाश्त के बल पर ये अपने लिए सुरक्षित रखे गए भोजन के बारे में भी याद रखते हैं, जिसको भूख लगने पर प्रयोग कर लेते हैं। अभी कुछ समय पहले ही नयी प्रजाति खोजी गई है, जो रोजमर्रा की जरूरत के अनुसार अपने औजारों को भी प्रयोग करती रहती है। ये खाना प्राप्त करने के लिए सूखी डंडी या पत्ती को चोंच के सहयोग से किसी चतुर की तरह इस्तेमाल करते हैं। यह भी देखा गया कि ये जोर से बंद नट्स को सड़क पर गिराकर किसी वाहन द्वारा उनको कुचल कर खोल दिए जाने का इंतजार भी करते हैं। ऑक्सफोर्ड विविद्यालय ने 2007 के अपने अध्ययन का नतीजा दिया था, जो न्यूकैलोडियन कौवों पर नन्हे कैमरे लगाकर पाए गए थे। पाया गया कि वे बहुत सी नयी चीजों को भी अपनी जरूरत पर औजार बना लेते हैं। खोदने, भुरभुरा या मुलायम करने, मोड़ने या कुछ मिलाकर नयी तरह का खाद्य तैयार करने में महारथी होते हैं। ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में ऐसे कौवों की प्रजाति भी मिली जो कैन को खोलकर ड्रिंक पी सकते हैं।[1]




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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हैरान कर देती है कौवे की बुद्धि (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) समय लाइव। अभिगमन तिथि: 11 अप्रॅल, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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