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'''गाडरमल मंदिर''' [[विदिशा]], [[मध्य प्रदेश]] से करीब 84 कि.मी. दूर है। हालांकि विदिशा से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। विदिशा से पठारी के लिए नियमित बसें चलती है, जिससे यात्री गाडरमल मंदिर पहुंच सकते हैं।<br />
 
'''गाडरमल मंदिर''' [[विदिशा]], [[मध्य प्रदेश]] से करीब 84 कि.मी. दूर है। हालांकि विदिशा से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। विदिशा से पठारी के लिए नियमित बसें चलती है, जिससे यात्री गाडरमल मंदिर पहुंच सकते हैं।<br />
 
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12:16, 17 जुलाई 2020 के समय का अवतरण

गाडरमल मंदिर, विदिशा

गाडरमल मंदिर विदिशा, मध्य प्रदेश से करीब 84 कि.मी. दूर है। हालांकि विदिशा से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। विदिशा से पठारी के लिए नियमित बसें चलती है, जिससे यात्री गाडरमल मंदिर पहुंच सकते हैं।

  • पठारी कस्बे में मध्य काल के कई मंदिरों के अवशेष देखे जा सकते हैं। इन सबके बीच गाडरमल मंदिर का महत्व सबसे ज्यादा है।
  • यह मंदिर अपनी ऊंचाई के कारण काफी दूर से ही दिखाई देता है। मंदिर में दो अलग-अलग बेसमेंट होने के कारण देखने पर ऐसा लगता है कि यह दो भाग में बंटा हुआ है। यह भी दिलचस्प है कि दोनों बेसमेंट दो अलग-अलग काल के मालूम पड़ते हैं।[1]
  • ऐसा माना जाता है कि गाडरमल मंदिर का संबंध 9वीं शताब्दी से है। ऐसा भी मानना है कि यहां आसपास में जैन और हिंदू मंदिरों के बिखरे पड़े अवशेषों से इस मंदिर को बनाया गया था।
  • गाडरमल मंदिर में प्रवेश द्वार तो है, पर प्रार्थना के लिए मुख्य कक्ष नहीं है।
  • इस मंदिर को देखकर ग्वालियर का ‘तेली का मंदिर’ याद आ जाता है।
  • गाडरमल मंदिर सात दूसरे तीर्थ स्थलों के खंडहर से घिरा हुआ है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गाडरमल मंदिर (हिंदी) nativeplanet.com। अभिगमन तिथि: 17 जुलाई, 2020।

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