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− | आप ही जानने योग्य परम अक्षर अर्थात् परम < | + | आप ही जानने योग्य परम अक्षर अर्थात् परम [[ब्रह्मा]]<ref>सर्वश्रेष्ठ पौराणिक त्रिदेवों में ब्रह्मा, [[विष्णु]] एवं [[शिव]] की गणना होती है। इनमें ब्रह्मा का नाम पहले आता है, क्योंकि वे विश्व के आद्य स्रष्टा, प्रजापति, पितामह तथा हिरण्यगर्भ हैं।</ref> परमात्मा हैं, आप ही इस जगत् के परम आश्रय हैं, आप ही अनादि धर्म के रक्षक हैं और आप ही अविनाशी सनातन पुरुष हैं। ऐसा मेरा मत है ।।18।। |
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+ | ==संबंधित लेख== | ||
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07:28, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-11 श्लोक-18 / Gita Chapter-11 Verse-18
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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