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09:15, 22 फ़रवरी 2011 का अवतरण

  • गुरुमुखी लिपि वह लिपि है, जिसमें सिक्खों का धर्मग्रन्थ 'ग्रन्थ साहब' लिखा हुआ है।
  • गुरु नानक के उत्तराधिकारी गुरु अंगद ने नानक के पदों के लिए गुरुमुखी लिपि को स्वीकार किया, जो ब्राह्मी से निकली थी और पंजाब में उनके समय में प्रचलित थी।
  • गुरुवाणी इसमें लिखी गई, इसलिए इसका नाम 'गुरुमुखी' पड़ गया।
  • वास्तव में 'गुरुमुखी' लिपि का नाम है, परन्तु भूल से लोग इसे भाषा भी समझ लेते हैं।
  • इस लिपि की वही वर्णमाला है, जो संस्कृत और भारत की अन्य प्रादेशिक भाषाओं की है।
  • इस समय पंजाबी भाषा को केवल सिक्ख लोग इस लिपि में लिखते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ