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*[[यकृत]] से पित्तवाहिनी तथा अग्न्याशय में अग्न्याशिक वाहिनी ग्रहणी के निचले भाग में आकर खुलती है। ये क्रमशः पित्तरस तथा अग्न्याशिक रस लाकर ग्रहणी में डालती हैं।  
 
*[[यकृत]] से पित्तवाहिनी तथा अग्न्याशय में अग्न्याशिक वाहिनी ग्रहणी के निचले भाग में आकर खुलती है। ये क्रमशः पित्तरस तथा अग्न्याशिक रस लाकर ग्रहणी में डालती हैं।  
 
*पीछे की ओर ग्रहणी मध्यान्त्र में खुलती है।  
 
*पीछे की ओर ग्रहणी मध्यान्त्र में खुलती है।  
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09:39, 4 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

ग्रहणी (अंग्रेज़ी:Duodenum) छोटी आन्त्र का लगभग 25 समी लम्बा अपेक्षाकृत कुछ मोटा और अकुण्डलित प्रारम्भिक भाग होता है। इस लेख में मानव शरीर से संबंधित उल्लेख है।

  • ग्रहणी आमाशय के पाइलोरस से प्रारम्भ होकर 'सी' की आकृति बनाता हुआ बाईं ओर को मुड़ा रहता है।
  • ग्रहणी की भुजाओं के बीच में मीसेन्ट्री द्वारा सधा हुआ गुलाबी सा अग्न्याशय होता है।
  • यकृत से पित्तवाहिनी तथा अग्न्याशय में अग्न्याशिक वाहिनी ग्रहणी के निचले भाग में आकर खुलती है। ये क्रमशः पित्तरस तथा अग्न्याशिक रस लाकर ग्रहणी में डालती हैं।
  • पीछे की ओर ग्रहणी मध्यान्त्र में खुलती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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