चन्द्रपुर

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चन्द्रपुर ज़िला महाराष्ट्र में स्थित है। यह ब्रिटिश शासन के दौरान चांद नाम से जाना जाता था। इस स्थान का प्राचीन नाम लोकपुरा भी था, जो आगे चलकर इन्दूर और उसके बाद चन्द्रपुर के नाम से जाना गया। इस जिले के प्राचीन स्थल वैरंगढ, कोसल, भद्रावती और मरकड हैं। चन्द्रपुर पर काफ़ी लंबे समय तक हिन्दू और बौद्ध राजाओं का शासन रहा है। बाद में गोंड राजाओं ने इस पर अधिकार कर लिया जिन्होंनें 1751 तक यहाँ शासन किया। बाद में इसे ब्रिटिश शासन में मिला लिया गया। पर्यटकों के देखने लायक यहाँ अनेक ऐतिहासिक मन्दिर और स्मारक हैं। साथ ही यहाँ के वन्यजीव अभ्यारण्‍य भी यहाँ आने वाले सैलानियों के आकर्षण का केंद्र होते हैं।

चन्द्रपुर के पर्यटन स्थल

श्री भद्रवती तीर्थ

चन्द्रपुर के भद्रावती में स्थित श्री भद्रवती तीर्थ के जैन मन्दिर पूरे जिले में प्रसिद्ध हैं। भगवान केसरिया जी पार्श्वनाथ इन मन्दिरों के मुख्य आराध्य देव हैं। उनकी काले रंग की प्रतिमा काफी आकर्षक है। मूर्ति अर्धपदमासन मुद्रा में स्थापित है। जिस की ऊंचाई 152 सेमी. के करीब है। भद्रवती गाँव के निकट एक खूबसूरत बगीचे में स्थित इस दो मंज़िला मन्दिर की मुख्य विशेषता चतुर्मुख मूर्ति है। मरकड महादेव मन्दिर- यह प्राचीन मन्दिर 12वीं शताब्दी में बना था, भगवान शिव को समर्पित है। इस मन्दिर का गर्भगृह सात रथ की आकृति से सुसज्जित है। इस मन्दिर का वास्तुशिल्प खजुराहो के मन्दिरों से काफ़ी मिलता-जुलता है। मरकड गए़चिरौली से 47 कि॰ मी॰ और नागपुर से करीब 177 कि॰ मी॰ की दूरी पर स्थित है। नागपुर से मरकड के लिए बसें चलती हैं।

नंगरगोटा

नंगरगोटा एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है जो पहाड़ी को काटकर बनाई गई गुफाओं के लिए चर्चित है। गुफ़ा में किसी प्रकार की कोई तस्वीर या चित्र नहीं हैं। लोग इस गुफा को देखकर दंग रह जाते हैं कि कैसे 350 फीट ऊंची गुफा को काटकर बनाया गया होगा। यह गुफा चन्द्रपुर के नगबीड में स्थित है।

गणेश मन्दिर

मन्दिर की वास्तुकला और मूर्तियाँ अपने आप में अद्वितीय हैं। भरमगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य- चन्द्रपुर जिले का यह वन्यजीव अभ्यारण्य 105 वर्ग कि॰ मी॰ क्षेत्र में फैला हुआ है। इस अभ्यारण्य में वन्यजीवों की विविध प्रजातियां पाई जाती हैं। तेंदुए, जंगली मुर्गा, वाइल्ड बोर, स्लोथ बीयर यहां मुख्यत: रुप से पाए जाते हैं। साथ ही बार्किंग डीयर, नीलगाय, मोर, उडने वाली गिलहरी आदि पशु-पक्षियों को भी यहां देखा जा सकता है। हिमलकासी लोक बिरादरी प्रोजेक्ट इस अभ्यारण्य के अन्तर्गत आता है।

चिपराला वन्यजीव अभ्यारण्य

शुष्क वनों से घिरा यह अभ्यारण्य 134 वर्ग कि॰मी॰ के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह अभ्यारण्य मुख्यत: बड़ी गिलहरियों के लिए जाना जाता है। साथ ही अनेक दुर्लभ पशु जैसे टाईगर, तेंदुए, जंगली बिल्ली, स्लोथ बीयर, जंगली कुत्ता आदि भी यहाँ देखे जा सकते हैं। अजगर और गोह जैसे सरीसृप भी यहाँ दिखाई देते हैं। फरवरी से मई का समय यहाँ आने के लिए उपयुक्त माना जाता है।

तरोबा राष्ट्रीय पार्क

यह राष्ट्रीय पार्क चन्द्रपुर से 45 कि॰मी॰ की दूरी पर है। कान्हा राष्ट्रीय पार्क से दक्षिण पश्चिम में स्थित इस राष्ट्रीय पार्क को टाईगर, तेंदुए, सांभर हिरन, वाइल्ड बोर, भेड़िए, गोर, चीतल, नीलगाय, दलदली मगरमच्छ और अनेक जलपक्षियों का घर माना जाता है। टीस और बांस के पेड़ इस पार्क की सुंदरता में वृद्धि करते हैं। नवंबर से जून का महीना यहां आने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। पार्क में ठहरने के लिए रेस्ट हाउस की उचित व्यवस्था है।

आनंदवन आश्रम

वरोरा नगर स्थित यह आश्रम प्रसिद्ध समाजसेवी बाबा आमटे की कर्मभूमि रही है। बाबा आमटे का जीवन कुष्ठरोगियों के लिए समर्पित रहा है। इस आश्रम में उनके पुनर्वास और देखभाल की उचित व्यवस्था की गई है। विदेशों से आने वाले पर्यटक यहां नियमि रूप से आते रहते हैं।

कैसे जाएं

वायु मार्ग

चन्द्रपुर का नजदीकी एयरपोर्ट नागपुर में डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर एयरपोर्ट है जो देश के अनेक शहरों से वायु मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।

रेल मार्ग

मुंबई-वर्धा-चन्द्रपुर रेल लाइन से महाराष्ट्र का यह ज़िला जुड़ा है। महाराष्ट्र और पडोसी राज्यों के अनेक शहरों से यहां के लिए नियमित रेलगाड़ियां हैं।

सड़क मार्ग

मुंबई-नासिक-चन्द्रपुर सड़क मार्ग चन्द्रपुर को महाराष्ट्र और देश के अन्य शहरों से जोड़ता है। राज्य परिवहन के अलावा अनेक निजी बसें चन्द्रपुर के लिए चलती हैं।

कहां ठहरें

चन्द्रपुर में ठहरने के लिए होटलों का अभाव है लेकिन चन्द्रपुर से 160 किमी. दूर नागपुर में ठहरने के लिए होटलों की उत्तम व्यवस्था है।