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{ ये कौन हैं? <br />
 
[[चित्र:Bhimsen-Joshi-3.jpg|link=||180px]]
 
| type="()" }
 
-[[रवि शंकर]]
 
-[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]]
 
-[[मोरारजी देसाई]]
 
+[[भीमसेन जोशी]]
 
||[[भारत रत्न]] सम्मानित पंडित भीमसेन जोशी (जन्म-[[14 फ़रवरी]], [[1922]], गड़ग, [[कर्नाटक]] - मृत्यु- [[24 जनवरी]], [[2011]] [[पुणे]], [[महाराष्ट्र]]) किराना घराने के महत्त्वपूर्ण शास्त्रीय गायक हैं। उन्होंने 19 साल की उम्र से गायन शुरू किया था और वह सात दशकों तक शास्त्रीय गायन करते रहे। भीमसेन जोशी ने [[कर्नाटक]] को गौरवान्वित किया है। भारतीय [[संगीत]] के क्षेत्र में इससे पहले एम. एस. सुब्बालक्ष्मी, [[बिस्मिल्ला ख़ान|उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ान]], [[रवि शंकर|पंडित रविशंकर]] और [[लता मंगेशकर]] को 'भारत रत्न' से सम्मानित किया जा चुका है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भीमसेन जोशी]]
 
 
{ ये कौन-से [[भारत के पुष्प|फूल]] है? <br />
 
[[चित्र:Tobacco-Flower.jpg|link=||250px]]
 
| type="()" }
 
-[[कनेर]]
 
-[[कमल]]
 
-[[सदाबहार]]
 
+[[तम्बाकू]]
 
||तम्बाकू के फूलों को तोड़ना अति आवश्यक है, नहीं तो पत्ते हलके पड़ जाएँगे और फलस्वरूप उपज कम हो जाएगी तथा पत्तियों के गुणों में भी कमी आ जाएगी। फूल तोड़ने के बाद पत्तियों के बीच की सहायक कलियों से पत्तियाँ निकलने लगती हैं, उनको भी समयानुसार तोड़ते रहना चाहिए। बीज के लिये छोड़े जाने वाले पौधों के फूलों को नहीं तोड़ना चाहिए। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तम्बाकू]]
 
 
{यह कौन-सा मन्दिर है? <br />
 
[[चित्र:Durga-Temple-Aihole.jpg|link=||300px]]
 
| type="()" }
 
-[[सूर्य मन्दिर कोणार्क|सूर्य मन्दिर]], [[कोणार्क]]
 
+दुर्गा मन्दिर, [[ऐहोल]]
 
-खजुराहो मन्दिर, [[खजुराहो]]
 
-विरुपाक्ष मन्दिर, [[हम्पी]]
 
||दुर्गा मन्दिर सम्भवतः छठी [[सदी]] का है। यह मन्दिर बौद्ध चैत्य को ब्राह्मण धर्म के मन्दिर के रूप में उपयोग में लाने का एक प्रयोग है। इस मन्दिर का ढाँचा अर्द्धवृत्ताकार है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ऐहोल]]
 
 
{निम्न में से यह कौन-सी कढ़ाई है? <br />
 
[[चित्र:Kimkhab brocades.gif|link=||180px]]
 
| type="()" }
 
+[[किमखाब]]
 
-चिकन की कढ़ाई
 
-कश्मीरी कढ़ाई
 
-ब्रोकेड
 
||किमखाब एक प्रकार की कढ़ाई होती है जो [[ज़री]] और रेशम से की जाती है। बनारसी साड़ियों के पल्लू, बार्डर (किनारी) पर मुख्यत: इस प्रकार की कढ़ाई की जाती है। इस कढ़ाई में रेशम के कपडे का प्रयोग किया जाता है। इसका धागा विशेष रूप से [[सोना|सोने]] या [[चाँदी]] के तार से बनाया जाता है। [[लोहा|लोहे]] की प्लेट में छेद करके महीन से महीन तार तैयार किया जाता है। सोने के तार को 'कलाबत्तू' कहा जाता है और किमखाब की क़ीमत भी इस सोने या चाँदी के तार से निर्धारित होती है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[किमखाब]]
 
 
{यह कौन-सा [[स्तूप]] है? <br />
 
[[चित्र:Vaishali-Bihar.jpg|link=||300px]]
 
| type="()" }
 
-धमेख स्तूप, [[सारनाथ]]
 
-बुद्ध स्तूप, [[साँची]]
 
+आनन्द स्तूप, [[वैशाली]]
 
-[[बुद्ध|गौतम बुद्ध]] का समाधि स्तूप, [[कुशीनगर]]
 
||[[गंगा नदी|गंगा]] घाटी के नगर जो आज के बिहार एवं बंगाल प्रान्त के बीच सुशोभित हैं इनमें वैशाली का नाम आदर के साथ लिया जाता है। इस नगर का एक दूसरा नाम विशाला भी था। इसकी स्थापना महातेजस्वी विशाल नामक राजा ने की थी, जो भारतीय परम्परा के अनुसार [[इक्ष्वाकु]]-वंश में उत्पन्न हुए थे। इसकी पहचान मुजफ्फरपुर ज़िले में स्थित आधुनिक बसाढ़ से की जाती है। वहाँ के एक प्राचीन टीले को स्थानीय जनता अब भी 'राजा विशाल का गढ़' कहती है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[वैशाली]]
 
 
 
{यह कौन-सा महल है? <br />
 
{यह कौन-सा महल है? <br />
 
[[चित्र:Rana-Khumba-Palace-Chittorgarh-1.jpg|link=||300px]]
 
[[चित्र:Rana-Khumba-Palace-Chittorgarh-1.jpg|link=||300px]]
 
| type="()" }
 
| type="()" }
-जहाज़ महल, [[माण्डू]]
+
-[[जहाज़ महल]], [[माण्डू]]
 
+राणा कुंभा का महल, [[चित्तौड़गढ़]]
 
+राणा कुंभा का महल, [[चित्तौड़गढ़]]
 
-जहाँगीर महल, [[ओरछा]]
 
-जहाँगीर महल, [[ओरछा]]
 
-[[प्राग महल]], [[कच्छ]]
 
-[[प्राग महल]], [[कच्छ]]
||चित्तौड़ के अन्य उल्लेखनीय स्थान हैं—शृंगार चवरी, कालिका मन्दिर, तुलजा भवानी, अन्नपूर्णा, नीलकंठ, शतविंश देवरा, मुकुटेश्वर, सूर्यकुंड, चित्रांगद-तड़ाग तथा पद्मिनी, जयमल, पत्ता और हिंगलु के महल। प्राचीन [[संस्कृत साहित्य]] में चित्तौड़ का चित्रकोट नाम मिलता है। चित्तौड़ इसी का अपभ्रंश हो सकता है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[चित्तौड़गढ़]]  
+
||[[चित्तौड़]] के अन्य उल्लेखनीय स्थान हैं—श्रृंगार चवरी, कालिका मन्दिर, तुलजा भवानी, अन्नपूर्णा, नीलकंठ, शतविंश देवरा, मुकुटेश्वर, सूर्यकुंड, चित्रांगद-तड़ाग तथा पद्मिनी, जयमल, पत्ता और हिंगलु के महल। प्राचीन [[संस्कृत साहित्य]] में चित्तौड़ का चित्रकोट नाम मिलता है। चित्तौड़ इसी का अपभ्रंश हो सकता है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[चित्तौड़गढ़]]  
  
 
{यह कौन-सा [[मुग़ल]] शासक है? <br />
 
{यह कौन-सा [[मुग़ल]] शासक है? <br />
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||1526 में ई. [[पानीपत]] के प्रथम युद्ध में [[दिल्ली सल्तनत]] के अंतिम वंश ([[लोदी वंश]]) के सुल्तान [[इब्राहीम लोदी]] की पराजय के साथ ही [[भारत]] में [[मुग़ल वंश]] की स्थापना हो गई। इस वंश का संस्थापक "ज़हीरुद्दीन मुहम्मद बाबर" था। बाबर का पिता 'उमर शेख़ मिर्ज़ा', '[[फ़रग़ना]]' का शासक था, जिसकी मृत्यु के बाद बाबर राज्य का वास्तविक अधिकारी बना। पारिवारिक कठिनाईयों के कारण वह मध्य [[एशिया]] के अपने पैतृक राज्य पर शासन नहीं कर सका। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बाबर]]  
 
||1526 में ई. [[पानीपत]] के प्रथम युद्ध में [[दिल्ली सल्तनत]] के अंतिम वंश ([[लोदी वंश]]) के सुल्तान [[इब्राहीम लोदी]] की पराजय के साथ ही [[भारत]] में [[मुग़ल वंश]] की स्थापना हो गई। इस वंश का संस्थापक "ज़हीरुद्दीन मुहम्मद बाबर" था। बाबर का पिता 'उमर शेख़ मिर्ज़ा', '[[फ़रग़ना]]' का शासक था, जिसकी मृत्यु के बाद बाबर राज्य का वास्तविक अधिकारी बना। पारिवारिक कठिनाईयों के कारण वह मध्य [[एशिया]] के अपने पैतृक राज्य पर शासन नहीं कर सका। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बाबर]]  
  
{यह किस धर्म का प्रतीक है? <br />
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{यह किस [[धर्म]] का प्रतीक है? <br />
 
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-[[बौद्ध धर्म]]
 
-[[बौद्ध धर्म]]
 
+[[जैन धर्म]]
 
+[[जैन धर्म]]
||जैन धर्म [[भारत]] की श्रमण परम्परा से निकला [[धर्म]] और दर्शन है। 'जैन' उन्हें कहते हैं, जो 'जिन' के अनुयायी हों । 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने-जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं 'जिन'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान्‌ का धर्म। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जैन धर्म]]  
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||जैन धर्म [[भारत]] की श्रमण परम्परा से निकला [[धर्म]] और दर्शन है। 'जैन' उन्हें कहते हैं, जो 'जिन' के अनुयायी हों । 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने-जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं 'जिन'। जैन धर्म अर्थात् 'जिन' भगवान्‌ का धर्म। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जैन धर्म]]  
  
 
{निम्न में से यह किस का मक़बरा है? <br />
 
{निम्न में से यह किस का मक़बरा है? <br />
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-[[हुमायूँ का मक़बरा]], [[दिल्ली]]  
 
-[[हुमायूँ का मक़बरा]], [[दिल्ली]]  
+एतमादुद्दौला का मक़बरा, [[आगरा]]  
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+[[एतमादुद्दौला का मक़बरा]], [[आगरा]]  
 
-[[बीबी का मक़बरा]], [[औरंगाबाद महाराष्ट्र|औरंगाबाद]]
 
-[[बीबी का मक़बरा]], [[औरंगाबाद महाराष्ट्र|औरंगाबाद]]
 
-ग़यासुद्दीन तुग़लक़ का मक़बरा, [[तुग़लकाबाद]]
 
-ग़यासुद्दीन तुग़लक़ का मक़बरा, [[तुग़लकाबाद]]
||पर्सी ब्राउन के अनुसार, ‘[[आगरा]] में [[यमुना नदी]] के तट पर स्थित एतमादुद्दौला का मक़बरा अकबर एवं [[शाहजहाँ]] की शैलियों के मध्य एक कड़ी है। इस मक़बरे का निर्माण 1626 ई. में [[नूरजहाँ]] ने करवाया। मुग़लकालीन वास्तुकला के अन्तर्गत निर्मित यह प्रथम ऐसी इमारत है, जो पूर्ण रूप से बेदाग़ [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] संगमरमर से निर्मित है। सर्वप्रथम इसी इमारत में ‘पित्रादुरा’ नाम का जड़ाऊ काम किया गया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला#एतमादुद्दौला का मक़बरा|एतमादुद्दौला का मक़बरा]]  
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||पर्सी ब्राउन के अनुसार, ‘[[आगरा]] में [[यमुना नदी]] के तट पर स्थित एतमादुद्दौला का मक़बरा अकबर एवं [[शाहजहाँ]] की शैलियों के मध्य एक कड़ी है। इस मक़बरे का निर्माण 1626 ई. में [[नूरजहाँ]] ने करवाया। मुग़लकालीन वास्तुकला के अन्तर्गत निर्मित यह प्रथम ऐसी इमारत है, जो पूर्ण रूप से बेदाग़ [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] संगमरमर से निर्मित है। सर्वप्रथम इसी इमारत में ‘पित्रादुरा’ नाम का जड़ाऊ काम किया गया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[एतमादुद्दौला का मक़बरा]]  
  
 
{ये कौन हैं? <br />
 
{ये कौन हैं? <br />
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-[[राजेन्द्र प्रसाद]]
 
-[[राजेन्द्र प्रसाद]]
 
-[[गुलज़ारीलाल नन्दा]]
 
-[[गुलज़ारीलाल नन्दा]]
|| डा. ज़ाकिर हुसैन का जन्म [[हैदराबाद]], [[आंध्र प्रदेश]] के धनाढ्य पठान परिवार में हुआ था। कुछ समय बाद इनके पिता [[उत्तर प्रदेश]] में रहने आ गये थे। केवल 23 वर्ष की अवस्था में वे 'जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय' की स्थापना दल के सदस्य बने। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[डॉ. ज़ाकिर हुसैन]]
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|| डॉ. ज़ाकिर हुसैन का जन्म [[हैदराबाद]], [[आंध्र प्रदेश]] के धनाढ्य पठान परिवार में हुआ था। कुछ समय बाद इनके पिता [[उत्तर प्रदेश]] में रहने आ गये थे। केवल 23 वर्ष की अवस्था में वे 'जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय' की स्थापना दल के सदस्य बने। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[डॉ. ज़ाकिर हुसैन]]
  
 
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