ज़बान बिगड़ना

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ज़बान बिगड़ना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ-

  1. अस्वस्थता, रुग्णता आदि के कारण मुँह का स्वाद बिगड़ना।
  2. बढ़िया-बढ़िया और चटपटी चीज़ें खाने का चस्का पड़ना।
  3. मुँह से अपअशब्द निकलना।

प्रयोग- विवेक का तो दिल्ली आकर खाने का स्वाद ही बदल गया है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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