एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।

ट्रैंसिलवेनिया

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

ट्रैंसिलवेनिया एक बड़ा प्रदेश है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 37,318.4 वर्ग किलोमीटर है। रूमेनियाँ देश में यह अपनी अद्वितीय भौगोलिक इकाई के लिये प्रसिद्ध है। यह अंग्रेज़ी के 'डी' अक्षर की भूम्याकृति वाला और चारों ओर से पर्वतीय श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है। इसके उत्तर तथा पूर्व में कार्पेथियन, दक्षिण में ट्रैंसिलवेनिया आल्प्स की बहिर्वर्ती श्रृंखलाएँ हैं। ट्रैंसिलवेनिया आल्प्स एक पर्वतीय भाग है, जो मध्य रूमेनिया में पश्चिम से पूर्व को फैला हुआ है। ट्रैंसिलवेनिया इसके उत्तर में है।[1]

इतिहास

103 ईसवी के बाद से ही ट्रैंसिलवेनिया का विस्तृत इतिहास उपलब्ध होता है। उस समय यह रोम के 'डैसिया' नामक प्रांत का एक भाग था। चौथी शती के बाद बहुत दिनों तक यहाँ भिन्न-भिन्न जातियों और वर्गों के लोग बसते उजड़ते रहे। 1003 ईसवी में हंगरी के शासक स्टीफेन प्रथम ने ट्रैंसिलवेनिया पर अधिकार किया। 16वीं शती में मध्य हंगरी पर तुर्कों की विजय के साथ ट्रैंसिलवेनिया स्वतंत्र हो गया। स्वतंत्रता और अभ्युदय के काल में यहाँ स्टीफेन बाथराय, गैब्रिएल बैथलेन और जार्ज राकोजी जैसे कुशल सम्राट हुए। 17वीं शती में यह पुन: हंगरी में सम्मिलित हो गया।

1867 में ऑस्ट्रिया और हंगरी के बीच संधि हुई, जिसके अनुसार ट्रैंसिलवेनिया हंगरी का ही एक भाग मान लिया गया। आगे चलकर रूमेनिया के जागरण काल में वहाँ के प्रबुद्ध नागरिकों ने कार्पेथियन पर्वत के पार भी अधिकार का दावा किया। पहले विश्वयुद्ध में मित्र राष्ट्रों ने रूमेनिया को ट्रैंसिलवेनिया दिला देने का वचन दिया (1916)। 1920 में ट्रायनन की संधि में यह वचन पूरा भी कर दिया गया, किंतु हंगरी ने इस निर्णय पर आपत्ति की। अगस्त, 1940 में जर्मनी और इटली ने इस प्रदेश का उत्तरी क्षेत्र बलात्‌ हंगरी को सौंप दिया। मित्र राष्ट्रों और रूमेनिया तथा हंगरी के बीच क्रमश: 1944 और 1945 में युद्धविराम संधियाँ हुईं, जिनके अनुसार ट्रैंसिलवेनिया पुन: रूमेनिया को दे दिया गया।[1]

निवासी

यहाँ के निवासियों में 58 प्रतिशत रूमेनियाई और 28 प्रतिशत हंगेरियाई हैं। दूसरे महायुद्ध के पूर्व यहाँ जर्मन और यहूदी बहुसंख्यक थे। लेकिन युद्ध ने उनकी संख्या घटा दी। रूमेनियाई आर्थोडाक्स, यूनियनिस्ट, रोमन कैथोलिक, कैल्विनिस्ट, लूथरन और यूनिटेरियन आदि धर्मावलंबी इस छोटे से क्षेत्र में रहते है।

व्यवसाय, खाद्यान्न तथा खनिज

पहाड़ियों से घिरे हुए इस पठारी प्रदेश का मुख्य व्यवसाय कृषि तथा पशुपालन है। खाद्यान्नों के अतिरिक्त आलू तथा अलसी यहाँ की प्रमुख पैदावार हैं। स्वर्ण, ताम्र, राँगा, लोह, कोयला प्राकृतिक गैस तथा नमक मुख्य खनिज पदार्थ हैं। यहाँ पर कुछ बड़े तथा बहुत-से लघु उद्योग धंधे भी प्रगति कर रहे हैं।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 ट्रैंसिलवेनिया (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 03 सितम्बर, 2014।

संबंधित लेख