"डाक टिकटों में महात्मा गाँधी" के अवतरणों में अंतर

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1979 में जारी किया गया डाक-टिकट में बापू को बच्चे से स्नेह करते हुए दर्शाया गया है। यह चित्र महात्मा गांधी का बच्चों के प्रति प्रेम को दर्शाता है।
 
1979 में जारी किया गया डाक-टिकट में बापू को बच्चे से स्नेह करते हुए दर्शाया गया है। यह चित्र महात्मा गांधी का बच्चों के प्रति प्रेम को दर्शाता है।
 
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15:30, 13 नवम्बर 2010 का अवतरण

डाक टिकटों में महात्मा गाँधी
Mahatma-Gandhi.jpg
पूरा नाम मोहन दास करमचंद गाँधी
अन्य नाम महात्मा गाँधी, बापू, महात्मा जी
जन्म 2 अक्तूबर 1869
जन्म भूमि पोरबंदर, काठियावाड़, गुजरात, भारत
मृत्यु 30 जनवरी 1948 (78 वर्ष की आयु में)
मृत्यु स्थान नई दिल्ली, भारत
मृत्यु कारण हत्या (नाथूराम गोडसे ने किया)
पति/पत्नी कस्तूरबा गाँधी
संतान हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास
क़ब्र राजघाट, नई दिल्ली, भारत
नागरिकता भारतीय, हिन्दू
प्रसिद्धि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
पार्टी भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस
शिक्षा बैरिस्टर, युनिवर्सिटी कॉलिज, लंदन
विद्यालय बंबई यूनिवर्सिटी, सामलदास कालेज
भाषा हिन्दी, अंग्रेज़ी
पुरस्कार-उपाधि राष्ट्रपिता
विशेष योगदान भारत की स्वतन्त्रता, अहिंसक आन्दोलन, सत्याग्रह

राष्ट्रपिता मोहन दास करमचंद गाँधी


महात्मा गाँधी और विश्व

महात्मा गाँधी

विश्व पटल पर महात्मा गाँधी सिर्फ एक नाम नहीं अपितु शान्ति और अहिंसा का प्रतीक है। महात्मा गाँधी के पूर्व भी शान्ति और अहिंसा की अवधारणा फलित थी, परन्तु उन्होंने जिस प्रकार सत्याग्रह एवं शान्ति व अहिंसा के रास्तों पर चलते हुये अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया, उसका कोई दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में देखने को नहीं मिलता। तभी तो प्रख्यात वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था कि -‘‘हजार साल बाद आने वाली नस्लें इस बात पर मुश्किल से विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई इन्सान धरती पर कभी आया था।’’ संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी वर्ष 2007 से गाँधी जयन्ती को ‘विश्व अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाये जाने की घोषणा की .

महात्मा गाँधी दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय राजनेताओं / व्यक्तित्व में से हैं. यही कारण है कि प्राय: अधिकतर देशों ने उनके सम्मान में डाक-टिकट जारी किये हैं. देश विदेश के टिकटों में देखें तो गांधी का पूरा जीवन चरित्र पाया जा सकता है। सामान्यतः डाक टिकट एक छोटा सा कागज का टुकड़ा दिखता है, पर इसका महत्व और कीमत दोनों ही इससे काफी ज्यादा है. डाक टिकट वास्तव में एक नन्हा राजदूत है, जो विभिन्न देशों का भ्रमण करता है एवम् उन्हें अपनी सभ्यता, संस्कृति और विरासत से अवगत कराता है। यह किसी भी राष्ट्र के लोगों, उनकी आस्था व दर्शन, ऐतिहासिकता, संस्कृति, विरासत एवं उनकी आकांक्षाओं व आशाओं का प्रतीक है। ऐसे में डाक-टिकटों पर स्थान पाना गौरव की बात है, भारत में सर्वाधिक बार डाक-टिकटों पर स्थान पाने वालों में गाँधी जी प्रथम हैं. यहाँ तक कि आजाद भारत में वे प्रथम व्यक्तित्व थे, जिन पर डाक टिकट जारी हुआ. बहुत कम लोगों को पता होगा कि भारत को गुलामी के शिकंजे में कसने वाले ब्रिटेन ने जब पहली दफा किसी महापुरुष पर डाक टिकट निकाला तो वह महात्मा गाँधी ही थे। इससे पहले ब्रिटेन में डाक टिकट पर केवल राजा या रानी के ही चित्र छापे जाते थे। यह टिकट रस्तोगी के संग्रह में शामिल है। डाक-टिकट पर पहले गाँधीजी के लिए बापू शब्द का प्रयोग हुआ था, मगर बाद की टिकटों पर महात्मा गाँधी लिखा जाने लगा.

कई देशों ने महात्मा गांधी की जन्म शताब्दी, 125 वीं जयंती व भारत की 50 वीं स्वतंत्रता वर्षगाँठ पर कई प्रकार के अलग-अलग मूल्यों के डाक टिकट व डाक सामग्रियाँ समय–समय पर जारी की हैं। शांति के मसीहा व सहस्त्राब्दि के नायक के रूप में भी अनेक देशों ने, गांधी जी के चित्रों को आधार बना कर डाक टिकट व अन्य डाक सामग्रियाँ जारी की हैं।

कई देशों ने महात्मा गांधी पर डाक टिकट ही नहीं बल्कि मिनीएचर और सोविनियर शीट्स जारी की। उन्हें इस बात की हैरानी है कि दुनिया के अधिकांश देशों ने बापू पर टिकट जारी कर उन्हें सम्मान दिया, लेकिन पाकिस्तान ने नहीं। शांति के इस दूत की उपेक्षा की ही शायद वजह है कि पाकिस्तान में कभी भी शांति बहाल नहीं हुई।

भारतवर्ष से बाहर के देशों में लगभग 100 से भी अधिक ने गांधी जी के जीवन से जुडे विभिन्न पहलुओं को केंद्र में रखते हुए उनके जीवन पर आधारित विभिन्न डाक सामग्रियाँ व डाक–टिकट जारी किए हैं। इन देशों में विश्व के सभी महाद्वीपों के देश शामिल हैं।

एशिया महाद्वीप के रूस (रशिया), तजाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, वियतनाम, बर्मा, ईरान, भूटान, श्रीलंका, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, किरगीजिस्तान, यमन, सीरिया और साइप्रस जैसे देश इनमें प्रमुख हैं।

यूरोपीय देशों में बेल्जियम हंगरी, चेकोस्लोवाकिया, जर्मनी, जिब्राल्टर, ब्रिटेन, यूनान, माल्टा, पोलेंड, रोमानिया, आयरलैंड, लक्जमबर्ग, ईजडेल द्वीप समूह, मैकोडोनिया, सैन मरीनो और स्टाफ़ा स्काटलैंड के नाम प्रमुख हैं।

अमरीकी देशों में संयुक्त राज्य अमरीका (यूनाइटेड स्टेट), ब्राजील, चिली, कोस्टा रीका, क्यूबा, ग्रेनाडा, गुयाना, मेक्सिको, मोंटेसेरेट, पनामा, सूरीनाम, उरुग्वे, वेनेजुएला, ट्रिनिनाड व टोबैगो, निकारागुआ, नेविस, डोमिनिका, एँटीगुआ एवं बारबूडा के नाम उल्लेखनीय हैं।

अफ्रीकी देशों में बुर्कीना फासो कैमरून, चाडक़ामरूज, कांगो, मिश्र, गैबन, गांबिया, घाना, लाइबेरिया, मैडागास्कर, माली, मारिटैनिया, मॉरिशस, मोरक्को, मोजांबिक, नाइजर, सेनेगल, सिएरा लियोन, सोमालिया, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया, टोगो, यूगांडा, और जांबिया के नाम प्रमुख हैं।

आस्ट्रेलियाई देशों में ऑस्ट्रेलिया, पलाऊ, माइक्रोनेशिया और मार्शल द्वीप प्रमुख हैं।

अतरिक्त देशो में साईबेरिया, ग्रेनेडा, μयूजेरिया, सन मेरिनो, रोम, कोस्टारिका हैं।

महात्मा गाँधी और तरह - तरह के डाक टिकट

वेनुजुएला में प्रकाशित 10 टिकटों का एकल समूह है। दक्षिण अमरीका में स्थित इस देश का यह टिकट समूह 1997 में भारत की 50 वीं वर्षगाँठ के अवसर पर जारी किया गया था। इसमें गांधी जी के चित्र को प्रमुखता से दिखाया गया है। साथ में अन्य गणमान्य नेता, साहित्यकार और वैज्ञानिक हैं।

अमेरिकी महाद्वीप में स्थित एनटेगुआ और बरबूडा नामक देश ने गांधी जी के बचपन पर आधारित दो टिकट

भारत के किसी टिकट में गांधी जी बचपन के चित्र नहीं मिलते हैं, लेकिन अमेरिकी महाद्वीप में स्थित एनटेगुआ और बरबूडा नामक देश ने गांधी पर आधारित दो टिकट जारी किए हैं। इनमें उन्हें टोपी पहने हुए दिखाया गया है। इस टिकट में उनके जिस चित्र का प्रयोग किया गया है उसमें वे लगभग सात वर्ष की आयु के हैं। पहले टिकट की पृष्ठभूमि में उनकी प्राथमिक पाठशाला दिखाई गई है। प्राथमिक शिक्षा राजकोट में 12 वर्ष की अवस्था में पूरी करने के पश्चात आगे की शिक्षा के लिए गांधी जी ने वर्ष 1881 में काठियावाड हाईस्कूल में प्रवेश लिया। दूसरा टिकट में गांधी जी का चित्र उसी समय का है। पृष्ठभूमि में काठियावाड हाईस्कूल दिखाई दे रहा है जिसका नाम आजकल महात्मा गांधी हाईस्कूल है।

इंग्लैंड में 13 जून 1891 को वेजिटेरियन लंदन नाम के एक पत्र में उनका शाकाहार के विषय में एक लेख प्रकाशित हुआ। इस लेख के साथ उनका एक चित्र भी प्रकाशित हुआ था। ऐसा समझा जाता है कि अंग्रेज़ी वेशभूषा में अंग्रेज़ से दिखने वाले विद्यार्थी गांधी का यह चित्र उनके इंग्लैंड प्रवास के दौरान 1888 से 1891 के बीच लिया गया होगा। इस चित्र को आधार बना कर अनेक देशों ने डाक टिकट जारी किए हैं। 1998 में जांबिया ने भी इस चित्र पर एक टिकट जारी किया।

मारिशस ने 1969 में गांधी जी की स्वर्ण जयंती के अवसर पर 6 टिकटों की एक सुन्दर सामूहिका जारी की। इसका पहला टिकट भी इसी चित्र को आधार बना कर प्रकाशित किया गया था। बाकी के पाँच टिकटों में गांधी जी की अन्य मुद्राए शामिल की गई हैं। मारिशस में समूह के रूप में जारी किया जाने वाला यह पहला टिकट था। 6 टिकटों के इस सामूहिक टिकट के हाशिये पर पेंसिल से भारत के ग्रामीण परिवेश के अनेक सुंदर दृष्य अंकित किए गए थे।

1896 में उनके जोहानसबर्ग के कार्यालय में खींचे गए एक चित्र को भारत, दक्षिण अफ्रीका, गुयाना, मारशल द्वीप और स्कॉटलैंड सहित कई देशों ने अपने डाक टिकटों का विषय बनाया है। मार्शल दीप के इस टिकट में गांधी जी को वहाँ के मजदूरों के हितों के लिए आंदोलन करते हुए दिखाया गया है।

प्रिटोरिया की ट्रेन यात्रा संबंधी वह बहुचर्चित घटना घटी जिसे गांधी जी के राजनैतिक जीवन की शुरुआत माना जाता है। पिटरमारिटजबर्ग नामक रेलवे स्टेशन पर गांधी जी के पास प्रथम श्रेणी का टिकट होने के बावजूद उन्हें धक्के दे कर बाहर कर दिया गया। क्यों कि उन दिनों दक्षिण अफ्रीका की ट्रेनों की प्रथम श्रेणी में सिर्फ़ अंग्रेज़ ही यात्रा कर सकते थे। इस घटना से क्षुब्ध महात्मा गांधी ने भारत को अंग्रेज़ों से मुक्त कराने का प्रण लिया। और अंततः बिना युद्ध लडे सिर्फ़ सत्याग्रह शांति और असहयोग के द्वारा अंग्रेज़ों के चंगुल से भारत को मुक्त कराने का गांधी जी का संकल्प 15 अगस्त 1947 को पूरा हुआ, इसी घटना को दर्शाते हुए दक्षिण अफ्रीका में 1995 में एक टिकट और प्रथमदिवस आवरण जारी किया गया। इस टिकट में भी गांधी जी के उपरोक्त फोटो का ही प्रयोग किया गया है। 1995 में दक्षिण अफ्रीका ने भारत के साथ संयुक्त रूप से दो टिकटों का एक समूह जारी किया। इसमें भी युवा गांधी को प्रदर्शित करने के लिए उनकी इसी फ़ोटो को चुना गया। इस समूहिका के हाशिए पर गांधी जी के काम में आने वाली दैनिक वस्तुओं का चित्रांकन है।

गांधी जी पर सबसे पहले जारी होने वाले टिकट उनकी 80 वीं वर्षगाँठ पर 2 अक्तूबर 1949 को उन्हें समर्पित किए जाने के उद्देश्य से बनाए गए थे। लेकिन 30 जनवरी 1947 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद इन टिकटों को चार विभिन्न दरों की मुद्राओं में विक्रय हेतु राष्ट्र की प्रथम स्वतंत्रता वर्षगाँठ पर 15 अगस्त 1947 को जारी किया गया। इन टिकटों की खास बात यह है कि बापू के हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं में नाम लिखे हुए सिर्फ़ ये ही टिकट आज तक उपलब्ध हैं। रूस अपने बडे आकार के सुंदर डाक टिकटों के कारण पूरे विश्व में जाना जाता है।

भारत के अतिरिक्त संयुक्त राज्य अमरीका वह पहला देश है जिसने महात्मा गांधी के सम्मानस्वरूप सबसे पहले डाक टिकट जारी किए। संयुक्त राज्य अमरीका के इन टिकटों पर अंकित चित्र भी एक भारतीय चित्रकार आर एल लेखी द्वारा उपलब्ध कराए गए और इन्हें दो विभिन्न मुद्राओं में विक्रय के लिए जारी किया गया। चार सेंट के और आठ सेंट के मूल्य के इन दो डाक टिकटों की 120000000 और 40000000 प्रतियाँ जारी की गई थीं। यह भी एक आश्चर्यजनक तथ्य है कि आज तक महात्मा गांधी के सम्मानस्वरूप जारी किए गए टिकटों की इतनी बडी संख्या पहले कभी प्रकाशित नहीं की गई।

1998 में गांधी जी की पुण्य तिथि के अवसर पर भारत ने 4 डाक टिकटों का एक समूह जारी किया, जिसमें उनके जीवन की चार प्रमुख घटनाएँ प्रदर्शित की गई हैं। पृष्ठभूमि में लाल किला दिखाया गया है जिस पर राष्ट्रध्वज फहरा रहा है। बायीं ओर ऊपर दक्षिण अफ्रीका में किसानों के लिए किए गए उनके कार्य को दर्शाया गया है। दाहिनी ओर ऊपर गाँव का दृष्य है जिसमें एक महिला चरखा कात रही है और पास में ही एक किताब भी रखी है। यह महात्मा गांधी द्वारा किए गए सामाजिक उन्नयन के प्रयासों को प्रदर्शित करता है। नीचे बाईं ओर नमक सत्याग्रह और दाहिनी ओर प्रसिद्ध डांडी यात्रा के चित्र को दिखाया गया है इस टिकट पर सामुदायिक सद्भावना लिखा हुआ है।

ब्रिटेन द्वारा जारी किया गया एक टिकट किसी भी विदेशी व्यक्ति पर जारी किया गया ब्रिटेन का पहला डाक टिकट था। बिमान मलिक नामक भारतीय मूल के प्रवासी द्वारा अभिकल्पित यह डाक टिकट गांधी जी पर प्रदर्शित अंतर्राष्ट्रीय टिकटों की प्रदर्शनी में 1972 में कलकत्ता में सर्वश्रेष्ठ पुरस्कृत किया गया। इसके साथ ही एक प्रथम दिवस कवर भी जारी किया गया था जिस पर लाल रंग से चरखे की आकृति बनाई गई थी।

कांगो नामक अफ्रीकी गणराज्य द्वारा जारी यह टिकट किसी भी अफ्रीकी देश द्वारा गांधी जी के स्मृतिस्वरूप जारी किया गया पहला डाक टिकट था। विश्व के सभी देशों में, भारत और संयुक्त राज्य अमरीका के बाद, महात्मा गांधी पर टिकट जारी करने वाला वह तीसरा गणराज्य था।

भिन्न–भिन्न देशों द्वारा जारी किए गए टिकटों में गांधी जी के विषय में रोचक जानकारी मिलती है। जिब्राल्टर एवं अफ़गानिस्तान द्वारा जारी कुछ डाक टिकटों पर गांधी जी की कही गई उक्ति - पाप से घृणा करो पापी से नहीं उद्धृत है। गांबिया द्वारा जारी एक डाक टिकट में गांधी जी को तथाकथित गांधी टोपी पहने देखा जा सका है। इस प्रकार का यह विश्व में अकेला टिकट है।

फ्यूजीरा जो संयुक्त अरब इमारात का एक राज्य है, द्वारा जारी एक टिकट में गांधी जी की जन्मराशि (तुला) का चिह्न भी प्रदर्शित है। निकारागुआ के एक चित्र में गांधी जी को अल्बर्ट आइंस्टीन के साथ दिखाया गया है। यह टिकट इसलिए विशेष माना गया था क्यों कि इसमें रूसी अंतरिक्ष यान का उत्कीर्ण किया हुआ चित्र सोने का बना हुआ था। टिकट के जारी होने के बाद इसको तुरंत रोक दिया गया क्यों कि निकारागुआ में सत्ता परिवर्तन हो गया था।

तुर्कमेनिस्तान 1997 में एक टिकट जारी किया जिसमें भारत की भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी दिखाया गया है। टिकट के कलाकार ने इंदिरा जी को महात्मा गांधी की पुत्री समझ कर इस टिकट में साथ–साथ दिखाया। मूल कल्पना का बाद में पता चलने पर भी टिकट को वैसे ही रहने दिया गया। यह टिकट भारत की स्वतंत्रता के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में प्रकाशित किया गया था।

गांबिया के टिकट में गांधी जी को उनकी सुप्रसिद्ध गांधी टोपी में देखा जा सकता है। यह विश्व का एकमात्र ऐसा टिकट है जिसमें गांधी जी ने यह टोपी पहनी है। इस प्रकार डाक टिकटों के बारे में जान कर संपूर्ण विश्व में महात्मा गांधी के प्रति सम्मान व आदर के भाव को आसानी से समझा जा सकता है।

डाक-टिकटों के परिप्रेक्ष्य में याद आया कि स्वतन्त्रता के बाद सन् 1948 में महात्मा गाँधी पर डेढ़ आना, साढे़ तीन आना, बारह आना और दस रूo के मूल्यों में जारी डाक टिकटों पर तत्कालीन गर्वनर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने गवर्नमेण्ट हाउस में सरकारी काम में प्रयुक्त करने हेतु ‘सर्विस’ शब्द छपवा दिया। इन आलोचनाओं के बाद कि किसी की स्मृति में जारी डाक टिकटों के ऊपर ‘सर्विस’ नहीं छापा जाता, उन टिकटों को तुरन्त नष्ट कर दिया गया। पर इन दो-तीन दिनों में जारी सर्विस छपे चार डाक टिकटों के सेट का मूल्य दुर्लभता के चलते आज तीन लाख रूपये से अधिक है।

भूटान द्वारा जारी प्लास्टिक का डाक टिकट माइक्रोनेसिया का लीडर ऑफ टूवेल्थ सेंचुरी डाक टिकट मानवाधिकार घोषणा की चालीसवीं वर्षगाँठ पर डोमेनिका का गाँधी टिकट जिसमें गाँधी को मार्टिन लूथर किंग अल्बर्ट आइंस्टीन और रूजवेल्ट के साथ दिखाया गया है। दक्षिण अमेरिका का 10 टिकटों का सेट जिसमें नेहरू, गाँधी और पटेल शामिल हैं।

उत्तरी अमेरिका द्वारा जारी डाकटिकट में गाँधी को मृत्युशैया पर लेटे दिखाया गया है। हालाँकि गाँधी नाथूराम गोडसे की गोली से यहाँ बिड़ला हाउस में शहीद हुए। सांडा द्वीप के थ्री डी डाक टिकट में गाँधी को बच्चों को दुलारते दर्शाया गया है। डबरा आइसलैंड का गाँधी पर गोल्डन डाक टिकट नाइजीरिया का आइंस्टीन के साथ गाँधी का टिकट तजाकिस्तान के डाक टिकट में गाँधी को साइकिल चलाते दिखाया गया है और जाम्बिया के 'लॉ स्टूडेंट इन लंदन' इस अनूठे संग्रह के अंग हैं।

भारत के बाद सबसे पहले अमेरिका ने बापू पर डाक टिकट जारी किया। यहां बापू पर 26 जनवरी, 1961 को दो डाक टिकटों की एक श्रंखला स्वतंत्रता के नायक नाम से जारी की गई।

गांधी के विचारों का प्रभाव ही है कि कांगो ने 1967 में बापू पर डाक टिकट जारी किया। यमन ने बापू को प्रसिद्ध ऐतिहासिक पुरुष बताते हुए गांधीजी पर डाक टिकट जारी किया। भारत में गांधीजी पर उनके 80वें जन्म दिवस पर 1948 में डाक टिकट जारी करने का फैसला किया गया।

प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पहल करते हुए चार डाक टिकट पर बापू को डिजाइन का हिस्सा बनाया। लेकिन जनवरी में ही बापू की गोली मारकर हत्या कर दी गई। बापू श्रंखला के यह चारों डाक टिकट जो 2 अक्टूबर 1948 को जारी किया जाना था, उसे 15 अगस्त 1948 को ही जारी कर दिया गया। खास बात यह है कि इन चारों डाक टिकटों को स्विट्जरलैंड में छपवाया गया था। इनके मूल्य डेढ़ आना, साढ़े तीन आना और 12 आना रखा गया था। गांधीजी के साथ ‘बा’ यानी कस्तुरबा गांधी को भी उन डाक टिकटों में जगह दी गई है।

उजबेकिस्तान सरकार की ओर से जारी किए गए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से संबंधित 25 डाक टिकटों की सीरीज को भी शामिल किया है। जिनमें महात्मा गांधी के बचपन से लेकर उनके जीवन से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण घटनाओं को चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है। इसी तरक के सेटा आईसलैड नामक देश के द्वारा जारी किये चार डाक टिकटों का सेट भी गांधी सग्रह संग्रहालय में अभी शामिल हुआ है। इसमें रिफ्लेक्शन तकनीक के द्वारा महात्मा गांधी का चित्र एक कोण से तथा दूसरे कोण से महात्मा गांधी के साजो-सामान को अंकित किया गया है।

1979 में जारी किया गया डाक-टिकट में बापू को बच्चे से स्नेह करते हुए दर्शाया गया है। यह चित्र महात्मा गांधी का बच्चों के प्रति प्रेम को दर्शाता है।

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महात्मा गाँधी के चित्र

यहाँ पर महात्मा गाँधी के उन चित्रों को दर्शाया गया है जिन पर भारत सहित कई देशो ने डाक टिकटे जारी किया है --

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