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'''दभोई''' [[भारत]] के [[गुजरात]] राज्य में [[बड़ोदरा]] ([[बड़ौदा]]) ज़िले में बड़ोदरा नगर से 16 मील दक्षिण-पूर्व में स्थित एक प्रसिद्ध नगर है। दभोई का प्राचीन नाम 'दर्भावती' या 'दर्भवती' था। यहाँ ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण एक मन्दिर के प्राचीन [[अवशेष]] भी प्राप्त हुए हैं।
 
 
*दभोई भड़ौच से 25 मील की दूरी पर स्थित है।
 
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*पुरानी व्यापारिक मंडी के रूप में भी दभोई प्रसिद्ध है।
 
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*कपास से बिनौला निकालने, शराब बनाने, लकड़ी पर चित्रों की खुदाई करने और सूती कपड़े बुनने के उद्योग आदि भी यहाँ हैं।
 
*कपास से बिनौला निकालने, शराब बनाने, लकड़ी पर चित्रों की खुदाई करने और सूती कपड़े बुनने के उद्योग आदि भी यहाँ हैं।
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08:44, 9 जून 2013 के समय का अवतरण

दभोई क़िला

दभोई भारत के गुजरात राज्य में बड़ोदरा (बड़ौदा) ज़िले में बड़ोदरा नगर से 16 मील दक्षिण-पूर्व में स्थित एक प्रसिद्ध नगर है। दभोई का प्राचीन नाम 'दर्भावती' या 'दर्भवती' था। यहाँ ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण एक मन्दिर के प्राचीन अवशेष भी प्राप्त हुए हैं।

  • दभोई भड़ौच से 25 मील की दूरी पर स्थित है।
  • पुरानी व्यापारिक मंडी के रूप में भी दभोई प्रसिद्ध है।
  • 10वीं शती के एक मंदिर के अवशेष यहाँ से कुछ वर्ष पूर्व मिले थे।
  • उत्खनन कार्य निर्मल कुमार बोस तथा अमृत पांड्या द्वारा किया गया था।
  • दभोई या दर्भावती का जैन तीर्थ के रूप में उल्लेख जैन स्तोत्र ग्रंथ 'तीर्थमाला चैत्यवंदन' में है-

'श्री तेजल्लविहार निंबतटके चंद्रे च दर्भावते।'

  • दभोई सड़कों और रेलमार्गों का महत्त्वपूर्ण केंद्र है।
  • यहाँ चावल, मक्का, बाजरा और कपास का व्यवसाय अधिक होता है।
  • कपास से बिनौला निकालने, शराब बनाने, लकड़ी पर चित्रों की खुदाई करने और सूती कपड़े बुनने के उद्योग आदि भी यहाँ हैं।
  • दभोई अपने ताँबे और पीतल के सामान के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 589 |


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