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*'''दामाजी गायकवाड़ द्वितीय''', [[पिलाजी गायकवाड़]] का पुत्र था। | *'''दामाजी गायकवाड़ द्वितीय''', [[पिलाजी गायकवाड़]] का पुत्र था। | ||
− | *पिलाजी गायकवाड़ आरम्भ में [[मराठा]] सेनापति [[ | + | *पिलाजी गायकवाड़ आरम्भ में [[मराठा]] सेनापति [[त्र्यम्बकराव दाभाड़े]] की सेना में एक सैनिक था। |
− | *1731 ई. में बिल्हापुर के युद्ध मे | + | *1731 ई. में बिल्हापुर के युद्ध मे त्र्यम्बकराव दाभाड़े की पराजय हुई और वह मारा गया। |
− | *इस युद्ध में दामाजी गायकवाड़ द्वितीय ने अपने पिता पिलाजी गायकवाड़ के साथ | + | *इस युद्ध में दामाजी गायकवाड़ द्वितीय ने अपने पिता पिलाजी गायकवाड़ के साथ अदभुत शौर्य का प्रदर्शन किया था। |
*दामाजी गायकवाड़ द्वितीय के शौर्य और वीरता से प्रभावित होकर विजेता [[पेशवा]] [[बाजीराव प्रथम]] ने दामाजी को अपनी सेवा में रख लिया। | *दामाजी गायकवाड़ द्वितीय के शौर्य और वीरता से प्रभावित होकर विजेता [[पेशवा]] [[बाजीराव प्रथम]] ने दामाजी को अपनी सेवा में रख लिया। | ||
*1732 ई. में पिलाजी गायकवाड़ दी हत्या कर दी गई और दामाजी गायकवाड़ द्वितीय को उसका उत्तराधिकारी बनाया गया। | *1732 ई. में पिलाजी गायकवाड़ दी हत्या कर दी गई और दामाजी गायकवाड़ द्वितीय को उसका उत्तराधिकारी बनाया गया। | ||
− | *बाजीराव प्रथम ने | + | *बाजीराव प्रथम ने बाद में दामाजी गायकवाड़ द्वितीय को [[गुजरात]] में पेशवा का प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया। |
*इस प्रकार दामाजी गायकवाड़ मराठा संघ का एक प्रमुख सरदार बन गया। | *इस प्रकार दामाजी गायकवाड़ मराठा संघ का एक प्रमुख सरदार बन गया। | ||
− | *सरदार बनने के कुछ ही समय बाद उसने [[बड़ौदा]] को अपनी राजधानी बनाकर गुजरात में गायकवाड़ | + | *सरदार बनने के कुछ ही समय बाद उसने [[बड़ौदा]] को अपनी राजधानी बनाकर गुजरात में [[गायकवाड़]] सत्ता स्थापित की। |
*दामाजी गायकवाड़ द्वितीय ने बाजीराव प्रथम के बाद दूसरे पेशवा [[बालाजी बाजीराव]] की भी सेवा की और 1761 ई. में [[पानीपत]] के युद्ध में भाग लिया। | *दामाजी गायकवाड़ द्वितीय ने बाजीराव प्रथम के बाद दूसरे पेशवा [[बालाजी बाजीराव]] की भी सेवा की और 1761 ई. में [[पानीपत]] के युद्ध में भाग लिया। | ||
− | *पानीपत के युद्ध में पराजय हो जाने के कारण दामाजी गायकवाड़ द्वितीय | + | *पानीपत के युद्ध में पराजय हो जाने के कारण दामाजी गायकवाड़ द्वितीय जान बचाने के लिए युद्ध क्षेत्र से भाग आया। |
*अपनी इस पराजय के बाद भी दामाजी गुजरात को अपने अधिकार में किये रहा। | *अपनी इस पराजय के बाद भी दामाजी गुजरात को अपने अधिकार में किये रहा। | ||
*1768 ई. में दामाजी गायकवाड़ द्वितीय मृत्यु हो गई। | *1768 ई. में दामाजी गायकवाड़ द्वितीय मृत्यु हो गई। |
05:16, 21 मई 2011 का अवतरण
- दामाजी गायकवाड़ द्वितीय, पिलाजी गायकवाड़ का पुत्र था।
- पिलाजी गायकवाड़ आरम्भ में मराठा सेनापति त्र्यम्बकराव दाभाड़े की सेना में एक सैनिक था।
- 1731 ई. में बिल्हापुर के युद्ध मे त्र्यम्बकराव दाभाड़े की पराजय हुई और वह मारा गया।
- इस युद्ध में दामाजी गायकवाड़ द्वितीय ने अपने पिता पिलाजी गायकवाड़ के साथ अदभुत शौर्य का प्रदर्शन किया था।
- दामाजी गायकवाड़ द्वितीय के शौर्य और वीरता से प्रभावित होकर विजेता पेशवा बाजीराव प्रथम ने दामाजी को अपनी सेवा में रख लिया।
- 1732 ई. में पिलाजी गायकवाड़ दी हत्या कर दी गई और दामाजी गायकवाड़ द्वितीय को उसका उत्तराधिकारी बनाया गया।
- बाजीराव प्रथम ने बाद में दामाजी गायकवाड़ द्वितीय को गुजरात में पेशवा का प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया।
- इस प्रकार दामाजी गायकवाड़ मराठा संघ का एक प्रमुख सरदार बन गया।
- सरदार बनने के कुछ ही समय बाद उसने बड़ौदा को अपनी राजधानी बनाकर गुजरात में गायकवाड़ सत्ता स्थापित की।
- दामाजी गायकवाड़ द्वितीय ने बाजीराव प्रथम के बाद दूसरे पेशवा बालाजी बाजीराव की भी सेवा की और 1761 ई. में पानीपत के युद्ध में भाग लिया।
- पानीपत के युद्ध में पराजय हो जाने के कारण दामाजी गायकवाड़ द्वितीय जान बचाने के लिए युद्ध क्षेत्र से भाग आया।
- अपनी इस पराजय के बाद भी दामाजी गुजरात को अपने अधिकार में किये रहा।
- 1768 ई. में दामाजी गायकवाड़ द्वितीय मृत्यु हो गई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 201।