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[[चित्र:Neelkanth-And-Panch-Mahadev-Temple.jpg|thumb|250px|नीलकंठ और पंच महादेव, दौसा]]
 
'''दौसा''' [[राजस्थान]] का एक ऐतिहासिक नगर है। यह [[जयपुर]] से 54 किमी. की दूरी पर स्थित है। दौसा राष्ट्रीय राजमार्ग 11 पर स्थित है। दौसा का नाम पास ही की देवगिरी पहाड़ी के नाम पर पड़ा। दौसा कच्छवाह राजपूतों की पहली राजधानी थी। इसके बाद ही उन्होंने [[आमेर]] और बाद में जयपुर को अपना मुख्यालय बनाया। 1562 में जब अकबर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की जियारत को गए तब वे दौसा में रुके थे। दौसा में ऐतिहासिक महत्व के अनेक स्थान है जो यहाँ के प्राचीन साम्राज्य की याद दिलाते हैं।<ref name="यात्रा सलाह">{{cite web |url=http://yatrasalah.com/touristPlaces.aspx?id=192 |title=दौसा|accessmonthday=[[1 जून]] |accessyear=[[2011]] |last=मिश्रा |first=उमा|authorlink= |format= |publisher=यात्रा सलाह |language=[[हिन्दी]] }}</ref>  
 
'''दौसा''' [[राजस्थान]] का एक ऐतिहासिक नगर है। यह [[जयपुर]] से 54 किमी. की दूरी पर स्थित है। दौसा राष्ट्रीय राजमार्ग 11 पर स्थित है। दौसा का नाम पास ही की देवगिरी पहाड़ी के नाम पर पड़ा। दौसा कच्छवाह राजपूतों की पहली राजधानी थी। इसके बाद ही उन्होंने [[आमेर]] और बाद में जयपुर को अपना मुख्यालय बनाया। 1562 में जब अकबर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की जियारत को गए तब वे दौसा में रुके थे। दौसा में ऐतिहासिक महत्व के अनेक स्थान है जो यहाँ के प्राचीन साम्राज्य की याद दिलाते हैं।<ref name="यात्रा सलाह">{{cite web |url=http://yatrasalah.com/touristPlaces.aspx?id=192 |title=दौसा|accessmonthday=[[1 जून]] |accessyear=[[2011]] |last=मिश्रा |first=उमा|authorlink= |format= |publisher=यात्रा सलाह |language=[[हिन्दी]] }}</ref>  
 
==प्रसिद्ध मन्दिर==
 
==प्रसिद्ध मन्दिर==
 
दौसा को देवनगरी के नाम से भी जाना जाता है। झाझीरामपुर प्राकृतिक कुंड और रुद्र, बालाजी तथा अन्य देवी-[[देवता|देवताओं]] के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान दौसा नगर से 45 किमी. की दूरी पर है। पहाड़ियों से घिरी इस जगह की प्राकृतिक और आध्यात्मिक सुंदरता मन को सुकून पहुँचाती है।
 
दौसा को देवनगरी के नाम से भी जाना जाता है। झाझीरामपुर प्राकृतिक कुंड और रुद्र, बालाजी तथा अन्य देवी-[[देवता|देवताओं]] के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान दौसा नगर से 45 किमी. की दूरी पर है। पहाड़ियों से घिरी इस जगह की प्राकृतिक और आध्यात्मिक सुंदरता मन को सुकून पहुँचाती है।
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दौसा का प्रसिद्ध मन्दिर श्री मेहंदीपुर बालाजी घंटा मेहंदीपुर में स्थित है। [[हनुमान]] जी को समर्पित इस मंदिर का निर्माण श्रीराम गोस्वामी ने करवाया था। हनुमान जयंती, जन्माष्टमी, जल झूलनी एकादशी, [[दशहरा]], [[शरद पूर्णिमा]], [[दीपावली]], [[मकर संक्रांति]], [[महाशिवरात्रि]], [[होली]] और [[रामनवमी]] यहाँ धूमधाम से मनाए जाते हैं। मेहंदीपुर मंदिर के बारे में माना जाता है कि यहाँ प्रेतराज भूत-प्रेत से संकटग्रस्त लोगों का इलाज करते हैं। दुनिया भर में विज्ञान के क्षेत्र में हुई प्रगति के बावजूद बड़ी संख्या में लोग इस प्रकार की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए यहाँ आते हैं।
 
दौसा का प्रसिद्ध मन्दिर श्री मेहंदीपुर बालाजी घंटा मेहंदीपुर में स्थित है। [[हनुमान]] जी को समर्पित इस मंदिर का निर्माण श्रीराम गोस्वामी ने करवाया था। हनुमान जयंती, जन्माष्टमी, जल झूलनी एकादशी, [[दशहरा]], [[शरद पूर्णिमा]], [[दीपावली]], [[मकर संक्रांति]], [[महाशिवरात्रि]], [[होली]] और [[रामनवमी]] यहाँ धूमधाम से मनाए जाते हैं। मेहंदीपुर मंदिर के बारे में माना जाता है कि यहाँ प्रेतराज भूत-प्रेत से संकटग्रस्त लोगों का इलाज करते हैं। दुनिया भर में विज्ञान के क्षेत्र में हुई प्रगति के बावजूद बड़ी संख्या में लोग इस प्रकार की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए यहाँ आते हैं।
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माताजी के मंदिर को सचिनी देवी के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह दौसा का एक प्राचीन मंदिर है। देवी दुर्गा को समर्पित इस मंदिर में 12वीं शताब्दी की दुर्लभ मूर्तिकला को देखा जा सकता है।
 
माताजी के मंदिर को सचिनी देवी के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह दौसा का एक प्राचीन मंदिर है। देवी दुर्गा को समर्पित इस मंदिर में 12वीं शताब्दी की दुर्लभ मूर्तिकला को देखा जा सकता है।
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दौसा को देवनगरी के नाम से भी जाना जाता है। दौसा के मंदिर में भगवान शिव के पांच रूप, सहजनाथ, सोमनाथ, गुप्तेश्‍वर और नीलकंठ, विराजमान हैं। पठार के ऊपर स्थित नीलकंठ मंदिर प्राचीन भव्यता और आध्यात्म का प्रतीक है।<ref name="यात्रा सलाह" />  
 
दौसा को देवनगरी के नाम से भी जाना जाता है। दौसा के मंदिर में भगवान शिव के पांच रूप, सहजनाथ, सोमनाथ, गुप्तेश्‍वर और नीलकंठ, विराजमान हैं। पठार के ऊपर स्थित नीलकंठ मंदिर प्राचीन भव्यता और आध्यात्म का प्रतीक है।<ref name="यात्रा सलाह" />  
 
==यातायात और परिवहन==
 
==यातायात और परिवहन==
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दौसा नगर रेल मार्ग के जरिए देश के बाकी हिस्सों से जुड़ा है। यहाँ पर बांदीकुई का महत्त्वपूर्ण जंक्शन भी है। 2915- आश्रम एक्सप्रेस, 2414- जम्मू जयपुर एक्सप्रेस और 2461- मंदोर एक्सप्रेस यहाँ से होकर गुजरती हैं।
 
दौसा नगर रेल मार्ग के जरिए देश के बाकी हिस्सों से जुड़ा है। यहाँ पर बांदीकुई का महत्त्वपूर्ण जंक्शन भी है। 2915- आश्रम एक्सप्रेस, 2414- जम्मू जयपुर एक्सप्रेस और 2461- मंदोर एक्सप्रेस यहाँ से होकर गुजरती हैं।
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10:47, 7 अगस्त 2012 के समय का अवतरण

नीलकंठ और पंच महादेव, दौसा

दौसा राजस्थान का एक ऐतिहासिक नगर है। यह जयपुर से 54 किमी. की दूरी पर स्थित है। दौसा राष्ट्रीय राजमार्ग 11 पर स्थित है। दौसा का नाम पास ही की देवगिरी पहाड़ी के नाम पर पड़ा। दौसा कच्छवाह राजपूतों की पहली राजधानी थी। इसके बाद ही उन्होंने आमेर और बाद में जयपुर को अपना मुख्यालय बनाया। 1562 में जब अकबर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की जियारत को गए तब वे दौसा में रुके थे। दौसा में ऐतिहासिक महत्व के अनेक स्थान है जो यहाँ के प्राचीन साम्राज्य की याद दिलाते हैं।[1]

प्रसिद्ध मन्दिर

दौसा को देवनगरी के नाम से भी जाना जाता है। झाझीरामपुर प्राकृतिक कुंड और रुद्र, बालाजी तथा अन्य देवी-देवताओं के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान दौसा नगर से 45 किमी. की दूरी पर है। पहाड़ियों से घिरी इस जगह की प्राकृतिक और आध्यात्मिक सुंदरता मन को सुकून पहुँचाती है।

मेहंदीपुर बालाजी

दौसा का प्रसिद्ध मन्दिर श्री मेहंदीपुर बालाजी घंटा मेहंदीपुर में स्थित है। हनुमान जी को समर्पित इस मंदिर का निर्माण श्रीराम गोस्वामी ने करवाया था। हनुमान जयंती, जन्माष्टमी, जल झूलनी एकादशी, दशहरा, शरद पूर्णिमा, दीपावली, मकर संक्रांति, महाशिवरात्रि, होली और रामनवमी यहाँ धूमधाम से मनाए जाते हैं। मेहंदीपुर मंदिर के बारे में माना जाता है कि यहाँ प्रेतराज भूत-प्रेत से संकटग्रस्त लोगों का इलाज करते हैं। दुनिया भर में विज्ञान के क्षेत्र में हुई प्रगति के बावजूद बड़ी संख्या में लोग इस प्रकार की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए यहाँ आते हैं।

माताजी का मंदिर

माताजी के मंदिर को सचिनी देवी के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह दौसा का एक प्राचीन मंदिर है। देवी दुर्गा को समर्पित इस मंदिर में 12वीं शताब्दी की दुर्लभ मूर्तिकला को देखा जा सकता है।

नीलकंठ और पंच महादेव

दौसा को देवनगरी के नाम से भी जाना जाता है। दौसा के मंदिर में भगवान शिव के पांच रूप, सहजनाथ, सोमनाथ, गुप्तेश्‍वर और नीलकंठ, विराजमान हैं। पठार के ऊपर स्थित नीलकंठ मंदिर प्राचीन भव्यता और आध्यात्म का प्रतीक है।[1]

यातायात और परिवहन

रेलमार्ग

दौसा नगर रेल मार्ग के जरिए देश के बाकी हिस्सों से जुड़ा है। यहाँ पर बांदीकुई का महत्त्वपूर्ण जंक्शन भी है। 2915- आश्रम एक्सप्रेस, 2414- जम्मू जयपुर एक्सप्रेस और 2461- मंदोर एक्सप्रेस यहाँ से होकर गुजरती हैं।

सड़क़ मार्ग

बीकानेर और आगरा को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 11 दौसा ज़िले से होकर गुजरता है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 मिश्रा, उमा। दौसा (हिन्दी) यात्रा सलाह। अभिगमन तिथि: 1 जून, 2011

बाहरी कड़ियाँ

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