द्वारकाधीश गोपाल मंदिर, उज्जैन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
द्वारकाधीश गोपाल मंदिर, उज्जैन
'द्वारकाधीश गोपाल मंदिर', उज्जैन
विवरण 'द्वारकाधीश गोपाल मंदिर' मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध हिन्दू धार्मिक स्थलों में से एक है। मंदिर लगभग दो सौ वर्ष माना जाता है।
राज्य मध्य प्रदेश
ज़िला उज्जैन
निर्माता दौलतराव सिंधिया की पत्नी वायजा बाई।
निर्माण काल संवत 1901
हवाई अड्डा इंदौर
रेलवे स्टेशन उज्जैन
संबंधित लेख महाकालेश्वर, मध्य प्रदेश, उज्जैन, इन्दौर विशेष पर्व जन्माष्टमी
अन्य जानकारी मंदिर के गर्भगृह में लगा रत्न जड़ित द्वार दौलतराव सिंधिया ने ग़ज़नी से प्राप्त किया था, जो सोमनाथ की लूट में वहाँ पहुँच गया था।

द्वारकाधीश गोपाल मंदिर उज्जैन, मध्य प्रदेश में स्थित है। यह प्रसिद्ध मंदिर नगर का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। मंदिर का निर्माण दौलतराव सिंधिया की पत्नी वायजा बाई द्वारा करवाया गया था। 'द्वारकाधीश गोपाल मंदिर' लगभग दो सौ वर्ष पुराना बताया जाता है। पर्वों के अवसर पर यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को संस्था की ओर से कई प्रकार की सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। मंदिर के चाँदी के द्वार आकर्षण का मुख्य केन्द्र हैं।

निर्माण काल

'उज्जैन' मध्य प्रदेश के मुख्य धार्मिक नगरों में से एक है। यहाँ का प्रसिद्ध 'द्वारकाधीश गोपाल मंदिर' नगर का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। शहर के मध्य व्यस्ततम क्षेत्र में स्थित इस मंदिर की भव्यता आस-पास बेतरतीब तरीके से बने मकान और दुकानों के कारण दब-सी गई है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण दौलतराव सिंधिया की धर्मपत्नी वायजा बाई ने संवत 1901 में कराया था, जिसमें मूर्ति की स्थापना संवत 1909 में की गई थी। इस मान से ईस्वी सन 1844 में मंदिर का निर्माण और 1852 में मूर्ति की स्थापना हुई।

स्थापत्य

मंदिर के गर्भगृह में लगा रत्न जड़ित द्वार दौलतराव सिंधिया ने ग़ज़नी से प्राप्त किया था, जो सोमनाथ की लूट में वहाँ पहुँच गया था। मंदिर का शिखर सफ़ेद संगमरमर तथा शेष मंदिर सुन्दर काले पत्थरों से निर्मित है। मंदिर का प्रांगण और परिक्रमा पथ भव्य और विशाल है। 'जन्माष्टमी' यहाँ का विशेष पर्व है। 'बैकुंठ चौदस' के दिन महाकाल की सवारी हरिहर मिलन हेतु मध्य रात्रि में यहाँ आती है तथा भस्म आरती के समय गोपाल कृष्ण की सवारी महाकालेश्वर जाती है और वहाँ तुलसी का दल अर्पित किया जाता है। मंदिर के चाँदी के द्वार यहाँ का एक अन्य आकर्षण हैं।

मंदिर में दाखिल होते ही गहन शांति का अहससास होता है। इसके विशाल स्तंभ और सुंदर नक्काशी देखते ही बनती है। मंदिर के आस-पास विशाल प्रांगण में सिंहस्थ या अन्य पर्व के दौरान बाहर से आने वाले लोग विश्राम करते हैं। पर्वों के दौरान ट्रस्ट की तरफ़ से श्रद्धालुओं तथा तीर्थ यात्रियों के लिए कई तरह की सुविधाएँ प्रदान की जाती है।

देवी-देवता

'द्वारकाधीश गोपाल मंदिर' में भगवान द्वारकाधीश, शंकर, पार्वती और गरुड़ भगवान की मूर्तियाँ हैं। ये मूर्तियाँ अचल है और एक कोने में वायजा बाई की भी ‍मूर्ति है। यहाँ 'जन्माष्टमी' के अलावा 'हरिहर का पर्व' बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हरिहर के समय भगवान महाकाल की सवारी रात बारह बजे आती है, तब यहाँ हरिहर मिलन अर्थात् विष्णु और शिव का मिलन होता है। जहाँ पर उस वक्त डेढ़ दो घंटे पूजन चलता है।

कैसे पहुँचें

सड़क मार्ग - मध्य प्रदेश के इंदौर से लगभग 60 किलोमिटर दूर उज्जैन हिंदुओं का विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल हैं। इंदौर बस स्टेंड से बस द्वारा उज्जैन पहुँचा जा सकता है।

रेल मार्ग - तीर्थ स्थल उज्जैन का रेलवे स्टेशन देश के सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है। यहाँ से छोटी और बड़ी लाइन की रेलगाड़ियाँ मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और कोलकाता के लिए जाती हैं।

हवाई मार्ग - उज्जैन का सबसे नि‍कटतम हवाई अड्डा इंदौर है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख