धनुरासन

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धनुरासन

धनुरासन (अंग्रेज़ी: Dhanurasana or Bow Pose) करने पर शरीर 'धनुष' आकार की तरह दृश्यमान होता है, इसलिए यह आसन 'धनुरासन' कहा गया है। यह आसन कमर और रीड़ की हड्डी के लिए अति लाभदायक है। धनुरासन करने से गर्दन से लेकर पीठ और कमर के निचले हिस्से तक के सारे शरीर के स्नायुओं को व्यायाम मिलता है। अगर इस आसन का अधिकतम लाभ प्राप्त करना हों तो सर्वप्रथम भुजंगासन, उसके बाद शलभासन और अंत में तीसरा धनुरासन करना चाहिए। कई योगी-ऋषि गण इन तीन आसनों को 'योगासनत्रयी' कहकर भी पुकारते हैं। यह आसन शरीर के स्नायुओं को तो मज़बूती प्रदान करता ही है, इसके साथ साथ पेट से जुड़े जटिल रोगों को दूर करने में भी सहायक है। वज़न नियंत्रित करना हो या शरीर सुडौल करना हो, धनुरासन एक अत्यंत गुणकारी आसन है।

विधि

  1. पेट के बल लेटकर, पैरों में नितंब जितना फासला रखें और दोनों हाथ शरीर के दोनों ओर सीधे रखें।
  2. घुटनों को मोड़ कर कमर के पास लाएँ और घुटिका को हाथों से पकड़ें।
  3. श्वास भरते हुए छाती को ज़मीन से उपर उठाएँ और पैरों को कमर की ओर खींचें।
  4. चेहरे पर मुस्कान रखते हुए सामने देखिए।
  5. श्वासोश्वास पर ध्यान रखते हुए, आसन में स्थिर रहें, अब आपका शरीर धनुष की तरह कसा हुआ है।
  6. लम्बी गहरी श्वास लेते हुए, आसन में विश्राम करें।
  7. सावधानी बरतें व आसन आपकी क्षमता के अनुसार ही करें, जरूरत से ज्यादा शरीर को ना कसें।
  8. 15-20 सैकन्ड बाद, श्वास छोड़ते हुए, पैर और छाती को धीरे-धीरे ज़मीन पर वापस लाएँ। घुटिका को छोड़ेते हुए विश्राम करें।

लाभ

  1. पीठ/रीढ़ की हड्डी और पेट के स्नायु को बल प्रदान करना।
  2. जननांग संतुलित रखना।
  3. छाती, गर्दन और कंधों की जकड़न दूर करना।
  4. हाथ और पेट के स्नायु को पुष्टि देना।
  5. रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाना।
  6. तनाव और थकान से निजाद।
  7. मलावरोध तथा मासिक धर्म में सहजता।
  8. गुर्दे के कार्य में सुव्यवस्था।

सावधानियाँ

  1. गर्भवती महिलाओं के लिए यह आसन पूरी तरह से वर्जित है। कमर से जुड़ी गंभीर समस्या हो तो उन्हे यह आसन डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही करना चाहिए।
  2. पेट में अल्सर हों तो उन्हें यह आसन हानिकारक हो सकता है।
  3. उच्च रक्तचाप की समस्या वाले व्यक्ति यह आसन ना करें। सिर दर्द की शिकायत रहती हो तो भी धनुरासन नहीं करना चाहिए।
  4. आंतों की बीमारी हों या फिर रीड़ की हड्डी में कोई गंभीर समस्या हों, तब भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
  5. गर्दन में गंभीर चोट लगी हों या फिर माईग्रेन की समस्या हो तो यह आसन ना करें।
  6. सारण गाठ (हर्निया) रोग से पीड़ित व्यक्ति को भी यह आसन हानिकारक है।
  7. धनुरासन करने पर शरीर के किसी भी अंग में अत्याधिक पीड़ा होने लगे तो तुरंत आसन रोककर डॉक्टर के पास जाएं। हो सके तो यह आसन किसी योगा टीचर की निगरानी में सीखकर करें। धनुरासन की समय सीमा धीरे-धीरे बढ़ाएँ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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