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*'''नारायणराव''' [[बालाजी बाजीराव]] का पुत्र तथा [[माधवराव प्रथम]] का भाई था।
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'''नारायणराव''' [[बालाजी बाजीराव]] का पुत्र तथा [[माधवराव प्रथम]] का भाई था। माधवराव प्रथम की मृत्यु के बाद नारायणराव को [[पेशवा]] का पद दिया गया था। वह इस पद पर केवल एक वर्ष (1772-1773 ई.) तक ही रह सका।
  
*माधवराव प्रथम की मृत्यु के बाद नारायणराव को [[पेशवा]] का पद दिया गया था।
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*[[नाना फड़नवीस]] नारायणराव का समर्थक और रघुनाथराव का कट्टर विरोधी था।
  
*वह इस पद पर केवत एक वर्ष (1772 - 1773 ई.) तक ही रह सका।
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*एक वर्ष के अन्तराल के बाद उसकी हत्या उसके चाचा [[रघुनाथराव]] के द्वारा कर दी गई।
 
*रघुनाथराव ने [[अंग्रेज़|अंग्रेजों]] की सहायता से पेशवा बनने का प्रयत्न किया।
 
*रघुनाथराव का यह प्रयास सम्भवतः अंग्रेजों का [[मराठा|मराठों]] की राजनीति में एक प्रत्यक्ष हस्तक्षेप था, जिसने बाद में [[आंग्ल-मराठा युद्ध]] के लिए एक आधार का काम किया।
 
*[[नाना फड़नवीस]] नारायणराव का समर्थक और रघुनाथराव का कट्टर विरोधी था।
 
  
 
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08:49, 26 जनवरी 2014 के समय का अवतरण

नारायणराव बालाजी बाजीराव का पुत्र तथा माधवराव प्रथम का भाई था। माधवराव प्रथम की मृत्यु के बाद नारायणराव को पेशवा का पद दिया गया था। वह इस पद पर केवल एक वर्ष (1772-1773 ई.) तक ही रह सका।

  • एक वर्ष के अन्तराल के बाद नारायणराव की हत्या उसके चाचा रघुनाथराव के द्वारा कर दी गई।
  • रघुनाथराव ने अंग्रेजों की सहायता से पेशवा बनने का प्रयत्न किया।
  • रघुनाथराव का यह प्रयास सम्भवतः अंग्रेजों का मराठों की राजनीति में एक प्रत्यक्ष हस्तक्षेप था, जिसने बाद में 'आंग्ल-मराठा युद्ध' के लिए एक आधार का काम किया।
  • नाना फड़नवीस नारायणराव का समर्थक और रघुनाथराव का कट्टर विरोधी था।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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