पंडित अयोध्यानाथ

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पंडित अयोध्यानाथ का भारत के आरंभिक राष्ट्रवादी नेताओं में बड़ा महत्त्वपूर्ण स्थान था। उनका जन्म 1840 ई. में आगरा में बसे एक प्रसिद्ध कश्मीरी पंडित परिवार में हुआ था। उस समय की परिपाटी के अनुसार अयोध्यानाथ की आरंभिक शिक्षा अरबी और फ़ारसी में हुई। बाद में उन्होंने आगरा कॉलेज से अंग्रेज़ी और क़ानून की शिक्षा प्राप्त की तथा वकालत करने लगे। उन्होंने वकालत के साथ क़ानून के प्रोफेसर का भी काम किया।

कार्यक्षेत्र

कांग्रेस संगठन से उनका निकट संबंध था। 1888 में कांग्रेस का अधिवेशन इलाहाबाद में करने का निश्चय किया गया। तब तक पंडित अयोध्यानाथ वहीं वकालत करने लगे थे। कांग्रेस के प्रस्तावों की भाषा में प्रतिवर्ष परिवर्तन होता देख कर विदेशी सरकार उसके कामों में रोड़ा अटकाने लगी। इलाहाबाद के अधिवेशन की अध्यक्षता जार्ज यूल को करनी थी। स्वागत समिति के अध्यक्ष पंडित अयोध्यानाथ और सचिव पंडित मोतीलाल नेहरू थे। अधिवेशन के लिए जो स्थान निर्धारित किया गया था सरकार ने वहां अधिवेशन करने पर रोक लगा दी। अंत में पंडित अयोध्यानाथ के प्रयत्न से महाराजा दरभंगा ने ‘लूथर कैसिल’ जो अब दरभंगा कैसिल कहलाता है, ख़रीदकर कांग्रेस अधिवेशन के लिए दे दिया।

निधन

पंडित अयोध्यानाथ बड़े प्रतिभाशाली व्यक्ति थे। विदेशी शासक भी उनकी विद्वता का लोहा मानते थे। 1886 में उन्हें उत्तर पश्चिम प्रांत (अब उत्तर प्रदेश) की कोंसिल का सदस्य भी मनोनीत किया गया था। 1892 में उनका देहांत हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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