"परमवीर चक्र" के अवतरणों में अंतर
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'''परमवीर चक्र''' या 'पीवीसी' सैन्य सेवा तथा उससे जुड़े हुए लोगों को दिया जाने वाला [[भारत]] का सर्वोच्च वीरता सम्मान है। यह पदक शत्रु के सामने अद्वितीय साहस तथा परम शूरता का परिचय देने पर दिया जाता है। [[26 जनवरी]] [[1950]] से शुरू किया गया यह पदक मरणोपरांत भी दिया जाता है। | '''परमवीर चक्र''' या 'पीवीसी' सैन्य सेवा तथा उससे जुड़े हुए लोगों को दिया जाने वाला [[भारत]] का सर्वोच्च वीरता सम्मान है। यह पदक शत्रु के सामने अद्वितीय साहस तथा परम शूरता का परिचय देने पर दिया जाता है। [[26 जनवरी]] [[1950]] से शुरू किया गया यह पदक मरणोपरांत भी दिया जाता है। | ||
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भारतीय सेना के रणबांकुरों को असाधारण वीरता दर्शाने पर दिए जाने वाले सर्वोच्च पदक परमवीर चक्र का डिज़ाइन विदेशी मूल की एक महिला ने किया था और 1950 से अब तक इसके आरंभिक स्वरूप में किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। | भारतीय सेना के रणबांकुरों को असाधारण वीरता दर्शाने पर दिए जाने वाले सर्वोच्च पदक परमवीर चक्र का डिज़ाइन विदेशी मूल की एक महिला ने किया था और 1950 से अब तक इसके आरंभिक स्वरूप में किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। | ||
* 26 जनवरी 1950 को लागू होने के बाद से अब तक (सन् 2012 तक) 21 श्रेष्ठतम वीरों के अदम्य साहस को गौरवान्वित कर चुके इस पदक की संरचना एवं इस पर अंकित आकृतियां [[भारतीय संस्कृति]] एवं दैविक वीरता को उद्धृत करती हैं। [[भारतीय सेना]] की ओर से 'मेजर जनरल हीरालाल अटल' ने परमवीर चक्र डिजाइन करने की ज़िम्मेदारी 'सावित्री खालोनकर उर्फ सावित्री बाई' को सौंपी जो मूल रूप से भारतीय नहीं थीं। | * 26 जनवरी 1950 को लागू होने के बाद से अब तक (सन् 2012 तक) 21 श्रेष्ठतम वीरों के अदम्य साहस को गौरवान्वित कर चुके इस पदक की संरचना एवं इस पर अंकित आकृतियां [[भारतीय संस्कृति]] एवं दैविक वीरता को उद्धृत करती हैं। [[भारतीय सेना]] की ओर से 'मेजर जनरल हीरालाल अटल' ने परमवीर चक्र डिजाइन करने की ज़िम्मेदारी 'सावित्री खालोनकर उर्फ सावित्री बाई' को सौंपी जो मूल रूप से भारतीय नहीं थीं। | ||
− | * स्विट्जरलैंड में [[20 जुलाई]] 1913 को जन्मी सावित्री बाई का मूल नाम 'ईवावोन लिंडा मेडे डे मारोस' था जिन्होंने अपने अभिवावक के विरोध के बावजूद 1932 में भारतीय सेना की सिख रेजीमेंट के तत्कालीन कैप्टन विक्रम खानोलकर से प्रेम विवाह के बाद [[हिंदू धर्म]] स्वीकार कर लिया था। | + | * स्विट्जरलैंड में [[20 जुलाई]] [[1913]] को जन्मी सावित्री बाई का मूल नाम 'ईवावोन लिंडा मेडे डे मारोस' था जिन्होंने अपने अभिवावक के विरोध के बावजूद [[1932]] में भारतीय सेना की सिख रेजीमेंट के तत्कालीन कैप्टन विक्रम खानोलकर से प्रेम विवाह के बाद [[हिंदू धर्म]] स्वीकार कर लिया था। |
− | * मेजर जनरल अटल ने भारतीय पौराणिक साहित्य [[संस्कृत]] और [[वेदांत]] के क्षेत्र में सावित्री बाई के ज्ञान को देखते हुए उन्हें परमवीर चक्र का डिजाइन तैयार करने की ज़िम्मेदारी सौंपी। तत्कालीन समय उनके पति भी मेजर जनरल बन चुके थे। | + | * मेजर जनरल अटल ने भारतीय पौराणिक साहित्य [[संस्कृत]] और [[वेदांत]] के क्षेत्र में सावित्री बाई के ज्ञान को देखते हुए उन्हें परमवीर चक्र का डिजाइन तैयार करने की ज़िम्मेदारी सौंपी। तत्कालीन समय उनके पति भी मेजर जनरल बन चुके थे। मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) 'इयान कारडोजो' की हालिया प्रकाशित पुस्तक परमवीर चक्र के मुताबिक सावित्री बाई ने भारतीय सेना के भरोसे पर खरा उतरते हुए सैन्य वीरता के सर्वोच्च पदक के डिजाइन के कल्पित रूप को साकार किया। पदक की संरचना के लिए उन्होंने [[दधीचि|महर्षि दधीचि]] से प्रेरणा ली जिन्होंने [[देवता|देवताओं]] का अमोघ अस्त्र बनाने को अपनी अस्थियां दान कर दी थीं जिससे '[[इंद्र]] के वज्र' का निर्माण हुआ था। |
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13:59, 27 जून 2013 का अवतरण
परमवीर चक्र
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विवरण | परमवीर चक्र का पदक शत्रु के सामने अद्वितीय साहस तथा परम शूरता का परिचय देने पर दिया जाता है। |
शुरुआत | 26 जनवरी 1950 |
स्वरूप | परमवीर चक्र का डिज़ाइन विदेशी मूल की एक महिला 'सावित्री खालोनकर उर्फ सावित्री बाई' ने किया था और 1950 से अब तक इसके आरंभिक स्वरूप में किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। |
विजेता/सम्मनित | अबतक परमवीर चक्र से 21 भारतीय सैनिकों को सम्मानित किया जा चुका है। |
अन्य जानकारी | 'परमवीर चक्र' को अमेरिका के 'सम्मान पदक' तथा 'यूनाइटेड किंगडम' के 'विक्टोरिया क्रॉस' के बराबर का दर्जा हासिल है। |
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परमवीर चक्र या 'पीवीसी' सैन्य सेवा तथा उससे जुड़े हुए लोगों को दिया जाने वाला भारत का सर्वोच्च वीरता सम्मान है। यह पदक शत्रु के सामने अद्वितीय साहस तथा परम शूरता का परिचय देने पर दिया जाता है। 26 जनवरी 1950 से शुरू किया गया यह पदक मरणोपरांत भी दिया जाता है।
शाब्दिक अर्थ
'परमवीर चक्र' का शाब्दिक अर्थ है "वीरता का चक्र"। संस्कृति के शब्द "परम", "वीर" एवं "चक्र" से मिलकर यह शब्द बना है।
- रिबैंड बार
यदि कोई परमवीर चक्र विजेता दोबारा शौर्य का परिचय देता है और उसे परमवीर चक्र के लिए चुना जाता है तो इस स्थिति में उसका पहला चक्र निरस्त करके उसे रिबैंड (Riband) दिया जाता है। इसके बाद हर बहादुरी पर उसके 'रिबैंड बार' की संख्या बढ़ाई जाती है। इस प्रक्रिया को मरणोपरांत भी किया जाता है। प्रत्येक रिबैंड बार पर इंद्र के वज्र की प्रतिकृति बनी होती है, तथा इसे रिबैंड के साथ ही लगाया जाता है।
- समकक्ष सम्मान
'परमवीर चक्र' को अमेरिका के 'सम्मान पदक' तथा 'यूनाइटेड किंगडम' के 'विक्टोरिया क्रॉस' के बराबर का दर्जा हासिल है।
परमवीर चक्र का स्वरूप
भारतीय सेना के रणबांकुरों को असाधारण वीरता दर्शाने पर दिए जाने वाले सर्वोच्च पदक परमवीर चक्र का डिज़ाइन विदेशी मूल की एक महिला ने किया था और 1950 से अब तक इसके आरंभिक स्वरूप में किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
- 26 जनवरी 1950 को लागू होने के बाद से अब तक (सन् 2012 तक) 21 श्रेष्ठतम वीरों के अदम्य साहस को गौरवान्वित कर चुके इस पदक की संरचना एवं इस पर अंकित आकृतियां भारतीय संस्कृति एवं दैविक वीरता को उद्धृत करती हैं। भारतीय सेना की ओर से 'मेजर जनरल हीरालाल अटल' ने परमवीर चक्र डिजाइन करने की ज़िम्मेदारी 'सावित्री खालोनकर उर्फ सावित्री बाई' को सौंपी जो मूल रूप से भारतीय नहीं थीं।
- स्विट्जरलैंड में 20 जुलाई 1913 को जन्मी सावित्री बाई का मूल नाम 'ईवावोन लिंडा मेडे डे मारोस' था जिन्होंने अपने अभिवावक के विरोध के बावजूद 1932 में भारतीय सेना की सिख रेजीमेंट के तत्कालीन कैप्टन विक्रम खानोलकर से प्रेम विवाह के बाद हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया था।
- मेजर जनरल अटल ने भारतीय पौराणिक साहित्य संस्कृत और वेदांत के क्षेत्र में सावित्री बाई के ज्ञान को देखते हुए उन्हें परमवीर चक्र का डिजाइन तैयार करने की ज़िम्मेदारी सौंपी। तत्कालीन समय उनके पति भी मेजर जनरल बन चुके थे। मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) 'इयान कारडोजो' की हालिया प्रकाशित पुस्तक परमवीर चक्र के मुताबिक सावित्री बाई ने भारतीय सेना के भरोसे पर खरा उतरते हुए सैन्य वीरता के सर्वोच्च पदक के डिजाइन के कल्पित रूप को साकार किया। पदक की संरचना के लिए उन्होंने महर्षि दधीचि से प्रेरणा ली जिन्होंने देवताओं का अमोघ अस्त्र बनाने को अपनी अस्थियां दान कर दी थीं जिससे 'इंद्र के वज्र' का निर्माण हुआ था।
परमवीर चक्र विजेताओं के नाम
- नायक सूबेदार बाना सिंह
- सूबेदार जोगिन्दर सिंह
- कैप्टन गुरबचन सिंह सालारिया
- मेजर सोमनाथ शर्मा
- कम्पनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद
- मेजर होशियार सिंह
- कैप्टन विक्रम बत्रा
- लांस नायक अल्बर्ट एक्का
- लेफ्टिनेंट कर्नल ए. बी. तारापोरे
- राइफलमैन संजय कुमार
- कम्पनी हवलदार मेजर पीरू सिंह
- लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय
- मेजर धन सिंह थापा
- ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव
- फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों
- लांस नायक करम सिंह
- नायक जदु नाथ सिंह
- मेजर शैतान सिंह
- सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल
- मेजर रामास्वामी परमेस्वरन
- सेकेंड लेफ्टिनेंट रामा राघोबा राने
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- Shaan Teri Kabhi Kam Na Ho , Aye Watan (यू-ट्यूब लिंक)
- 21 Brave heart recipients of The Paramvir Chakra (यू-ट्यूब लिंक)
संबंधित लेख
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