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#पश्चिमी पहाड़ी भाषाएं [[हिमाचल प्रदेश]] में [[शिमला]] के आसपास बोली जाती हैं।  
 
*इस समूह की सबसे प्रमुख भाषा नेपाली(नैपाली) है, जिसे खास-खुरा और गोरख़ाली (गुरख़ाली) भी कहते हैं। क्योंकि नेपाल के कई निवासी तिब्बती-बर्मी भाषाएं बोलते हैं, इसलिए नेपाली में तिब्ब्ती-बर्मी बोली के शब्द और मुहावरे शामिल हो गए हैं।  
 
*इस समूह की सबसे प्रमुख भाषा नेपाली(नैपाली) है, जिसे खास-खुरा और गोरख़ाली (गुरख़ाली) भी कहते हैं। क्योंकि नेपाल के कई निवासी तिब्बती-बर्मी भाषाएं बोलते हैं, इसलिए नेपाली में तिब्ब्ती-बर्मी बोली के शब्द और मुहावरे शामिल हो गए हैं।  
*नेपाली भाषा को 1769 में गोरखा विजेता नेपाल ले गए।  
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*नेपाली भाषा को 1769 में [[गोरखा]] विजेता [[नेपाल]] ले गए।  
 
*मध्य पहाड़ी वर्ग में कई बोलियां हैं, जिनमें सबसे महत्त्वपूर्ण सिरमौनी, क्योंठाली, जौनसारी, चमेयाली, चुराही, मंडियाली, गादी और कुलूई शामिल हैं।  
 
*मध्य पहाड़ी वर्ग में कई बोलियां हैं, जिनमें सबसे महत्त्वपूर्ण सिरमौनी, क्योंठाली, जौनसारी, चमेयाली, चुराही, मंडियाली, गादी और कुलूई शामिल हैं।  
 
*पहाड़ी बोलियों की कई भाषाशास्त्रीय विशेषताएं [[राजस्थानी बोलियाँ|राजस्थानी]] और [[कश्मीरी भाषा|कश्मीरी]] भाषाओं के समान हैं।
 
*पहाड़ी बोलियों की कई भाषाशास्त्रीय विशेषताएं [[राजस्थानी बोलियाँ|राजस्थानी]] और [[कश्मीरी भाषा|कश्मीरी]] भाषाओं के समान हैं।

09:47, 4 फ़रवरी 2011 का अवतरण

  • पहाड़ी भाषा भारतीय-आर्य परिवार से जुड़ी भाषाओं का एक समूह है, जो मुख्यत: हिमालय के निचले क्षेत्रों में बोली जाती हैं।
  • पहाड़ी का हिंदी में शब्दार्थ ‘पहाड़ का’ है।
  • इस समूह को तीन वर्गों मे वर्गीकृत किया गया है-
  1. पूर्वी पहाड़ी में नेपाली मुख्य भाषा है, जो प्रारंभिक रूप से नेपाल में बोली जाती है।
  2. मध्य पहाड़ी भाषाएं उत्तरांचल राज्य में और
  3. पश्चिमी पहाड़ी भाषाएं हिमाचल प्रदेश में शिमला के आसपास बोली जाती हैं।
  • इस समूह की सबसे प्रमुख भाषा नेपाली(नैपाली) है, जिसे खास-खुरा और गोरख़ाली (गुरख़ाली) भी कहते हैं। क्योंकि नेपाल के कई निवासी तिब्बती-बर्मी भाषाएं बोलते हैं, इसलिए नेपाली में तिब्ब्ती-बर्मी बोली के शब्द और मुहावरे शामिल हो गए हैं।
  • नेपाली भाषा को 1769 में गोरखा विजेता नेपाल ले गए।
  • मध्य पहाड़ी वर्ग में कई बोलियां हैं, जिनमें सबसे महत्त्वपूर्ण सिरमौनी, क्योंठाली, जौनसारी, चमेयाली, चुराही, मंडियाली, गादी और कुलूई शामिल हैं।
  • पहाड़ी बोलियों की कई भाषाशास्त्रीय विशेषताएं राजस्थानी और कश्मीरी भाषाओं के समान हैं।

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