पुदुचेरी

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पुदुचेरी / Puducherry

इतिहास और भूगोल

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पुदुचेरी भारत गणराज्य का केन्द्रशासित प्रदेश है। पहले पुदुचेरी एक फ्रांसीसी उपनिवेश था जिसे 4 ज़िलों का समावेश करके बनाया गया था। पुदुचेरी नाम इसके सबसे बडे ज़िले पुदुचेरी के नाम पर पडा़ है। पहले पुदुचेरी का आधिकारिक नाम पॉंडिचेरी था जिसे सितम्बर 2006 में बदलकर पुदुचेरी कर दिया गया। पुदुचेरी का स्थानीय तमिल भाषा में अर्थ होता है 'नया गाँव'। यह प्रदेश बंगाल की खाड़ी के पूर्व में स्थित है। यह प्रदेश लगभग तीन सौ सालों तक फ्रांसिसी अधिकार में रहा। प्राचीन समय में फ्रांस से व्यापार का यह प्रमुख केंद्र था। फ्रांसिसी संस्कृति और वास्तुशिल्प के प्रमाण आज भी यहाँ कहीं कहीं दिख जाते हैं। आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से भी यह बहुत ही महत्वपूर्ण है।

पुदुचेरी के अंतर्गत दक्षिण के पुदुचेरी, कराइकल, माहे और यनम के वे क्षेत्र हैं, जहां पहले फ्रांसीसियों का शासन था। पुदुचेरी इस प्रदेश की राजधानी है जो भारत में फ्रांस के निवासियों का मुख्‍यालय थी। यह 138 वर्षों तक फ्रांसीसी शासन के अधीन था। 1 नवंबर 1954 को इसका भारत में विलय कर दिया गया। इसके पूर्व में बंगाल की खाड़ी और तीन तरफ तमिलनाडु है। पुदुचेरी से लगभग 150 किलोमीटर दक्षिण की ओर पूर्वी तट पर कराइकल है और माहे पश्चिम में केरल से घिरे पश्चिमी घाटों के मालाबार तट पर स्थित है। यहां पर कालीकट हवाई अड्डे से पहुंचा जा सकता है जो माहे से 70 किलोमीटर की दूरी पर है। यनम आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले से सटा हुआ है और विशाखापत्तनम से 200 कि.मी. की दूरी पर है।

कृषि

पुदुचेरी की लगभग 24.37 प्रतिशत जनता कृषि और उससे जुड़े व्‍यवसायों में है। इस राज्य में 80.7 प्रतिशत कृषि भूमि में सिंचाई की सुविधाएं उपलब्‍ध हैं। धान यहाँ की मुख्‍य फसल है। दलहन उत्‍पादन में यह राज्य दूसरे नंबर पर है। माहे क्षेत्र का यहां की वनस्पति संपत्ति में बड़ा योगदान है। नारियल, सुपारी और मसाले की पैदावार भी यहाँ होती है। यनम में दालें, मूंगफली और मिर्च यहां की वर्षा पर आधारित मुख्‍य व्‍यापारिक फसलें हैं।

उद्योग

  • मार्च 2008 तक 7,982 औद्यौगिक इकाइयों द्वारा 2,177.78 करोड़ रु. का निवेश कर 93,044 लोगों को रोजगार दिया किया गया। इन औद्योगिक इकाइयों के उत्‍पादन का कुल मूल्‍य 13,455.34 करोड़ रु. लगाया गया था।
  • वित्तीय वर्ष 2006-2007 ( मार्च 2007 तक) में निर्यातोन्मुख इकाइयों द्वारा किये गये निर्यात का मूल्‍य 901.06 करोड़ रु. रहा।

सिंचाई

यूरोपीय संघ की सहायता से कई तालाबों का जीर्णोद्धार किया गया है। शंकर परनी और पेन्‍नार नदियों पर अनेक स्‍थानों पर 8 बेड बांध बनाए गए हैं। इसके अतिरिक्‍त भूतल को सही करने के लिए बेड बांध के निर्माण के अनिवार्य प्रस्‍ताव अराटचिकुप्‍पम, पेम्बियार, सेलीपेट के संकेंद्रण बिंदु पर, वाडुकुप्‍पम के मलातार में, पुडुचेरी में तथा कराइ कनाल के मुलइयार, प्रवाडानायार और वंजीर एवं विलानुर में पुल एवं बेराज का निर्माण कार्य प्रगति पर है।

बिजली

केंदशासित प्रदेश पुदुचेरी की बिजली की जरूरतें केंद्र सरकार के बिजली उत्‍पादन केंद्रों से और पड़ोसी राज्‍यों के बिजली बोर्डों - 'तमिलनाडु बिजली बोर्ड', 'केरल राज्‍य बिजली बोर्ड' से बिजली खरीदकर और 'पुदुचेरी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड', कराइकल से पूरी की जाती है। इस प्रदेश की कुल बिजली उपलब्‍धता 396.58 मेगावॉट है।

परिवहन

पुडुचेरी के 'लोक निर्माण विभाग' द्वारा विभिन्‍न श्रेणियों की लगभग 677.525 कि. मी. सड़कों की देखभाल की जाती है। सड़कों के सुधार और पुलों के निर्माण का कार्य भी प्रगति पर है। वायु मार्ग पुदुचेरी के लिए सबसे पास का हवाई अड्डा चेन्नई है। चेन्नई का हवाई अड्डा भारत और विश्व के लगभग सभी प्रमुख नगरों से जुड़ा हुआ है। रेल मार्ग पुदुचेरी के लिए सबसे निकटतम रेलवे जंक्शन विल्लापुरम है। यह चेन्नई और मदुरै / त्रिवेंद्रम से सम्पर्क में रहता है। सड़क मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग 45 के द्वारा पुदुचेरी पहुँचा जा सकता है।

नगर विकास

  • पुदुचेरी उपनगरीय क्षेत्रों में जल निकासी की एक योजना 4.48 करोड़ रूपये की लागत से चल रही है।
  • सर्वेक्षण के बाद कराइकल में अंडर ग्राउंड ड्रेनेज स्‍कीम पर काम हो रहा है। इस पर 34 करोड़ रूपये की लागत आएगी। *सी.एस.एस. के अंतर्गत 2.47 करोड़ रूपये की लागत से भारती पार्क को पुनर्जीवित करने का प्रस्‍ताव है। बढ़ती हुई जरूरतों को पूरा करने के लिए लाजपेट तथा डुबरेपेट में नए जल शोधन संयंत्रों को चलाया जा रहा है।

पर्यटन

चेन्‍नई के दक्षिण में 160 कि.मी. की दूरी पर‍ स्थित पुदुचेरी (तमिल में यह पोडुचेरी के नाम से जाना जाता है)। यह प्रारंभिक अठारहवीं सदी से फ्रांस का एक उपनिवेश रहा था। यह एक सुन्दर भारतीय शहर है जिसमें सुद्र के अतिरिक्‍त फ्रांस की सांस्‍कृतिक विरासत के जीवंत नमूने आज भी हैं। अन्‍य फ्रांसीसी स्‍थलों—कराइकल (तमिलनाडु), माहे (केरल), यनम (आंध्र प्रदेश), को मिलाकर पांडिचेरी केंद्रशासित प्रदेश बना है। इस नगर की विशेषता सुनियोजित नगर योजना तथा फ्रांसीसी-तमिल वास्‍तुकला का संगम है। यह शहर फ्रांस के 18 वीं सदी के किलेबंद समुद्रतटीय शहर ‘बास्‍टाइड' के नमूने पर बना है।

पुदुचेरी प्रसिद्ध संतों की भूमि के रूप में प्रसिद्ध है। रोम और यूनान के साथ व्‍यापारिक संबंध होने के कारण, फ्रांसीसी भारत की राजधानी होने तथा आध्‍यात्मिक शक्ति को केंद्र होने की वजह से, पांडिचेरी में नदियों, समुद्री तटों के कारण पर्यटकों के लिए पर्यटन के स्थान हैं। पूर्व तथा पश्चिम संस्‍कृति से प्रभावित पांडिचेरी में हस्‍तशिल्‍प से तैयार चमड़े की वस्‍तुएं, मिट्टी के बरतन, हाथ से तैयार कागज, पुराना औपनिवेशिक फर्नीचर आदि अनोखी वस्‍तुएं मिलती हैं। हमारे पहले प्रधानमंत्री स्‍वर्गीय पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पांडिचेरी को ‘फ्रांसीसी संस्‍कृति की खिड़की’ कहा था।

महान संत, कवि तथा भारतीय आध्‍यात्मिकता के महान प्रवर्त्तक श्री अरविंद अपने जीवन के अंत तक अपने दृष्टिकोण और विचारों का प्रसार करते रहे। उनका आश्रम आज भी अपनी खास जीवन शैली के कारण विश्‍व भर के लोगों के आकर्षण का केन्द्र है।

भाषा

  • तमिल, तेलुगु, मलयालम, और फ्रांसीसी यहाँ की आधिकारिक भाषाएँ हैं। हर ज़िले के साथ भाषा भिन्न है। ज़िलों के बीच संवाद के लिए साधारणत: अंग्रेज़ी का प्रयोग किया जाता है।

तमिल-
तमिल भाषा का प्रयोग तमिल बहुल ज़िलों और कराइकल में किया जाता है। तमिल तमिलनाडु राज्य की भी भाषा है, इसके अतिरिक्त तमिल श्रीलंका और सिंगापुर की भी सह भाषा है। मलेशिया और मॉरीशस में भी तमिलभाषा बोली जाती है।

तेलुगु-
तेलुगु पुदुचेरी की अन्य आधिकारिक भाषा है, किन्तु यह यानम (तेलुगु जिले) में प्रयोग में लाई जाती है। तेलगु पुदुचेरी की क्षेत्रीय आधिकारिक भाषा है और यानम ज़िले की आधिकारिक भाषा। तेलगु आंध्र प्रदेश की भी आधिकारिक भाषा है। तेलगु पु्दुचेरी और कराइकल में भी प्राधनत: बोली जाती है।

मलयालम-
पुदुचेरी की अन्य आधिकारिक भाषा जो माहे (मलयालम ज़िले) में उपयोग की जाती है। अत: इसे पुदुचेरी की क्षेत्रीय आधिकारिक भाषा कहा जा सकता है। मलयालम केरल राज्य और लक्षद्वीप केन्द्रशासित प्रदेश की भी आधिकारिक भाषा है।

फ्रांसिसी-
फ्रांसिसी पुदुचेरी की अन्य आधिकारिक भाषा है। 1673 से 1954 तक फ्रांसिसी भारत की भी आधिकारिक भाषा थी। यह आधिकारिक पद पर 28 मई, 1958 को भारत और फ्रांस के मध्य हुई संधि के कारण संरक्षित रही।

  • अनुच्छेद 28 के अनुसार फ्रांसिसी संधि के अनुसार, 'Le francais restera langue officielle des Etablissements aussi longtemps que les representants elus de la population n'auront pas pris une decision differente (फ्रांसीसी भाषा) (फ्रांसीसी भाषा प्रतिष्ठानों की आधिकारिक भाषा तब तक रहेगी जब तक कि जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के द्वारा निर्णय नहीं लिया जाता है। (हिन्दी अनुवाद))

आध्यात्मिक भूमि
प्राचीन समय से ही पुदुचेरी वैदिक संस्कृति का केंद्र रहा है। यह ऋषि अगस्त्य की भूमि है। पुदुचेरी में आध्यात्मिक शान्ति और बढ़ गयी जब 12वीं शताब्दी में यहां 'अरविंद आश्रम' की स्थापना हुई।

पेराडाइज समुद्री तट

पेराडाइज समुद्री तट शहर से 8 किमी. दूर कुड्डलोर मेन रोड के समीप है। इस समुद्र तट के एक ओर छोटी सी खाड़ी है। यहां पर केवल नाव द्वारा ही पहुँचा जा सकता है। यहाँ पर समुद्री पानी में डॉल्फिन को देखना सुखद अनुभव है। यहां पर इतनी सुन्दरता और शान्ति है कि यह अपने नाम को सार्थक करता है। यहाँ आकर स्वर्ग का आभास होता है।

ऑरोविल्ले समुद्री तट

यह समुद्री तट ऑरोविल्ले के पास है। पुदुचेरी से इसकी दूरी 12 कि॰मी॰ है। यहाँ तट पर पानी अधिक गहरा नहीं है,अत: तैरने के लिए यह सही जगह है। सप्ताहांत में यहां पर बहुत पर्यटक आते हैं। इसलिए सप्ताहांत में यहां बहुत भीड़ होती है। सप्ताह के शेष दिनों में यहां ज्यादा भीड़ नहीं होती है।

सरकारी उद्यान
पुदुचेरी के बीचों बीच यह सरकारी उद्यान सबसे खूबसूरत सार्वजनिक स्थल है। इस उद्यान का आकर्षण उद्यान में बना 'आयी मंडपम' है। इस भवन का निर्माण नेपोलियन तृतीय के शासनकाल में कराया गया था। यह भवन ग्रीक रोमन वास्तु कला का उदारहण है। इस भवन का नाम महल में काम करने वाली एक महिला के नाम पर रखा गया था। उक्त महिला ने अपने घर के स्थान पर एक जलकुंड बनाया था। कहा जाता है कि किसी समय नेपोलियन ने यहां पर पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई थी और प्रसन्न होकर इस स्मारक का नाम 'आयी मंडपम' रखा था।

अरिकमेडु

पुदुचेरी से 4 कि॰मी॰ दक्षिण में यह ऐतिहासिक स्थान है। यह स्थान रोमन कॉलोनियों के साथ किये गये व्यापार का प्रतीक है। यहां के व्यापारी वाइन का आयात करते थे और बदले में कपड़ा, बहुमूल्य रत्न और आभूषणों का निर्यात करते थे। आज भी यहां 18वी. शताब्दी के फ्रेंच जेसूट मिशन हाउस के खंडहर मिलते हैं। यह स्थान 1783 में बंद कर दिया गया था।

आनंदरंगा पिल्लई महल
फ्रांसीसी शासनकाल में आनंद रंगा पिल्लई पुदुचेरी के राज्यपाल थे। उनकी डायरियां 18वीं शताब्दी के फ्रांस और भारत के संबंधों का ज्ञान कराती हैं। यह महल प्राचीन भवनों में से एक है। इसका निर्माणकाल 1738 था। इसका वास्तुशिल्प भारतीय और फ्रेंच शैली का सम्मिलित मिश्रण है।

फ्रेंकॉइस डुप्लेक्स


फ्रेंकॉइस डुप्लेक्स 1754 तक पुदुचेरी के गवर्नर थे। 1870 में श्रद्धांजली स्वरूप इनकी एक प्रतिमा फ्रांस में और दूसरी प्रतिमा पुदुचेरी में स्थापित की गई थी। । 2.88 मीटर ऊंची ग्रेनाइट से बनी यह मूर्ति गौवर्ट एवेन्यू पर है।


तिरुकामेश्वर मंदिर

श्री गोकिलंबल तिरुकामेश्वर मंदिर पुदुचेरी से १० किमी. की दूरी पर है। दस दिनों तक चलने वाले ब्रह्मोत्सव में यहाँ पर हजारों की संख्या में भक्तजन आते हैं। यह ब्रह्मोत्सव मई और जून माह में मनाया जाता है। इस उत्सव में मंदिर के रथ को भक्तजन खींचते हैं। यह रथ 15 मी. ऊंचा होता है। हजारों भक्तों द्वारा रथ खींचने का दृश्य अविस्मरणीय होता है। सर्व धर्म सम भाव की प्रतीक यह रथयात्रा फ्रेंच शासन के समय में भी निकाली जाती थी। उस समय तत्कालीन फ्रेंच गवर्नर स्वयं इस रथयात्रा में भाग लेते थे और रथ को खींचा करते थे। इसके अतिरिक्त यहाँ पर ऑस्टेरी झील है जो 10 हैक्टेयर में फैली हुई है। इस झील में पक्षियों की अनेक दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं।

'निकटवर्ती पर्यटक स्थल

शिंजी

पुदुचेरी राज्य के उत्तर पश्चिम में विल्लुपुरम ज़िले में यहाँ का सबसे सुंदर क़िला शिंजी है। शिंजी क़िला बहुत ही विशाल है। इसकी ऊँचाई लगभग 800 फीट है। यह विशाल क़िला तीन पहाड़ियों राजगिरी, कृष्णागिरी और चंद्रायन दुर्ग तक विस्तृत है। क़िले का मुख्य हिस्सा राजगिरी पर्वत पर है जो इन तीनों पर्वतों में सबसे विशाल है। क़िले के अंदर अन्नभंडार गृह, शस्त्रागार और मंदिर है। दुर्ग का प्रवेश द्वार कल्याण महल के सामने है। 700 मी. की ऊंचाई पर एक पुल बना हुआ है जो किले को दूसरी अन्य इमारतों से जोड़ता है। इतनी अधिक ऊंचाई से नीचे शिंजी नगर बहुत ही सुन्दर दिखायी देता है। शुल्क देकर इस ऐतिहासिक किले को भीतर से भी देख सकते हैं।

चिदम्‍बरम

यह स्थान पुदुचेरी के दक्षिणी भाग में राष्ट्रीय राजमार्ग 45 ए पर है। चिदम्‍बरम शिव मंदिर के लिए जाना जाता है। यहां शिव जी की 'नटराज अवतार' की पूजा की जाती हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 10वीं से 14वीं शती के मध्य कभी हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि 10वीं शताब्दी में चोल राजा परांतका प्रथम ने इस शिव मंदिर को पूरी तरह सोने से ढ़क दिया था और यह मंदिर सूर्य की रोशनी में जगमगाता रहता था। इस मंदिर में शिव जी की 'अक्ष लिंगम' रूप में भी पूजा की जाती है।