पूरब

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पूरब
दिशाओं के नाम
विवरण पूरब एक दिशा है। सूर्य हमेशा पूरब दिशा से ही उदित होता है इसलिए इसे आत्मा के कारक सूर्य की दिशा भी माना जाता है।
देवता इंद्र देव
महत्व पूर्व दिशा से सौर ऊर्जा आती है। यह हमारे ऐश्वर्य ख्याति आदि को बढ़ाती है। अतः भवन निर्माण में इस दिशा में अधिक से अधिक खुला स्थान रखना चाहिए। इस दिशा में भूमि नीची होनी चाहिए।
अन्य जानकारी प्राचीनकाल में दिशा निर्धारण प्रातःकाल व मध्याह्न के पश्चात एक बिन्दु पर एक छड़ी लगाकर सूर्य रश्मियों द्वारा पड़ रही छड़ी की परछाई तथा उत्तरायणदक्षिणायन काल की गणना के आधार पर किया जाता था।

पूरब (अंग्रेज़ी:East) एक दिशा है। सूर्य हमेशा पूरब दिशा से ही उदित होता है इसलिए इसे आत्मा के कारक सूर्य की दिशा भी माना जाता है। साथ ही वास्तु शास्त्र में इंद्र देव को पूर्व दिशा का देवता बताया गया है। आप अपने घर में पूर्व दिशा की तरफ कोई भी रुकावट ना रहने दें क्योंकि ये दिशा पितृस्थान की द्योतक मानी जाती है। साथ ही अगर पूर्व दिशा खुली रहती है तो घर के मुखिया को दीर्घायु प्राप्त होती है। ईशान के बाद पूर्व दिशा का नंबर आता है। जब सूर्य उत्तरायण होता है तो वह ईशान से ही निकलता है, पूर्व से नहीं।

वास्तु शास्त्र के अनुसार

पूर्व दिशा से सौर ऊर्जा आती है। यह हमारे ऐश्वर्य ख्याति आदि को बढ़ाती है। अतः भवन निर्माण में इस दिशा में अधिक से अधिक खुला स्थान रखना चाहिए। इस दिशा में भूमि नीची होनी चाहिए। दरवाजे और खिड़कियां ज्यादातर इसी दिशा में होना चाहिए। पोर्टिको भी पूर्व दिशा में बनाया जा सकता है। बरामदा, बालकनी और वाशबेसिन आदि इसी दिशा में रखना चाहिए। बच्चे भी इसी दिशा की तरफ मुंह करके पढ़े। घर की पूर्व दिशा में कुछ खुला स्थान और ढाल होना चाहिए। शहर और घर का संपूर्ण पूर्वी क्षेत्र साफ और स्वच्छ होना चाहिए। घर में खिड़की, उजालदान या दरवाजा रख सकते हैं। इस दिशा में कोई रुकावट नहीं होना चाहिए। इस स्थान में घर के वरिष्ठजनों का कमरा नहीं होना चाहिए और कोई भारी सामान भी न रखें। यहां सीढ़ियां भी न बनवाएं।

दिशाओं के नाम

अंग्रेज़ी संस्कृत (हिन्दी)
East पूरब, प्राची, प्राक्
West पश्चिम, प्रतीचि, अपरा
North उत्तर, उदीचि
South दक्षिण, अवाचि
North-East ईशान्य
South-East आग्नेय
North-West वायव्य
South-West नैऋत्य
Zenith ऊर्ध्व
Nadir अधो

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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