प्रदक्षिणा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
  • किसी वस्तु को अपनी दाहिनी ओर रखकर घूमना या परिक्रमा लगाने को प्रदक्षिणा कहते हैं। प्रदक्षिणा षोडशोपचार पूजन की एक महत्त्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है, जो पवित्र वस्तुओं, मन्दिरों तथा पवित्र स्थानों के चारों ओर चलकर दी जाती है।
  • काशी ऐसी ही प्रदक्षिणा के लिए पवित्र मार्ग है, जिसमें यहाँ के सभी पुण्यस्थल घिरे हुए हैं और जिस पर यात्री चलकर काशी धाम की प्रदक्षिणा करते हैं। ऐसे ही प्रदक्षिणामार्ग मथुरा, अयोध्या, प्रयाग, चित्रकूट आदि में हैं।
  • प्रदक्षिणा की प्रथा अति प्राचीन है। वैदिक काल से ही इससे व्यक्तियों, देवमूर्तियों, पवित्र स्थानों को प्रभावित करने या सम्मान प्रदर्शन का कार्य समझा जाता रहा है।
  • मनुस्मृति में विवाह के समक्ष वधु को अग्नि के चारों ओर तीन बार प्रदक्षिणा करने का विधान बतलाया गया है।
  • प्रदक्षिणा का प्राथमिक कारण तथा साधारण धार्मिक विचार सूर्य देव की दैनिक चाल से निर्गत हुआ है। जिस तरह से सूर्य प्रात: पूर्व में निकलता है, दक्षिण के मार्ग से चलकर पश्चिम में अस्त हो जाता है, उसी प्रकार हिन्दू धार्मिक विचारकों के तदनुरूप अपने धार्मिक कृत्यों को बाधा विघ्न विहीन भाव से सम्पादनार्थ प्रदक्षिणा करने का विधान किया। शतपथ ब्राह्मण में प्रदक्षिणामंत्र स्वरूप कहा भी गया है, सूर्य के समान यह हमारा पवित्र कार्य पूर्ण हो।

इन्हें भी देखें: परिक्रमा एवं मथुरा प्रदक्षिणा


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

(पुस्तक 'हिन्दू धर्मकोश') पृष्ठ संख्या-420

संबंधित लेख