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− | || | + | ||सबसे हार्स पेसिंल एच है। 2H, 3H, 4H, आदि हार्ड पेंसिलें हैं जो ज्यामितीय कला में प्रयुक्त होती हैं। |
− | {विष्णु-धर्मोत्तर | + | {विष्णु-धर्मोत्तर किससे संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-179,प्रश्न-24 |
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+[[चित्रकला]] | +[[चित्रकला]] | ||
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-[[चित्रकला]]-[[मूर्तिकला]] | -[[चित्रकला]]-[[मूर्तिकला]] | ||
− | ||भारतीय [[चित्रकला]] की प्रौढ़ परंपरा को दिग्दर्शित करने वाले विष्णु-धर्मोत्तर पुराण की रचना चौथी-पांचवीं | + | ||भारतीय [[चित्रकला]] की प्रौढ़ परंपरा को दिग्दर्शित करने वाले विष्णु-धर्मोत्तर पुराण की रचना चौथी-पांचवीं शताव्दी में [[गुप्त काल]] में हुई। यह चित्रकला से संबंधित है। |
− | { | + | {[[बिहू नृत्य|बीहू नृत्य]] कहां का है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-185,प्रश्न-27 |
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− | -[[उड़ीसा]] (ओडिशा) | + | -[[उड़ीसा]] ([[ओडिशा]]) |
+[[असम]] | +[[असम]] | ||
-[[मणिपुर]] | -[[मणिपुर]] | ||
-[[छत्तीसगढ़]] | -[[छत्तीसगढ़]] | ||
− | ||'बीहू' असम का नृत्य है। यह [[असम]] का प्रसिद्ध लोक नृत्य है, जो युवा लड़के एवं लड़कियों द्वारा किया जाता है। | + | ||'[[बिहू नृत्य|बीहू नृत्य]]' असम का नृत्य है। यह [[असम]] का प्रसिद्ध [[लोक नृत्य]] है, जो युवा लड़के एवं लड़कियों द्वारा किया जाता है। |
− | {पारसियों का पवित्र ग्रंथ क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-195,प्रश्न-77 | + | {[[पारसी|पारसियों]] का पवित्र ग्रंथ क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-195,प्रश्न-77 |
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-तोरह | -तोरह | ||
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-[[कुरान]] | -[[कुरान]] | ||
-[[गीता]] | -[[गीता]] | ||
− | ||पारसियों का पवित्र ग्रंथ ज़ेंड-अवेस्ता है। [[पारसी धर्म]] में [[अग्नि]] की उपासना की जाती है। पारसी धर्म के संस्थापक जरथुस्त्र थे। पारसी धर्म को मानने वाले सर्वप्रथम ईरान से चलकर [[भारत]] के पश्चिमी तट गुजरात पहुंचे और [[गुजरात]] के नौसारी में बस गए। पारसी एक ईश्वर में विश्वास करते हैं। तोरह यहूदी धर्म, कुरान मुस्लिम धर्म एवं गीता हिंदू धर्म का पवित्र ग्रंथ है। | + | ||[[पारसी|पारसियों]] का पवित्र ग्रंथ ज़ेंड-अवेस्ता है। [[पारसी धर्म]] में [[अग्नि]] की उपासना की जाती है। पारसी धर्म के संस्थापक जरथुस्त्र थे। पारसी धर्म को मानने वाले सर्वप्रथम [[ईरान]] से चलकर [[भारत]] के पश्चिमी तट गुजरात पहुंचे और [[गुजरात]] के नौसारी में बस गए। पारसी एक ईश्वर में विश्वास करते हैं। तोरह, [[यहूदी धर्म]], [[कुरान]], [[मुस्लिम धर्म]] एवं [[गीता]], [[हिंदू धर्म]] का पवित्र ग्रंथ है। |
− | {भारतवर्ष में प्रागैतिहासिक चित्रों | + | {भारतवर्ष में प्रागैतिहासिक चित्रों की सर्वप्रथम खोज किस क्षेत्र में हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-1 |
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+[[मिर्जापुर]] | +[[मिर्जापुर]] | ||
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-[[इलाहाबाद]] | -[[इलाहाबाद]] | ||
-[[बनारस]] | -[[बनारस]] | ||
− | ||भारतवर्ष में प्रागैतिहासिक चित्रों की सर्वप्रथम खोज मिर्जापुर क्षेत्र में हुई है। [[मिर्जापुर]] के डिस्ट्रिक्ट गजेटियर में मिर्जापुर के इतिहास का उल्लेख कहते हुए | + | ||भारतवर्ष में प्रागैतिहासिक चित्रों की सर्वप्रथम खोज मिर्जापुर क्षेत्र में हुई है। [[मिर्जापुर]] के डिस्ट्रिक्ट गजेटियर में मिर्जापुर के इतिहास का उल्लेख कहते हुए यहाँ पर प्राप्त होने वाली चित्रमय गुफ़ाओं को सर्वप्राचीन मानव निवास स्थल बताया गया है। |
{इनमें से कौन असंबद्ध है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-43,प्रश्न-21 | {इनमें से कौन असंबद्ध है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-43,प्रश्न-21 | ||
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+सित्तनवासल गुहा चित्र | +सित्तनवासल गुहा चित्र | ||
-बादामी गुहा चित्र | -बादामी गुहा चित्र | ||
− | ||सित्तनवासल गुहा चित्र विकल्प के अन्य तीनों गुहा चित्रों से असंबद्ध है क्योंकि सित्तनवासल एक गुफा मंदिर है जबकि विकल्प में दी गई तीनों गुफ़ाओं में गुफ़ाओं की संख्या एक से अधिक है। | + | ||सित्तनवासल गुहा चित्र विकल्प के अन्य तीनों गुहा चित्रों से असंबद्ध है क्योंकि [[सित्तानवासन गुफ़ा|सित्तनवासल]] एक गुफा मंदिर है जबकि विकल्प में दी गई तीनों गुफ़ाओं में गुफ़ाओं की संख्या एक से अधिक है। |
− | {किस देश कला को अंत्येष्टि संबंधी कला कहा जाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-210,प्रश्न-188 | + | {किस देश की कला को अंत्येष्टि संबंधी कला कहा जाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-210,प्रश्न-188 |
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-[[चीन]] | -[[चीन]] | ||
− | - | + | -[[भारत]] |
− | - | + | -[[जापान]] |
+[[मिस्र]] | +[[मिस्र]] | ||
− | ||[[मिस्र]] की कला सबसे अधिक मृत्यु संबंधी और | + | ||[[मिस्र]] की कला सबसे अधिक मृत्यु संबंधी और अंत्येष्टि क्रिया से संबंधित है। इस कला का केंद्र (जहां से उत्कृष्ट उदाहरण प्राप्त हुए हैं) मृतक प्राणों का स्मारक रहा है। यहां से चित्रों की लिपि में लिखी एक पुस्तक प्राप्त हुई है जिसे 'मृतकों की पुस्तक' अथवा 'स्वर्गवासियों की पुस्तक' कहते हैं। इसकी खोज जर्मन-मिस्रविद् कार्ल रिचर्ड लेप्सियस ने की जिन्होंने वर्ष 1842 में कुछ पुस्तकों को चयन कर प्रकाशित कराया था। |
{[[मुगल कालीन चित्रकला|मुगल चित्रकला]] में 'स्याह कलम' का विकास किस बादशाह के दरबार में हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-66,प्रश्न-70 | {[[मुगल कालीन चित्रकला|मुगल चित्रकला]] में 'स्याह कलम' का विकास किस बादशाह के दरबार में हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-66,प्रश्न-70 | ||
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-[[जहांगीर]] | -[[जहांगीर]] | ||
-[[औरंगजेब]] | -[[औरंगजेब]] | ||
− | ||[[मुगल कालीन चित्रकला|मुगल चित्रकला]] में 'स्याह कलम' का विकास मुगल बादशाह [[शाहजहां]] के दरबार में हुआ। इसके अंतर्गत काले रंगों का प्रयोग किया गया। इन चित्रों की भाव व्यंजना शून्य है। ये स्थित मुद्राओं को प्रकट करते | + | ||[[मुगल कालीन चित्रकला|मुगल चित्रकला]] में 'स्याह कलम' का विकास मुगल बादशाह [[शाहजहां]] के दरबार में हुआ। इसके अंतर्गत काले रंगों का प्रयोग किया गया। इन चित्रों की भाव व्यंजना शून्य है। ये स्थित मुद्राओं को प्रकट करते हैं तथा अस्वाभाविक अलंकरण है। इन चित्रों में एक प्रकार का सन्नाटा दृष्टिगोचर होता है। |
{[[रामकिंकर बैज|राम किंकर बैज]] की कला शिक्षा कहां हुई थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-83,प्रश्न-46 | {[[रामकिंकर बैज|राम किंकर बैज]] की कला शिक्षा कहां हुई थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-83,प्रश्न-46 | ||
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+[[शांतिनिकेतन]] | +[[शांतिनिकेतन]] | ||
-बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट्स | -बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट्स | ||
− | ||[[रामकिंकर बैज|राम किंकर बैज]] का जन्म वर्ष 1910 में [[पश्चिम बंगाल]] | + | ||[[रामकिंकर बैज|राम किंकर बैज]] का जन्म वर्ष 1910 में [[पश्चिम बंगाल]] के बांकुरा में हुआ था। उन्होंने वर्ष [[1925]] में कला भवन, विश्व भारती विश्वविद्यालय, [[शान्तिनिकेतन]] में कला की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने दो यूरोपीय शिल्पकारों से शिक्षा प्राप्त की। इनमें से एक बोर्डिले के शिष्य थे जो टैगोर के आमंत्रण पर शांतिनेकेतन की यात्रा पर आए थे। राम किंकर बैज की मृत्यु [[2 अगस्त]], 1980 को [[कलकत्ता]] (वर्तमान कोलकत्ता) में हो गई। |
− | {छपाई कला | + | {छपाई कला की खोज कहाँ हुई थी- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-192,प्रश्न-60 |
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-[[इंग्लैंड]] | -[[इंग्लैंड]] | ||
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+[[चीन]] | +[[चीन]] | ||
-[[भारत]] | -[[भारत]] | ||
− | ||छपाई कला की खोज सबसे पहले चीन में हुई थी। लगभग 7वीं सदी में ही चीन वारा वुड ब्लॉक प्रिंटिंग के माध्यम से छपाई कला का प्रयोग किया जा रहा था। [[यूरोप]] में भी यह कला 14वीं शताब्दी के आस-पास प्रयोग की जा रही थी। गुटेनबर्ग ने घातुओं का प्रयोग कर सबसे पहले 'लेटर प्रेस प्रिंटिंग तकनीक' को विकसित किया था। | + | ||छपाई कला की खोज सबसे पहले [[चीन]] में हुई थी। लगभग 7वीं सदी में ही चीन वारा वुड ब्लॉक प्रिंटिंग के माध्यम से छपाई कला का प्रयोग किया जा रहा था। [[यूरोप]] में भी यह कला 14वीं शताब्दी के आस-पास प्रयोग की जा रही थी। गुटेनबर्ग ने घातुओं का प्रयोग कर सबसे पहले 'लेटर प्रेस प्रिंटिंग तकनीक' को विकसित किया था। |
{'[[रबीन्द्रनाथ टैगोर]]' किस चित्र-शैली से संबद्ध थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-85,प्रश्न-64 | {'[[रबीन्द्रनाथ टैगोर]]' किस चित्र-शैली से संबद्ध थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-85,प्रश्न-64 | ||
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-बंगाल स्कूल | -बंगाल स्कूल | ||
-राजस्थानी स्कूल | -राजस्थानी स्कूल | ||
− | ||[[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] आधुनिक [[चित्रकला]] शैली से संबद्ध थे। साहित्य के लिए [[नोबेल पुरस्कार]] (1913) से सम्मानित रबीन्द्रनाथ टैगोर (1861-1941 ई.) एक संपन्न बंगाली परिवार में पैदा हुए थे। वे नोबेल प्राप्त करने वाले प्रथम भारतीय | + | ||[[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] आधुनिक [[चित्रकला]] शैली से संबद्ध थे। साहित्य के लिए [[नोबेल पुरस्कार]] (1913) से सम्मानित रबीन्द्रनाथ टैगोर (1861-1941 ई.) एक संपन्न बंगाली परिवार में पैदा हुए थे। वे नोबेल प्राप्त करने वाले प्रथम भारतीय थे। |
{जॉन कांस्टेबल संबंधित हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-118,प्रश्न-19 | {जॉन कांस्टेबल संबंधित हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-118,प्रश्न-19 | ||
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+इंग्लिश रोमांटिक पेंटिंग | +इंग्लिश रोमांटिक पेंटिंग | ||
||आधुनिक काल के प्रणेताओं में गोया, दाविए तथा टर्नर के साथ ही जॉन कांस्टेबल का नाम लिखा जाता है। टर्नर की भांति वह प्राकृतिक दृश्य को किसी पौराणिक अथवा ऐतिहासिक कथानक से या प्रतीक से जोड़कर प्रस्तुत नहीं करता था अपितु किसी भी सरल, सुपरिचित स्थान को सरल विधि से ही अंकित करना चाहता था। इसलिए उसके दृश्य-चित्र 'प्रकृत्याश्रित' कहे जाते हैं। | ||आधुनिक काल के प्रणेताओं में गोया, दाविए तथा टर्नर के साथ ही जॉन कांस्टेबल का नाम लिखा जाता है। टर्नर की भांति वह प्राकृतिक दृश्य को किसी पौराणिक अथवा ऐतिहासिक कथानक से या प्रतीक से जोड़कर प्रस्तुत नहीं करता था अपितु किसी भी सरल, सुपरिचित स्थान को सरल विधि से ही अंकित करना चाहता था। इसलिए उसके दृश्य-चित्र 'प्रकृत्याश्रित' कहे जाते हैं। | ||
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12:30, 5 जनवरी 2018 का अवतरण
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