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{प्रसिद्ध कलाकृति 'चक्का फेंकने वाला' का कलाकार कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-197,प्रश्न-88
 
|type="()"}
 
-पालीक्लीटस
 
-रूबेन्स
 
-राफेल
 
+मायरॉन
 
||ई.पू. पांचवीं सदी के आस-पास मायरॉन द्वारा मूर्तियों की मुद्राओं से कठोरता हटाकर उनको लयबद्ध किए जाने का श्रेय प्राप्त है। उनकी सबसे प्रसिद्ध मूर्ति 'Discus Throw' (चक्का फेंकने वाला नष्ट) हो चुकी है किंतु उसकी प्रतिकृति मूर्तिकारों द्वारा तैयार की गई है।
 
 
{एक ऐसे नेता का नाम बताइए जिसने अपनी जीविका का प्रारंभ एक कार्टून [[चित्रकार]] के रूप में किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-362
 
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+[[आर. के. लक्ष्मण]]
 
-[[बाल ठाकरे]]
 
-[[वी. पी. सिंह|वी.पी. सिंह]]
 
-[[इंद्र कुमार गुजराल]]
 
||[[आर. के. लक्ष्मण|श्री आर. के. लक्ष्मण]] [[भारत]] के प्रमुख [[हास्य रस]] लेखक और व्यंग चित्रकार थे। उन्हें 'द कॉमन मैन' नामक रचना तथा [[समाचारपत्र|समाचार-पत्र]] टाइम्स ऑफ़ इंडिया के लिए प्रतिदिन लिखी जाने वाली कार्टून शृंखला 'यू सैड इट' के लिए जाना जाता है। इन्हें [[पद्म विभूषण]], [[पद्म भूषण]] आदि पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। इससे सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) आर.के. लक्ष्मण का जन्म वर्ष [[1924]] में [[मैसूर]] में हुआ था तथा इनकी मृत्यु [[26 जनवरी]], [[2015]] को [[पुणे]] ([[महाराष्ट्र]]) में हुई थी। (2) इन्होंने [[मैसूर]] के महाराजा कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। (3) इन्होंने [[बाल ठाकरे|बाला साहेब ठाकरे]] (संस्थापक [[शिव सेना]]) के साथ 'द फ्री प्रेस जर्नल' ([[मुंबई]]) में बतौर कार्टूनिस्ट का कार्य किया। (4) बाद में ये 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' के साथ जुड़ गए जहाँ यह अंत तक जुड़े रहे। (5) इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं- 'द डिस्टार्टेड मिरर' (2003), 'द होटल रिवेरा' (1988) (उपन्यास), 'दे मेसेंजर, (1993), 'सर्वेंट्स ऑफ़ इंडिया' (2000), 'द टनेल ऑफ़ टाइम' (1998)।
 
 
{दजला और फरात नदियों के दोआब में पनपी सभ्यता किसकी है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-15
 
|type="()"}
 
-मिस्त्र
 
-ग्रीक
 
-[[भारत]]
 
+[[मेसोपोटामिया]]
 
||'[[मेसोपोटामिया]]' का यूनानी अर्थ है- 'दो नदियों के बीच'। यह क्षेत्र दजला (टिगरिस) और फरात (इयुफ्रेटीस) नदियों के बीच में पड़ता है। मेसोपोटामिया को अब 'इराक' कहते हैं। यह कांस्य युगीन सभ्यता का उद्गम स्थल माना जाता है। यहां सुमेर, अक्कदी सभ्यता, बेबीलोन तथा असीरिया के साम्राज्य अलग-अलग समय में स्थापित हुए थे। यहां का प्रसिद्ध प्राचीन नगर 'उर' है, जिसे 'इब्राहिम का नगर' भी कहते हैं। निमरुद (मारी), उरुक, सूसा (ईरान) तथा लगाश यहां के प्राचीन उत्खनन के विशेष क्षेत्र रहे हैं।
 
 
{आधुनिक भारतीय चित्रकला के पितामह कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-86
 
|type="()"}
 
+[[अबनींद्रनाथ टैगोर]]
 
-[[रबींद्रनाथ टैगोर]]
 
-[[गगनेंद्रनाथ टैगोर]]
 
-क्षितींद्रनाथ टैगोर
 
||[[अबनीन्द्रनाथ टैगोर]] को 'आधुनिक भारतीय चित्रकला का पितामह' कहा जाता है। इससे सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) अबनीन्द्रनाथ टैगोर 'इंडियन सोसाइटी ऑफ़  ओरियंटल आर्ट' के निर्माता तथा मुख्य चित्रकार थे। (2) वे [[भारतीय कला]] में स्वदेशी मूल्यों को पिरोने वाले पहले भारतीय चित्रकार थे। (3) 'बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट' की स्थापना अबनीन्द्रनाथ टैगोर ने की थी।
 
 
{सर्वप्रथम लघुचित्र किस पर बनाए गए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-40,प्रश्न-2
 
|type="()"}
 
-[[काग़ज़]]
 
+तालपत्र
 
-कांच
 
-वस्त्र
 
||[[भारत]] में [[बंगाल]] के पाल शासकों के काल में ताल के पत्तों तथा बाद में [[काग़ज़]] पर लद्यु चित्रकारी का प्रचलन बढ़ा। कालांतर में भारत में लघु चित्रकारी कला या मिनीएचर आर्ट का प्रारंभ मुग़लों द्वारा किया गया जो 'मुग़ल शैली' के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस प्रसिद्ध [[कला]] को फ़राज (पर्शिया या [[ईरान]]) से लेकर आया माना जाता है। सर्वप्रथम मुग़ल शासक [[हुमायूं]] ने फ़राज़ से लघु चित्रकारी में विशेषज्ञ कलाकारों को बुलवाया था। मुग़ल बादशाह [[अकबर]] ने भी इस भव्य कला को बढ़ावा दिया। इससे सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) इस शैली के चित्रकारों को [[जहांगीर]] व [[शाहजहां]] ने भी भरपूर प्रश्रय दिया। (2) [[मुग़ल काल]] में राजस्थान में इस चित्रकला के कई स्कूल प्रारम्भ हुए। (3) भौगोलिक स्थिती, सांस्कृतिक एंव शैलीगत विशेषताओं के आधार पर इन स्कूलों को चार भागों में विभाजित किया गया, ये हैं- मेवाड़ स्कूल, मारवाड़ स्कूल, हाड़ौती स्कूल, ढूंढाड़ स्कूल।
 
 
{'निहाल चंद' कलाकार किस शैली से संबंधित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-14
 
|type="()"}
 
-जैन शैली
 
-अपभ्रंश शैली
 
-आधुनिक शैली
 
+[[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी शैली]]
 
||निहाल चंद [[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी चित्रकला शैली]] की किशनगढ़ उपशैली से संबंधित हैं। निहालचंद द्वारा चित्रित चित्रों का संकलन 'नागर समुच्चय' नामक से प्रसिद्ध है।
 
  
{प्रख्यात मूर्तिकार चिंतामणि कर निम्नलिखित में से किस ललित कला विद्यालय में प्रधानाचार्य थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-89,प्रश्न-87
 
|type="()"}
 
-मद्रास कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स
 
-लखनऊ कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स
 
-दिल्ली कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स
 
+कलकत्ता कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स
 
||प्रख्यात मूर्तिकार चिंतामणि कर कलकत्ता कॉलेज आर्ट्स, में प्रधानाचार्य थे। इससे सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकर हैं- (1) वर्ष [[1948]] में [[लंदन]] में आयोजित [[ओलंपिक खेल|ओलंपिक]] में चिंतामणि ने [[ब्रिटेन]] की तरफ़ से शामिल होकर रजत पदक जीता था। (2) इन्होंने मेडल अपने महत्त्वपूर्ण कार्य 'द स्टैग' के लिए जीता।
 
  
 
{निम्न में से कौन-सा [[राजस्थानी चित्रकला]] का केंद्र नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-3
 
{निम्न में से कौन-सा [[राजस्थानी चित्रकला]] का केंद्र नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-3
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-[[चावंड उदयपुर|चावंड]]
 
-[[चावंड उदयपुर|चावंड]]
 
+[[गुलेर]]
 
+[[गुलेर]]
||[[गुलेरी चित्रकला|गुलेर चित्रकला]] का संबंध [[पहाड़ी चित्रकला|पहाड़ी कला]] से है। पहाड़ी कला में कांगड़ा शैली को रंग-रूप देने एवं ऊंचाइयों तक पहुंचाने का महत्त्वपूर्ण कार्य करने वाली शैली '[[गुलेर]]' ही थी। गुलेर राज्य की स्थापना राजा हरि चंद ने 1405 ई. [[कांगड़ा|कांगड़ा राज्य]] के एक शाखा के रूप में की थी। गुलेर के राजा गोवर्धन सिंह के समय में निश्चित रूप से चित्र बनने लगे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) देवगढ़ चित्रशैली का संबंध [[राजस्थानी चित्रकला]] से था। (2) शेखावटी चित्रकला शैली का संबंध राजस्थानी चित्रकला से था। (3) परदाज का प्रयोग अलवर चित्र शैली राजस्थानी चित्र शैली में अर्शनीय होते हैं। (4) गुलेर राज्य को मुग़ल संरक्षण भी प्राप्त था। गुलेर के राजा रूपचंद को '[[मानसिंह]]' का समर्थन मिला। (4) राजा मानसिंह, [[शाहजहां]] एवं [[औरंगजेब]] के लिए यहां के राजा ने [[अफ़ग़ानिस्तान]] एवं [[कंधार]] के युद्ध में हिस्सा लिया। इससे प्रसन्न होकर मुग़ल शहंशाहों ने 'अफ़गानी चीता' की उपाधि प्रदान की, तभी से यहां के राजा 'चंद' के स्थान पर 'सिंह' लिखने लगे।
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||[[गुलेरी चित्रकला|गुलेर चित्रकला]] का संबंध [[पहाड़ी चित्रकला|पहाड़ी कला]] से है। पहाड़ी कला में कांगड़ा शैली को रंग-रूप देने एवं ऊंचाइयों तक पहुंचाने का महत्त्वपूर्ण कार्य करने वाली शैली '[[गुलेर]]' ही थी। गुलेर राज्य की स्थापना राजा हरि चंद ने 1405 ई. [[कांगड़ा|कांगड़ा राज्य]] के एक शाखा के रूप में की थी। गुलेर के राजा गोवर्धन सिंह के समय में निश्चित रूप से चित्र बनने लगे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) देवगढ़ चित्रशैली का संबंध [[राजस्थानी चित्रकला]] से था। (2) शेखावटी चित्रकला शैली का संबंध राजस्थानी चित्रकला से था। (3) परदाज का प्रयोग अलवर चित्र शैली राजस्थानी चित्र शैली में दर्शनीय होते हैं। (4) गुलेर राज्य को मुग़ल संरक्षण भी प्राप्त था। गुलेर के राजा रूपचंद को '[[मानसिंह]]' का समर्थन मिला। (4) राजा मानसिंह, [[शाहजहां]] एवं [[औरंगजेब]] के लिए यहां के राजा ने [[अफ़ग़ानिस्तान]] एवं [[कंधार]] के युद्ध में हिस्सा लिया। इससे प्रसन्न होकर मुग़ल शहंशाहों ने 'अफ़गानी चीता' की उपाधि प्रदान की, तभी से यहां के राजा 'चंद' के स्थान पर 'सिंह' लिखने लगे।
  
 
{बंगाल चित्र-शैली इनमें से किस एक विशेषता के कारण जानी जाती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-4
 
{बंगाल चित्र-शैली इनमें से किस एक विशेषता के कारण जानी जाती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-4
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||[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] के पुनर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और भारतीय चित्रकला ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक [[अबनीन्द्रनाथ टैगोर]] थे।
 
||[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] के पुनर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और भारतीय चित्रकला ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक [[अबनीन्द्रनाथ टैगोर]] थे।
  
{इनमें से कौन बंगाल शैली का चित्रकार नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-84
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{इनमें से कौन बंगाल शैली का [[चित्रकार]] नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-84
 
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-शारदा उकील
 
-शारदा उकील

12:26, 3 फ़रवरी 2018 का अवतरण

1 {निम्न में से कौन-सा राजस्थानी चित्रकला का केंद्र नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-3

किशनगढ़
बूंदी
चावंड
गुलेर

2 बंगाल चित्र-शैली इनमें से किस एक विशेषता के कारण जानी जाती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-4

ऑयल तकनीक
वॉश तकनीक
मिनिएचर तकनीक
म्यूरल तकनीक

3 इनमें से कौन बंगाल शैली का चित्रकार नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-84

शारदा उकील
सुधीर खास्तगीर
मुकुल डे
ईश्वरी प्रसाद