बाली इंडोनेसिया

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बाली का एक दृश्य

बाली इंडोनेसिया का, जावा के सन्निकट पर स्थित एक द्वीप है। जहाँ पर वर्तमान काल में भी प्राचीन हिन्दू धर्म और संस्कृति जीवित अवस्था में है। संम्भवत: गुप्तकाल चौथी पाँचवीं शती ई. में इस द्वीप में हिन्दू उपनिवेश एवं राज्य स्थापित हुआ था। कहा जाता है कि इस द्वीप का नाम पुराणों में प्रसिद्ध, पाताल देश के राजा बलि के नाम पर रखा गया है।

इतिहास

चीन के लियांगवंश (502-556 ई.) के इतिहास में इस द्वीप का सर्वप्रथम ऐतिहासिक उल्लेख मिलता है जहाँ इसे पोली कहा गया है। इस उल्लेख से विदित होता है कि बाली में इस काल में एक समृद्धशाली तथा उन्नत हिन्दू राज्य स्थापित था। यहाँ के राजा बौद्ध धर्म में भी श्रद्धा रखते थे। इस राज्य की ओर से 1518 ई. में चीन को एक राजदूत भेजा गया था। चीनी यात्री इत्सिंग लिखता है कि बाली दक्षिण समुद्र के उन द्वीपों में है जहाँ मूल सर्वास्तिवाद निकाय का सर्वत्र प्रचार है। मध्य युग में जावा व अन्य द्वीपों में अरबों के आक्रमण हुए और प्राचीन हिन्दू राज्यों की सत्ता समाप्त हो गई किंतु बाली तक ये अरब न पहुँच सके। फलस्वरूप यहाँ की प्राचीन हिन्दू सभ्यता और संस्कृति व धार्मिक परंपरा वर्तमान काल तक प्राय: अक्षुण्ण बनी रही है। 18वीं शती में बाली पर डचों का राजनीतिक अधिकार हो गया था। किंतु उनका प्रभाव यहाँ के केबल राजनीतिक जीवन पर ही पड़ा और बाली निवासियों की सामाजिक और धार्मिक परंपरा में बहुत कम परिवर्तन हए थे। कहा जाता है कि इस द्वीप का नाम पुराणों में प्रसिद्ध, पाताल देश के राजा बलि के नाम पर रखा गया है।

पुर बेसकिह, बाली

बाली एक विश्व विख्यात पर्यटन स्थान है जिसकी कला, संगीत, नृत्य और मन्दिर मनमोहक हैं। यहाँ की राजधानी देनपसार नगर है। बाली कला और संस्कृति का प्रधान स्थान है। बाली में जिम्बरन एक स्थान है। जो पहले मछुओं का ग्राम था। और अब एक पर्यटन स्थल है।

इस द्वीप के उत्तरी तट पर सिंहराज नगर स्थापित है। अगुंग पर्वत और ज्वालामुखी बतुर पर्वत दो ऊँची चोटियाँ हैं। बाली में इंडोनीसिया के दक्षिणी क्षेत्र में अनेक ख़ूबसूरत द्वीप स्थित हैं।

विशेष

बाली देश की प्राचीन भाषा को कवि कहते है जो संस्कृत में बहुत अधिक प्रभावित है। बाली में संस्कृत भाषा में भी अनेक ग्रंथ लिखे गए हैं। रामायण और महाभारत का बाली के दैनिक जीवन में आज भी अमिट प्रभाव है।

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