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कलचुरी काल के बाद जबलपुर मे गोंड शासकों का दौर आया। उस समय गढ़ा गोन्ड राज्य की राजधानी हुआ करता था। जो की गोंड शासक मदन शाह के द्वारा स्थापित की गयी थी, उसके बाद राजा संग्राम शाह ने 52 गढ़ स्थापित किये। मदन महल की स्थापना गोंड शासक मदन शाह ने की थी। फिर राजा दलपत शाह और [[रानी दुर्गावती]] ने राजधानी गढ़ा की कमान सम्भाली। आज भी यह किला रानी दुर्गावती के किले के नाम से ही जाना जाता है। यह भवन अब भारतीय पुरातत्व संस्थान की देख रेख में है।
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कलचुरी काल के बाद जबलपुर मे गोन्ड शासकों का दौर आया । <br />
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* मदन महल पहुंचने के लिये निकटतम रेल्वे स्टेशन है "मदन महल" जो कि जबलपुर मुख्य स्टेशन का ही उपस्टेशन है। बस स्टैन्ड से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी के लिये बस, टैक्सी, आटो रिक्शा आसानी से मिल जाते है।
उस समय गढ़ा गोन्ड राज्य की राजधानी हुआ करता था । जो की गोन्ड शासक मदन शाह के द्वारा स्थापित की गयी थी, <br />
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* किले तक पहुंचने के लिये कुछ सीढीयाँ चढ़नी होती हैं
उसके बाद राजा सन्ग्राम शाह ने 52 गढ़ स्थापित किये । मदन महल की स्थापना गोन्ड शासक मदन शाह ने कि थी ।<br />
 
फिर राजा दलपत शाह और रानी दुर्गावती ने राजधानी गढ़ा की कमान सम्भाली । आज भी यह किला रानी दुर्गावती के किले के नाम से ही जाना जाता है
 
यह भवन अब भारतीय पुरातत्व संस्थान की देख रेख में है
 
  
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जबलपुर से 7 किलोमीटर की दूरी पर  जबलपुर नागपुर हाईवे पर स्थित मदन महल किला गोन्ड साम्राज्य कि गाथा का बखान कर रहा है ।<br />
 
मदन महल पहुंचने के लिये निकटतम रेल्वे स्टेशन है "मदन महल" जो कि जबलपुर मुख्य स्टेशन का ही उपस्टेशन है । बस स्टैन्ड से लगभग 5 किलोमीटर<br />
 
की दूरी के लिये बस, टैक्सी, आटो रिक्शा आसानी से मिल जाते है । किले तक पहुंचने के लिये कुछ सीढीयाँ चढ़नी होती हैं ।
 
  
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1.<big>''' शारदा देवी मन्दिर'''</big> - मदन महल किले की पूर्वी पहाडी पर स्थित है शारदा देवी का प्रचीन मन्दिर, जिसके बारे मे कहा जाता है कि इस मन्दिर का निर्माण गोंड शासकों ने ही करवाया था  । यहाँ प्रतिवर्ष श्रावण माह के प्रति सोमवार को एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है ।
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मदन महल किले की पूर्वी पहाड़ी पर स्थित है शारदा देवी का प्रचीन मन्दिर, जिसके बारे मे कहा जाता है कि इस मन्दिर का निर्माण गोंड शासकों ने ही करवाया था। यहाँ प्रतिवर्ष [[श्रावण]] माह के प्रति [[सोमवार]] को एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।
 
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शारदा देवी मन्दिर से नीचे उतरते ही है संतुलित चट्टान, जिसे "Balance Rock" कहा जाता है, इस चट्टान का संतुलन देखते ही बनता है। जबलपुर मे [[22 मई]] [[1997]] को आए [[भूकंप]] मे भी ये चट्टान टस से मस नही हुई है।
 
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====झिरिया वाले बाबा====
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संतुलित चट्टान से कुछ ही आगे है झिरिया वाले बाबा की मज़ार। मज़ार के समीप ही एक छोटा सा [[कुआँ]] है, जिसके पानी को स्थानीय लोग चमत्कारिक मानते हैं। मान्यता है कि इस पानी से सारी शारीरिक एवं मानसिक व्याधियाँ दूर हो जाती हैं।
 
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मदन महल किले के समीप ही है जिन्नाती मस्ज़िद, पहाड़ी के ऊपर बनी ये मस्ज़िद बहुत ही सुंदर है। मस्ज़िद बहुत ही पुरानी है।
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किले के पश्चिमी छोर पर है दरगाह जो बहुत ही पवित्र स्थान है। सभी धर्मों के लोगों की आस्था का केंद्र है।
 
 
4.<big>'''जिन्नाती मस्ज़िद'''</big> - मदन महल किले के समीप ही है जिन्नाती मस्ज़िद, पहाड़ी के ऊपर बनी ये मस्ज़िद बहुत ही सुंदर है | मस्ज़िद बहुत ही पुरानी है |
 
 
 
5.<big>''' दरगाह'''</big> - किले के पश्चिमी छोर पर है दरगाह जो बहुत ही पवित्र स्थान है | सभी धर्मों के लोगों की आस्था का केंद्र है |
 
 
 
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==संबंधित लेख==
 
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06:01, 20 अगस्त 2013 का अवतरण

मदन महल, जबलपुर

इतिहास

कलचुरी काल के बाद जबलपुर मे गोंड शासकों का दौर आया। उस समय गढ़ा गोन्ड राज्य की राजधानी हुआ करता था। जो की गोंड शासक मदन शाह के द्वारा स्थापित की गयी थी, उसके बाद राजा संग्राम शाह ने 52 गढ़ स्थापित किये। मदन महल की स्थापना गोंड शासक मदन शाह ने की थी। फिर राजा दलपत शाह और रानी दुर्गावती ने राजधानी गढ़ा की कमान सम्भाली। आज भी यह किला रानी दुर्गावती के किले के नाम से ही जाना जाता है। यह भवन अब भारतीय पुरातत्व संस्थान की देख रेख में है।

कैसे पहुंचे

  • जबलपुर से 7 किलोमीटर की दूरी पर जबलपुर-नागपुर हाईवे पर स्थित मदन महल किला गोंड साम्राज्य की गाथा का बखान कर रहा है।
  • मदन महल पहुंचने के लिये निकटतम रेल्वे स्टेशन है "मदन महल" जो कि जबलपुर मुख्य स्टेशन का ही उपस्टेशन है। बस स्टैन्ड से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी के लिये बस, टैक्सी, आटो रिक्शा आसानी से मिल जाते है।
  • किले तक पहुंचने के लिये कुछ सीढीयाँ चढ़नी होती हैं ।



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आसपास और क्या ?

शारदा देवी मन्दिर

शारदा देवी मन्दिर

मदन महल किले की पूर्वी पहाड़ी पर स्थित है शारदा देवी का प्रचीन मन्दिर, जिसके बारे मे कहा जाता है कि इस मन्दिर का निर्माण गोंड शासकों ने ही करवाया था। यहाँ प्रतिवर्ष श्रावण माह के प्रति सोमवार को एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।

सन्तुलित चट्टान

सन्तुलित चट्टान

शारदा देवी मन्दिर से नीचे उतरते ही है संतुलित चट्टान, जिसे "Balance Rock" कहा जाता है, इस चट्टान का संतुलन देखते ही बनता है। जबलपुर मे 22 मई 1997 को आए भूकंप मे भी ये चट्टान टस से मस नही हुई है।

झिरिया वाले बाबा

संतुलित चट्टान से कुछ ही आगे है झिरिया वाले बाबा की मज़ार। मज़ार के समीप ही एक छोटा सा कुआँ है, जिसके पानी को स्थानीय लोग चमत्कारिक मानते हैं। मान्यता है कि इस पानी से सारी शारीरिक एवं मानसिक व्याधियाँ दूर हो जाती हैं।

जिन्नाती मस्ज़िद

मदन महल किले के समीप ही है जिन्नाती मस्ज़िद, पहाड़ी के ऊपर बनी ये मस्ज़िद बहुत ही सुंदर है। मस्ज़िद बहुत ही पुरानी है।

दरगाह

दरगाह

किले के पश्चिमी छोर पर है दरगाह जो बहुत ही पवित्र स्थान है। सभी धर्मों के लोगों की आस्था का केंद्र है।


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संबंधित लेख