मन्ना डे

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मन्ना डे (जन्म का नाम- प्रबोध चन्द्र) (जन्म: 1 मई, 1920 कोलकाता) भारतीय सिनेमा जगत में हिन्दी एवं बांग्ला फिल्मों के सुप्रसिद्ध पार्श्व गायक हैं।। 1950 से 1970 के दशकों में इनकी प्रसिद्धि चरम पर थी। इनके गाए गीतों की संख्या 3400 से भी अधिक है। इन्हें 2007 के प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के लिए चुना गया है। भारत सरकार ने इन्हें सन 2005 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। इन्होंने अपने जीवन के 50 साल मुंबई में बिताया।

जीवन परिचय

प्रबोध चन्द्र डे उर्फ मन्ना डे का जन्म एक मई 1920 को कोलकाता में हुआ। मन्ना डे के पिता उन्हें वकील बनाना चाहते थे, लेकिन मन्ना डे का रुझान संगीत की ओर था। वह इसी क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते थे।[1]

शिक्षा और बचपन

मन्ना डे ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा अपने चाचा केसी डे से हासिल की। मन्ना डे के बचपन के दिनों का एक दिलचस्प वाकया है। उस्ताद बादल खान और मन्ना डे के चाचा एक बार साथ-साथ रियाज कर रहे थे। तभी बादल खान ने मन्ना डे की आवाज सुनी और उनके चाचा से पूछा, यह कौन गा रहा है। जब मन्ना डे को बुलाया गया तो उन्होंने कहा कि बस, ऐसे ही गा लेता हूं। लेकिन बादल खान ने मन्ना डे में छिपी प्रतिभा को पहचान लिया। इसके बाद वह अपने चाचा से संगीत की शिक्षा लेने लगे।[1]

गायकी की शुरूआत

मन्ना डे 1940 के दशक में अपने चाचा के साथ संगीत के क्षेत्र में अपने सपनों को साकार करने के लिए मुंबई आ गए। वर्ष 1943 में फिल्म तमन्ना में बतौर पार्श्व गायक उन्हें सुरैया के साथ गाने का मौका मिला। हालांकि इससे पहले वह फिल्म रामराज्य में कोरस के रूप में गा चुके थे। दिलचस्प बात है कि यही एक एकमात्र फिल्म थी जिसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने देखा था। मन्ना डे की प्रतिभा को पहचानने वालों में संगीतकार शंकर जयकिशन का नाम खास तौर पर उल्लेखनीय है। इस जोडी़ ने मन्ना डे से अलग-अलग शैली में गीत गवाए। उन्होंने मन्ना डे से 'आजा सनम मधुर चांदनी में हम...' जैसे रुमानी गीत और 'केतकी गुलाब जूही...' जैसे शास्त्रीय राग पर आधारित गीत भी गवाए। दिलचस्प बात है कि शुरुआत में मन्ना डे ने यह गीत गाने से मना कर दिया था।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 सबसे जुदा है मन्ना डे की गायकी का अंदाज (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) लाइव हिन्दुस्तान डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 26 अप्रॅल, 2011।

बाहरी कड़ियाँ

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