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'''मुस्लिम तिथिपत्र''' को इस्लामी तिथिपत्र भी कहा जाता है। यह [[मुस्लिम]] जगत में प्रयुक्त कालगणना प्रणाली है।<ref>तुर्की एक अपवाद है, जहाँ [[ग्रेगोरी कलॅण्डर]] का उपयोग किया जाता है।</ref> यह 12 [[महीने|महीनों]] के [[वर्ष]] पर आधारित है, प्रत्येक [[माह]] लगभग नए [[चंद्रमा]] से शुरू होता है।<ref>परंतु ईरानी मुस्लिम तिथिपत्र [[सौर वर्ष]] पर आधारित है।</ref>  
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'''मुस्लिम तिथिपत्र''' को इस्लामी तिथिपत्र भी कहा जाता है। यह [[मुस्लिम]] जगत् में प्रयुक्त कालगणना प्रणाली है।<ref>तुर्की एक अपवाद है, जहाँ [[ग्रेगोरी कलॅण्डर]] का उपयोग किया जाता है।</ref> यह 12 [[महीने|महीनों]] के [[वर्ष]] पर आधारित है, प्रत्येक [[माह]] लगभग नए [[चंद्रमा]] से शुरू होता है।<ref>परंतु ईरानी मुस्लिम तिथिपत्र [[सौर वर्ष]] पर आधारित है।</ref>  
 
==ज़ुलहिज्जाह==
 
==ज़ुलहिज्जाह==
इसमें महीने क्रमशः 30 और 29 दिनों के होते हैं, केवल 12वें महीने को छोड़कर, ज़ुलाहिज्जाह कहा जाता है, जिसकी लंबाई 30 वर्षीय चक्र में बदलती है, यह चंद्रमा की सही कलाओं के साथ चलने के लिए किया जाता है। इस चक्र के 11 वर्षों में ज़ुलहिज्जाह के 30 दिन होते है और शेष 19 वर्षों में उसके 29 दिन ही रहते हैं। इस प्रकार एक वर्ष में 354 या 355 दिन होते हैं। कोई माह आपस में समाविष्ट या समायोजित नहीं किया जाता, इस कारण अलग-अलग नाम वाले महीने उसी ॠतु में नहीं आते, वे संपूर्ण सौर वर्ष में या ॠतु आधारित वर्ष में पीछे हटते जाते हैं, यह क्रम (लगभग 365.25 दिन का) प्रत्येक 32.5 सौर वर्षों में पूरा होता है।
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इसमें [[महीने]] क्रमशः 30 और 29 [[दिन|दिनों]] के होते हैं, केवल 12वें महीने को छोड़कर, जिसकी लंबाई 30 वर्षीय चक्र में बदलती है। यह [[चंद्रमा]] की सही कलाओं के साथ चलने के लिए किया जाता है। इस चक्र के 11 वर्षों में ज़ुलहिज्जाह के 30 दिन होते है और शेष 19 वर्षों में उसके 29 दिन ही रहते हैं। इस प्रकार एक [[वर्ष]] में 354 या 355 दिन होते हैं। कोई माह आपस में समाविष्ट या समायोजित नहीं किया जाता, इस कारण अलग-अलग नाम वाले महीने उसी [[ऋतु]] में नहीं आते, वे संपूर्ण [[सौर वर्ष]] में या [[ऋतु]] आधारित वर्ष में पीछे हटते जाते हैं, यह क्रम<ref>लगभग 365.25 दिन का</ref>प्रत्येक 32.5 सौर वर्षों में पूरा होता है।
  
 
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11:04, 10 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण

मुस्लिम तिथिपत्र को इस्लामी तिथिपत्र भी कहा जाता है। यह मुस्लिम जगत् में प्रयुक्त कालगणना प्रणाली है।[1] यह 12 महीनों के वर्ष पर आधारित है, प्रत्येक माह लगभग नए चंद्रमा से शुरू होता है।[2]

ज़ुलहिज्जाह

इसमें महीने क्रमशः 30 और 29 दिनों के होते हैं, केवल 12वें महीने को छोड़कर, जिसकी लंबाई 30 वर्षीय चक्र में बदलती है। यह चंद्रमा की सही कलाओं के साथ चलने के लिए किया जाता है। इस चक्र के 11 वर्षों में ज़ुलहिज्जाह के 30 दिन होते है और शेष 19 वर्षों में उसके 29 दिन ही रहते हैं। इस प्रकार एक वर्ष में 354 या 355 दिन होते हैं। कोई माह आपस में समाविष्ट या समायोजित नहीं किया जाता, इस कारण अलग-अलग नाम वाले महीने उसी ऋतु में नहीं आते, वे संपूर्ण सौर वर्ष में या ऋतु आधारित वर्ष में पीछे हटते जाते हैं, यह क्रम[3]प्रत्येक 32.5 सौर वर्षों में पूरा होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. तुर्की एक अपवाद है, जहाँ ग्रेगोरी कलॅण्डर का उपयोग किया जाता है।
  2. परंतु ईरानी मुस्लिम तिथिपत्र सौर वर्ष पर आधारित है।
  3. लगभग 365.25 दिन का

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