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'''रमेश भाई''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ramesh bhai'', जन्म: [[1 मई]], [[1951]], [[हरदोई]], [[उत्तर प्रदेश]]; मृत्यु: [[19 नवम्बर]], [[2008]]) [[भारत]] के जाने-माने समाज सुधारक एवं '[[भूदान यज्ञ आंदोलन|भूदान यज्ञ]]' नामक आन्दोलन के संस्थापक [[विनोबा भावे]] के अनुयायी थे। एक समाज सुधारक के रूप में रमेश भाई ने भी अच्छा नाम अर्जित किया था। ये '[[सर्वोदय आश्रम टडियांवा]]' के संस्थापक थे। उनकी संगठन कुशलता एवं संवेदनशील प्रशासन ने उन्हें बहुत अधिक लोकप्रिय बनाया।
'''रमेश भाई''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ramesh bhai'', जन्म: [[1 मई]], [[1951]], हरदोई, उत्तर प्रदेश; मृत्यु: [[19 नवम्बर]], [[2008]]) [[भारत]] के जाने-माने समाज सुधारक एवं '[[भूदान यज्ञ आंदोलन|भूदान यज्ञ]]' नामक आन्दोलन के संस्थापक [[विनोबा भावे]] के अनुयायी थे। एक समाज सुधारक के रूप में रमेश भाई ने भी अच्छा नाम अर्जित किया था। '[[सर्वोदय आश्रम टडियांवा]]' के वे संस्थापक थे। उनकी संगठन कुशलता एवं संवेदनशील प्रशासन ने उन्हें बहुत अधिक लोकप्रिय बनाया।
 
 
==जीवन परिचय==
 
==जीवन परिचय==
रमेश भाई का जन्म 1 मई, 1951 को [[उत्तर प्रदेश]] के हरदोई ज़िले के थमरवा गांव में हुआ था। इनका मूल नाम 'रमेश चन्द श्रीवास्तव' था। रमेश भाई का सम्पूर्ण जीवन [[विनोबा भावे]] की विचारधाराओं को समर्पित रहा। एक शिक्षक परिवार में जन्म लेकर उनको यह तो पता चल ही गया था कि समाज का जो स्वरूप आस-पास दिखाई देता है, वह प्रयासपूर्वक बदला भी जा सकता है।
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रमेश भाई का जन्म 1 मई, 1951 को [[उत्तर प्रदेश]] के हरदोई ज़िले के थमरवा गांव में हुआ था। इनका पूरा नाम 'रमेश चन्द श्रीवास्तव' था। रमेश भाई का सम्पूर्ण जीवन [[विनोबा भावे]] की विचारधाराओं को समर्पित रहा। एक शिक्षक [[परिवार]] में जन्म लेकर उनको यह तो पता चल ही गया था कि समाज का जो स्वरूप आस-पास दिखाई देता है, वह प्रयासपूर्वक बदला भी जा सकता है।
 
==आश्रम की स्थापना==
 
==आश्रम की स्थापना==
सर्वोदय कार्यकर्ता के लिए [[गाँधीजी]] के विचारों द्वारा जो खाका तैयार किया गया है, जिसमें उसके चिन्तनशील मष्तिष्क, करूणाशील [[हृदय]] एव सजृनशील हाथों की अपेक्षा की गयी है, पर रमेश भाई खरे उतरते हैं। इन्होंने आचार्य विनोबा भावे जी की मृत्यु के उपरांत [[1983]] में गांधीजी व विनोवा जी के दर्शन से प्रेरित '[[सर्वोदय आश्रम टडियांवा]]' की नींव रखी। वास्तव में यह आश्रम एक सामुदायिक सहजीवन की कल्पना करके बना था, जिसमें सामाजिक कार्य करने वाले लोग अपने अनुसार कार्य कर सकें।
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सर्वोदय कार्यकर्ता के लिए [[गाँधीजी]] के विचारों द्वारा जो खाका तैयार किया गया है, जिसमें उसके चिन्तनशील मष्तिष्क, करुणाशील [[हृदय]] एव सजृनशील हाथों की अपेक्षा की गयी है, उस पर रमेश भाई खरे उतरते हैं। इन्होंने आचार्य विनोबा भावे जी की मृत्यु के उपरांत [[1983]] में गांधीजी व विनोवा जी के दर्शन से प्रेरित '[[सर्वोदय आश्रम टडियांवा]]' की नींव रखी। वास्तव में यह आश्रम एक सामुदायिक सहजीवन की कल्पना करके बना था, जिसमें सामाजिक कार्य करने वाले लोग अपने अनुसार कार्य कर सकें।
 
==संगठन क्षमता==
 
==संगठन क्षमता==
विनोबा भावे के '[[भूदान यज्ञ आंदोलन]]' से प्रेरित होकर [[उत्तर प्रदेश]] के 25 जनपदों में रमेश भाई के नेतृत्व में 'ऊसर भूमि सुधार कार्यक्रम' सफलता पूर्वक चलाया गया था। उनकी संगठन कुशलता एवं संवेदनशील प्रशासन ने उन्हें बहुत अधिक लोकप्रिय बनाया। परमश्रद्धेय दीदी [[निर्मला देशपाण्डे]] को उनके अन्दर नेतृत्व क्षमता के दर्शन बहुत पहले हो गये थे। जब-जब दीदी से जुडे किसी राष्ट्रीय सम्मेलन का नेतृत्व उनको मिला, तब-तब उनके धीर-गम्भीर संतुलित एवं सार्थक वक्तव्य कौशल को लोगों ने सराहा। अनेक मोर्चों पर रमेश भाई उनके विश्वस्ततम् साथी थे। दीदी को रमेश भाई में आन्दोलन को आगे ले जाने की क्षमता दिखाई देती थी।
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विनोबा भावे के '[[भूदान यज्ञ आंदोलन]]' से प्रेरित होकर [[उत्तर प्रदेश]] के 25 जनपदों में रमेश भाई के नेतृत्व में 'ऊसर भूमि सुधार कार्यक्रम' सफलता पूर्वक चलाया गया था। उनकी संगठन कुशलता एवं संवेदनशील प्रशासन ने उन्हें बहुत अधिक लोकप्रिय बनाया। परमश्रद्धेय दीदी [[निर्मला देशपाण्डे]] को उनके अन्दर नेतृत्व क्षमता के दर्शन बहुत पहले हो गये थे। जब-जब दीदी से जुड़े किसी राष्ट्रीय सम्मेलन का नेतृत्व उनको मिला, तब-तब उनके धीर-गम्भीर संतुलित एवं सार्थक वक्तव्य कौशल को लोगों ने सराहा। अनेक मोर्चों पर रमेश भाई उनके विश्वस्ततम् साथी थे। दीदी को रमेश भाई में आन्दोलन को आगे ले जाने की क्षमता दिखाई देती थी।
 
==मृत्यु==
 
==मृत्यु==
[[19 नवम्बर]], [[2008]] को रमेश ने '[[सर्वोदय आश्रम टडियांवा]]' के परिसर में अपनी नश्वर देह त्याग दी। रमेश भाई परंपराओं और विद्यमान सामाजिक रूढियों के विरूद्ध अपनी मृत्यु के उपरांत भी खडे रहे तथा उनकी इच्छानुसार और [[पुत्र]] अनुराग के उपस्थित होने के बावजूद उनकी नश्वर देह को मुखाग्नि उनकी [[पुत्री]] रश्मि ने ही दी
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[[19 नवम्बर]], [[2008]] को रमेश ने '[[सर्वोदय आश्रम टडियांवा]]' के परिसर में अपनी नश्वर देह त्याग दी। रमेश भाई परंपराओं और विद्यमान सामाजिक रूढियों के विरुद्ध अपनी मृत्यु के उपरांत भी खडे रहे तथा उनकी इच्छानुसार और [[पुत्र]] अनुराग के उपस्थित होने के बावजूद उनकी नश्वर देह को मुखाग्नि उनकी [[पुत्री]] रश्मि ने ही दी
 
== पुण्य स्मरण==
 
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*स्व. रमेश भाई को श्रद्धांजलिस्वरूप उनके बासठवें जन्मदिवस समारोह [[1 मई]], [[2013]] के अवसर पर '[[सर्वोदय आश्रम टडियांवा]]' मे आयोजित समारोह में 'भारतकोश' पर रमेश भाई से संबंधित सामग्री को वैश्विक पाठक वर्ग को समर्पित किया गया।
 
*स्व. रमेश भाई को श्रद्धांजलिस्वरूप उनके बासठवें जन्मदिवस समारोह [[1 मई]], [[2013]] के अवसर पर '[[सर्वोदय आश्रम टडियांवा]]' मे आयोजित समारोह में 'भारतकोश' पर रमेश भाई से संबंधित सामग्री को वैश्विक पाठक वर्ग को समर्पित किया गया।
 
   
 
   
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चित्र:Prarthana1.jpg|[[गाँधी भवन, हरदोई|गांधी भवन]] परिसर में [[प्रार्थना]]  
 
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चित्र:Mukhagni.JPG|रमेश भाई को मुखाग्नि देती उनकी पुत्री रश्मि
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चित्र:Bhai_ji_47.jpg|वर्ष [[1998]] [[कुम्भ मेला|कुम्भ]] के अवसर पर रमेश भाई अलख भाई व [[निर्मला देशपाण्डे]]
 
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चित्र:Ramesh_bhai_on_web1.JPG|[[सर्वोदय आश्रम टडियांवा]] में आयोजित रमेश भाई का बासठवां जन्मदिवस समारोह  
चित्र:Ramesh bhai on web 2.JPG|रमेश भाई की बीमारी के दिनों में [[आश्रम]] में प्रधानमंत्री मनमोहन की पुत्री श्रीमती दमन सिंह   
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चित्र:Ramesh bhai on web 2.JPG|रमेश भाई की बीमारी के दिनों में [[आश्रम]] में तत्कालीन प्रधानमंत्री [[मनमोहन सिंह|डॉ. मनमोहन सिंह]] की पुत्री श्रीमती दमन सिंह   
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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रमेश भाई
विनोबा जयन्ती में रमेश भाई
पूरा नाम रमेश चन्द श्रीवास्तव
अन्य नाम रमेश भाई
जन्म 1 मई, 1951
जन्म भूमि थमरवा गांव, हरदोई (उत्तर प्रदेश)
मृत्यु 19 नवम्बर 2008
मृत्यु स्थान सर्वोदय आश्रम टडियांवा, हरदोई
पति/पत्नी उर्मिला बहन
संतान अनुराग और स्व. रश्मि
गुरु विनोबा भावे
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र समाज सुधारक
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी आचार्य विनोबा भावे की मृत्यु के उपरांत 1983 में गाँधीजी व विनोवा जी के दर्शन से प्रेरित होकर रमेश भाई ने 'सर्वोदय आश्रम टडियांवा' की नींव रखी थी। वास्तव में यह आश्रम एक सामुदायिक सहजीवन की कल्पना करके बना था।

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रमेश भाई (अंग्रेज़ी: Ramesh bhai, जन्म: 1 मई, 1951, हरदोई, उत्तर प्रदेश; मृत्यु: 19 नवम्बर, 2008) भारत के जाने-माने समाज सुधारक एवं 'भूदान यज्ञ' नामक आन्दोलन के संस्थापक विनोबा भावे के अनुयायी थे। एक समाज सुधारक के रूप में रमेश भाई ने भी अच्छा नाम अर्जित किया था। ये 'सर्वोदय आश्रम टडियांवा' के संस्थापक थे। उनकी संगठन कुशलता एवं संवेदनशील प्रशासन ने उन्हें बहुत अधिक लोकप्रिय बनाया।

जीवन परिचय

रमेश भाई का जन्म 1 मई, 1951 को उत्तर प्रदेश के हरदोई ज़िले के थमरवा गांव में हुआ था। इनका पूरा नाम 'रमेश चन्द श्रीवास्तव' था। रमेश भाई का सम्पूर्ण जीवन विनोबा भावे की विचारधाराओं को समर्पित रहा। एक शिक्षक परिवार में जन्म लेकर उनको यह तो पता चल ही गया था कि समाज का जो स्वरूप आस-पास दिखाई देता है, वह प्रयासपूर्वक बदला भी जा सकता है।

आश्रम की स्थापना

सर्वोदय कार्यकर्ता के लिए गाँधीजी के विचारों द्वारा जो खाका तैयार किया गया है, जिसमें उसके चिन्तनशील मष्तिष्क, करुणाशील हृदय एव सजृनशील हाथों की अपेक्षा की गयी है, उस पर रमेश भाई खरे उतरते हैं। इन्होंने आचार्य विनोबा भावे जी की मृत्यु के उपरांत 1983 में गांधीजी व विनोवा जी के दर्शन से प्रेरित 'सर्वोदय आश्रम टडियांवा' की नींव रखी। वास्तव में यह आश्रम एक सामुदायिक सहजीवन की कल्पना करके बना था, जिसमें सामाजिक कार्य करने वाले लोग अपने अनुसार कार्य कर सकें।

संगठन क्षमता

विनोबा भावे के 'भूदान यज्ञ आंदोलन' से प्रेरित होकर उत्तर प्रदेश के 25 जनपदों में रमेश भाई के नेतृत्व में 'ऊसर भूमि सुधार कार्यक्रम' सफलता पूर्वक चलाया गया था। उनकी संगठन कुशलता एवं संवेदनशील प्रशासन ने उन्हें बहुत अधिक लोकप्रिय बनाया। परमश्रद्धेय दीदी निर्मला देशपाण्डे को उनके अन्दर नेतृत्व क्षमता के दर्शन बहुत पहले हो गये थे। जब-जब दीदी से जुड़े किसी राष्ट्रीय सम्मेलन का नेतृत्व उनको मिला, तब-तब उनके धीर-गम्भीर संतुलित एवं सार्थक वक्तव्य कौशल को लोगों ने सराहा। अनेक मोर्चों पर रमेश भाई उनके विश्वस्ततम् साथी थे। दीदी को रमेश भाई में आन्दोलन को आगे ले जाने की क्षमता दिखाई देती थी।

मृत्यु

19 नवम्बर, 2008 को रमेश ने 'सर्वोदय आश्रम टडियांवा' के परिसर में अपनी नश्वर देह त्याग दी। रमेश भाई परंपराओं और विद्यमान सामाजिक रूढियों के विरुद्ध अपनी मृत्यु के उपरांत भी खडे रहे तथा उनकी इच्छानुसार और पुत्र अनुराग के उपस्थित होने के बावजूद उनकी नश्वर देह को मुखाग्नि उनकी पुत्री रश्मि ने ही दी

पुण्य स्मरण

भारतकोश पर रमेश भाई से संबंधित सामग्री प्रदशित करते अशोक कुमार शुक्ला
  • स्व. रमेश भाई को श्रद्धांजलिस्वरूप उनके बासठवें जन्मदिवस समारोह 1 मई, 2013 के अवसर पर 'सर्वोदय आश्रम टडियांवा' मे आयोजित समारोह में 'भारतकोश' पर रमेश भाई से संबंधित सामग्री को वैश्विक पाठक वर्ग को समर्पित किया गया।

इन्हें भी देखें: मजदूर दिवस, ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिया -उर्मिला श्रीवास्तव, समय की शिला पर लिखा नाम रमेश भाई -अशोक कुमार शुक्ला, रमेश भाई को जैसा मैंने जाना -कुसुम जौहरी, गांव की सड़क खुद बनाईं -शारदा प्रकाश जौहरी एवं रमेश भाई- एक ताकतवर साथी थे -रमेश भइया

चित्र वीथिका

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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