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*राजसमन्द झील महाराणा राजसिंह द्वारा सन् 1669 ई. से 1676 ई. तक 14 वर्षो में बनवायी गयी थी।
 
*राजसमन्द झील महाराणा राजसिंह द्वारा सन् 1669 ई. से 1676 ई. तक 14 वर्षो में बनवायी गयी थी।
 
*चालीस लाख रुपये की लागत की राजसमन्द झील [[मेवाड़]] की विशालतम झीलों में से एक हैं।
 
*चालीस लाख रुपये की लागत की राजसमन्द झील [[मेवाड़]] की विशालतम झीलों में से एक हैं।
*7 किमी. लम्बी व 3 किमी. चौडी यह झील 55 फीट गहरी हैं।
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*7 किलोमीटर लम्बी व 3 किलोमीटर चौडी यह झील 55 फीट गहरी हैं।
 
*राजसमन्द झील की पाल, नौचौकी व इस ख़ूबसूरत झील के पाल पर बनी छतरियों की छतों, स्तम्भों तथा तोरण द्वार पर की गयी मूर्तिकला व नक़्क़ाशी देखकर स्वतः ही देलवाडा के जैन मंदिरों की याद आ जाती है।
 
*राजसमन्द झील की पाल, नौचौकी व इस ख़ूबसूरत झील के पाल पर बनी छतरियों की छतों, स्तम्भों तथा तोरण द्वार पर की गयी मूर्तिकला व नक़्क़ाशी देखकर स्वतः ही देलवाडा के जैन मंदिरों की याद आ जाती है।
 
*झील के किनारे की सीढियों को हर तरफ से गिनने पर योग 9 ही होता है, इसलिए इसे नौचौकी कहा जाता हैं।
 
*झील के किनारे की सीढियों को हर तरफ से गिनने पर योग 9 ही होता है, इसलिए इसे नौचौकी कहा जाता हैं।

05:50, 30 मार्च 2011 का अवतरण

  • राजस्थान के शहर अलवर में कई पर्यटन स्थल है जिनमें से राजसमन्द झील एक है।
  • राजसमन्द झील महाराणा राजसिंह द्वारा सन् 1669 ई. से 1676 ई. तक 14 वर्षो में बनवायी गयी थी।
  • चालीस लाख रुपये की लागत की राजसमन्द झील मेवाड़ की विशालतम झीलों में से एक हैं।
  • 7 किलोमीटर लम्बी व 3 किलोमीटर चौडी यह झील 55 फीट गहरी हैं।
  • राजसमन्द झील की पाल, नौचौकी व इस ख़ूबसूरत झील के पाल पर बनी छतरियों की छतों, स्तम्भों तथा तोरण द्वार पर की गयी मूर्तिकला व नक़्क़ाशी देखकर स्वतः ही देलवाडा के जैन मंदिरों की याद आ जाती है।
  • झील के किनारे की सीढियों को हर तरफ से गिनने पर योग 9 ही होता है, इसलिए इसे नौचौकी कहा जाता हैं।


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