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राजेश खन्ना का जन्म [[29 दिसंबर]] [[1942]] को अमृतसर में जन्मे ''जतिन खन्ना'' बाद में फ़िल्मी दुनिया में राजेश खन्ना के नाम से मशहूर हुए।  
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राजेश खन्ना का जन्म [[29 दिसंबर]] [[1942]] को अमृतसर में जन्मे ''जतिन खन्ना'' बाद में फ़िल्मी दुनिया में राजेश खन्ना के नाम से मशहूर हुए। राजेश खन्ना ने वर्ष 1973 में खुद से उम्र में काफी छोटी नवोदित अभिनेत्री डिम्पल कपाडि़या से विवाह किया और वे दो पुत्रियों ट्विंकल और रिंकी के माता-पिता बने। उनकी दोनों पुत्री अभिनेत्री हैं। हालांकि राजेश और डिम्पल का वैवाहिक जीवन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका और कुछ समय के बाद वे अलग हो गए। राजेश फिल्मों में व्यस्त रहे और डिम्पल ने भी अपने करियर को तरजीह देना शुरू किया। राजेश खन्ना की बड़ी पुत्री ट्विंकल खन्ना ने [[अभिनेता]] अक्षय कुमार से विवाह किया।
 
 
 
==फ़िल्मी ज़ीवन==
 
==फ़िल्मी ज़ीवन==
उनका अभिनय करियर शुरूआती नाकामियों के बाद इतनी तेजी से परवान चढ़ा कि उसकी मिसाल बहुत कम ही मिलती हैं। परिवार की मर्जी के खिलाफ अभिनय को बतौर करियर चुनने वाले राजेश खन्ना ने वर्ष 1966 में 24 बरस की उम्र में आखिरी खत फिल्म से सिनेमा जगत में कदम रखा था। बाद में राज, बहारों के सपने और औरत के रूप में उनकी कई फिल्में आई। मगर उन्हें बॉक्स आफिस पर कामयाबी नहीं मिल सकी।
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उनका अभिनय करियर शुरूआती नाकामियों के बाद इतनी तेजी से परवान चढ़ा कि उसकी मिसाल बहुत कम ही मिलती हैं। परिवार की मर्जी के खिलाफ अभिनय को बतौर करियर चुनने वाले राजेश खन्ना ने वर्ष 1966 में 24 बरस की उम्र में आखिरी खत फिल्म से सिनेमा जगत में कदम रखा था। बाद में राज, बहारों के सपने और औरत के रूप में उनकी कई फिल्में आई। मगर उन्हें बॉक्स आफिस पर कामयाबी नहीं मिल सकी।<ref name="JYI">{{cite web |url=http://in.jagran.yahoo.com/cinemaaza/cinema/memories/201_201_8188.html |title=हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार थे राजेश खन्ना |accessmonthday=23 जून |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=जागरण याहू इण्डिया |language=हिन्दी }}</ref>
 
====पहली सफल फ़िल्म====
 
====पहली सफल फ़िल्म====
वर्ष 1969 में आई फिल्म आराधना ने राजेश खन्ना के करियर को उड़ान दी और देखते ही देखते वह युवा दिलों की धड़कन बन गए। फिल्म में शर्मिला टैगोर के साथ उनकी जोड़ी बहुत पसंद की गई और वह हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार बनकर प्रशसंकों के दिलोदिमाग पर छा गए। आराधना ने राजेश खन्ना की किस्मत के दरवाजे खोल दिए और उसके बाद उन्होंने अगले चार साल के दौरान लगातार 15 हिट फिल्में देकर समकालीन तथा अगली पीढ़ी के अभिनेताओं के लिए मील का पत्थर कायम किया। वर्ष 1970 में बनी फिल्म सच्चा झूठा के लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया।
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वर्ष 1969 में आई फिल्म आराधना ने राजेश खन्ना के करियर को उड़ान दी और देखते ही देखते वह युवा दिलों की धड़कन बन गए। फिल्म में शर्मिला टैगोर के साथ उनकी जोड़ी बहुत पसंद की गई और वह हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार बनकर प्रशसंकों के दिलोदिमाग पर छा गए। आराधना ने राजेश खन्ना की किस्मत के दरवाजे खोल दिए और उसके बाद उन्होंने अगले चार साल के दौरान लगातार 15 हिट फिल्में देकर समकालीन तथा अगली पीढ़ी के अभिनेताओं के लिए मील का पत्थर कायम किया। वर्ष 1970 में बनी फिल्म सच्चा झूठा के लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया।<ref name="JYI"/>
 
====यादगार फ़िल्में====
 
====यादगार फ़िल्में====
वर्ष 1971 राजेश खन्ना के अभिनय करियर का सबसे यादगार साल रहा। उस वर्ष उन्होंने कटी पतंग, [[आनन्द (फ़िल्म)|आनन्द]], आन मिलो सजना, महबूब की मेंहदी, हाथी मेरे साथी और अंदाज जैसी सुपरहिट फिल्में दीं। दो रास्ते, दुश्मन, बावर्ची, मेरे जीवन साथी, जोरू का गुलाम, अनुराग, दाग, नमक हराम और हमशक्ल के रूप में हिट फिल्मों के जरिए उन्होंने बॉक्स आफिस को कई वर्षों तक गुलजार रखा। भावपूर्ण दृश्यों में राजेश खन्ना के सटीक अभिनय को आज भी याद किया जाता है।
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वर्ष 1971 राजेश खन्ना के अभिनय करियर का सबसे यादगार साल रहा। उस वर्ष उन्होंने कटी पतंग, [[आनन्द (फ़िल्म)|आनन्द]], आन मिलो सजना, महबूब की मेंहदी, हाथी मेरे साथी और अंदाज जैसी सुपरहिट फिल्में दीं। दो रास्ते, दुश्मन, बावर्ची, मेरे जीवन साथी, जोरू का गुलाम, अनुराग, दाग, नमक हराम और हमशक्ल के रूप में हिट फिल्मों के जरिए उन्होंने बॉक्स आफिस को कई वर्षों तक गुलजार रखा। भावपूर्ण दृश्यों में राजेश खन्ना के सटीक अभिनय को आज भी याद किया जाता है।<ref name="JYI"/>
 
====फ़िल्म आनन्द ====
 
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आनन्द फिल्म में उनके सशक्त अभिनय को एक उदाहरण का दर्जा हासिल है। एक लाइलाज बीमारी से पीडि़त व्यक्ति के किरदार को राजेश खन्ना ने एक जिंदादिल इंसान के रूप जीकर कालजयी बना दिया। राजेश को आनन्द में यादगार अभिनय के लिये वर्ष 1971 में लगातार दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया।  
 
आनन्द फिल्म में उनके सशक्त अभिनय को एक उदाहरण का दर्जा हासिल है। एक लाइलाज बीमारी से पीडि़त व्यक्ति के किरदार को राजेश खन्ना ने एक जिंदादिल इंसान के रूप जीकर कालजयी बना दिया। राजेश को आनन्द में यादगार अभिनय के लिये वर्ष 1971 में लगातार दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया।  
 
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====बर्मन दा और किशोर दा के साथ जुगलबंदी====
 
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भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध संगीतकार [[आर. डी. बर्मन]] और प्रसिद्ध अभिनेता, निर्माता-निर्देशक, गायक [[किशोर कुमार]] के साथ राजेश खन्ना की जुगलबंदी ने अनेक हिंदी फिल्मों को सुपरहिट संगीत दिया। इन तीनों गहरे दोस्तों ने करीब 30 फिल्मों में एक साथ काम किया। किशोर कुमार के अनेक गाने राजेश खन्ना पर ही फिल्माए गए और किशोर के स्वर राजेश खन्ना से पहचाने जाने लगे।<ref name="JYI"/>
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====दूसरी पारी====
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करीब डेढ़ दशक तक प्रशंसकों के दिल पर राज करने वाले राजेश खन्ना के करियर में 80 के दशक के बाद उतार शुरू हो गया। बाद में उन्होंने राजनीति में भी कदम रखा और वर्ष 1991 से 1996 के बीच नई [[दिल्ली]] से [[कांग्रेस]] के लोकसभा सांसद भी रहे। वर्ष 1994 में उन्होंने खुदाई से अभिनय की दूसरी पारी शुरू की। उसके बाद उनकी आ अब लौट चलें (1999), क्या दिल ने कहा (2002), जाना (2006) और हाल में रिलीज हुई 'वफा' के साथ उनका सफर अब भी जारी है।
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==रोचक तथ्य==
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* जिस तरह से आज टीवी के जरिये टैलेंट हंट किया जाता है, कुछ इसी तरह काम 1965 यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स और फिल्मफेयर ने किया था। वे नया हीरो खोज रहे थे। फाइनल में दस हजार में से आठ लड़के चुने गए थे, जिनमें एक राजेश खन्ना भी थे। अंत में राजेश खन्ना विजेता घोषित किए गए।
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* 1969 से 1975 के बीच राजेश ने कई सुपरहिट फिल्में दीं। उस दौर में पैदा हुए ज्यादातर लड़कों के नाम राजेश रखे गए।
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*फिल्म इंडस्ट्री में राजेश को प्यार से काका कहा जाता है। जब वे सुपरस्टार थे तब एक कहावत बड़ी मशहूर थी- ऊपर आका और नीचे काका।
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* 29 दिसम्बर 1942 को जन्मे राजेश खन्ना स्कूल और कॉलेज जमाने से ही एक्टिंग की ओर आकर्षित हुए। उन्हें उनके एक नजदीकी रिश्तेदार ने गोद लिया था और बहुत ही लाड़-प्यार से उन्हें पाला गया
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* राजेश ने फिल्म में काम पाने के लिए निर्माताओं के दफ्तर के चक्कर लगाए। संघर्ष के दिनों में वे इतनी महंगी कार में निर्माताओं के यहां जाते थे कि उस दौर के हीरो के पास भी वैसी कार नहीं थी।
  
 
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
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*[http://in.jagran.yahoo.com/cinemaaza/cinema/news/201_203_8102.html मेरे जीवनसाथी/राजेश खन्ना-डिम्पल कापडि़या]
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
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14:19, 23 जून 2012 का अवतरण

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राजेश खन्ना (जन्म: 29 दिसंबर, 1942 अमृतसर) भारतीय हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता हैं। राजेश खन्ना का वास्तविक नाम जतिन खन्ना है। अपने रूमानी अंदाज, स्वाभाविक अभिनय और कामयाब फिल्मों के लंबे सिलसिले के बल पर क़रीब डेढ़ दशक तक सिने प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले राजेश खन्ना के रूप में हिंदी सिनेमा को पहला ऐसा सुपरस्टार मिला जिसका जादू चाहने वालों के सिर चढ़कर बोलता था। राजेश खन्ना फ़िल्म निर्माता और राजनीतिज्ञ भी रह चुके हैं। राजेश खन्ना ने लगभग 163 फ़िल्मों में अभिनय किया जिसमें 106 फ़िल्मों वे मुख्य नायक रहे। राजेश खन्ना को तीन बार फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिला और 14 बार नामांकित हुए।

जन्म

राजेश खन्ना का जन्म 29 दिसंबर 1942 को अमृतसर में जन्मे जतिन खन्ना बाद में फ़िल्मी दुनिया में राजेश खन्ना के नाम से मशहूर हुए। राजेश खन्ना ने वर्ष 1973 में खुद से उम्र में काफी छोटी नवोदित अभिनेत्री डिम्पल कपाडि़या से विवाह किया और वे दो पुत्रियों ट्विंकल और रिंकी के माता-पिता बने। उनकी दोनों पुत्री अभिनेत्री हैं। हालांकि राजेश और डिम्पल का वैवाहिक जीवन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका और कुछ समय के बाद वे अलग हो गए। राजेश फिल्मों में व्यस्त रहे और डिम्पल ने भी अपने करियर को तरजीह देना शुरू किया। राजेश खन्ना की बड़ी पुत्री ट्विंकल खन्ना ने अभिनेता अक्षय कुमार से विवाह किया।

फ़िल्मी ज़ीवन

उनका अभिनय करियर शुरूआती नाकामियों के बाद इतनी तेजी से परवान चढ़ा कि उसकी मिसाल बहुत कम ही मिलती हैं। परिवार की मर्जी के खिलाफ अभिनय को बतौर करियर चुनने वाले राजेश खन्ना ने वर्ष 1966 में 24 बरस की उम्र में आखिरी खत फिल्म से सिनेमा जगत में कदम रखा था। बाद में राज, बहारों के सपने और औरत के रूप में उनकी कई फिल्में आई। मगर उन्हें बॉक्स आफिस पर कामयाबी नहीं मिल सकी।[1]

पहली सफल फ़िल्म

वर्ष 1969 में आई फिल्म आराधना ने राजेश खन्ना के करियर को उड़ान दी और देखते ही देखते वह युवा दिलों की धड़कन बन गए। फिल्म में शर्मिला टैगोर के साथ उनकी जोड़ी बहुत पसंद की गई और वह हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार बनकर प्रशसंकों के दिलोदिमाग पर छा गए। आराधना ने राजेश खन्ना की किस्मत के दरवाजे खोल दिए और उसके बाद उन्होंने अगले चार साल के दौरान लगातार 15 हिट फिल्में देकर समकालीन तथा अगली पीढ़ी के अभिनेताओं के लिए मील का पत्थर कायम किया। वर्ष 1970 में बनी फिल्म सच्चा झूठा के लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया।[1]

यादगार फ़िल्में

वर्ष 1971 राजेश खन्ना के अभिनय करियर का सबसे यादगार साल रहा। उस वर्ष उन्होंने कटी पतंग, आनन्द, आन मिलो सजना, महबूब की मेंहदी, हाथी मेरे साथी और अंदाज जैसी सुपरहिट फिल्में दीं। दो रास्ते, दुश्मन, बावर्ची, मेरे जीवन साथी, जोरू का गुलाम, अनुराग, दाग, नमक हराम और हमशक्ल के रूप में हिट फिल्मों के जरिए उन्होंने बॉक्स आफिस को कई वर्षों तक गुलजार रखा। भावपूर्ण दृश्यों में राजेश खन्ना के सटीक अभिनय को आज भी याद किया जाता है।[1]

फ़िल्म आनन्द

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आनन्द फिल्म में उनके सशक्त अभिनय को एक उदाहरण का दर्जा हासिल है। एक लाइलाज बीमारी से पीडि़त व्यक्ति के किरदार को राजेश खन्ना ने एक जिंदादिल इंसान के रूप जीकर कालजयी बना दिया। राजेश को आनन्द में यादगार अभिनय के लिये वर्ष 1971 में लगातार दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया।

बर्मन दा और किशोर दा के साथ जुगलबंदी

भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध संगीतकार आर. डी. बर्मन और प्रसिद्ध अभिनेता, निर्माता-निर्देशक, गायक किशोर कुमार के साथ राजेश खन्ना की जुगलबंदी ने अनेक हिंदी फिल्मों को सुपरहिट संगीत दिया। इन तीनों गहरे दोस्तों ने करीब 30 फिल्मों में एक साथ काम किया। किशोर कुमार के अनेक गाने राजेश खन्ना पर ही फिल्माए गए और किशोर के स्वर राजेश खन्ना से पहचाने जाने लगे।[1]

दूसरी पारी

करीब डेढ़ दशक तक प्रशंसकों के दिल पर राज करने वाले राजेश खन्ना के करियर में 80 के दशक के बाद उतार शुरू हो गया। बाद में उन्होंने राजनीति में भी कदम रखा और वर्ष 1991 से 1996 के बीच नई दिल्ली से कांग्रेस के लोकसभा सांसद भी रहे। वर्ष 1994 में उन्होंने खुदाई से अभिनय की दूसरी पारी शुरू की। उसके बाद उनकी आ अब लौट चलें (1999), क्या दिल ने कहा (2002), जाना (2006) और हाल में रिलीज हुई 'वफा' के साथ उनका सफर अब भी जारी है।

रोचक तथ्य

  • जिस तरह से आज टीवी के जरिये टैलेंट हंट किया जाता है, कुछ इसी तरह काम 1965 यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स और फिल्मफेयर ने किया था। वे नया हीरो खोज रहे थे। फाइनल में दस हजार में से आठ लड़के चुने गए थे, जिनमें एक राजेश खन्ना भी थे। अंत में राजेश खन्ना विजेता घोषित किए गए।
  • 1969 से 1975 के बीच राजेश ने कई सुपरहिट फिल्में दीं। उस दौर में पैदा हुए ज्यादातर लड़कों के नाम राजेश रखे गए।
  • फिल्म इंडस्ट्री में राजेश को प्यार से काका कहा जाता है। जब वे सुपरस्टार थे तब एक कहावत बड़ी मशहूर थी- ऊपर आका और नीचे काका।
  • 29 दिसम्बर 1942 को जन्मे राजेश खन्ना स्कूल और कॉलेज जमाने से ही एक्टिंग की ओर आकर्षित हुए। उन्हें उनके एक नजदीकी रिश्तेदार ने गोद लिया था और बहुत ही लाड़-प्यार से उन्हें पाला गया
  • राजेश ने फिल्म में काम पाने के लिए निर्माताओं के दफ्तर के चक्कर लगाए। संघर्ष के दिनों में वे इतनी महंगी कार में निर्माताओं के यहां जाते थे कि उस दौर के हीरो के पास भी वैसी कार नहीं थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार थे राजेश खन्ना (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) जागरण याहू इण्डिया। अभिगमन तिथि: 23 जून, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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