राष्ट्रीय विज्ञान दिवस

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
DrMKVaish (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:23, 19 अगस्त 2011 का अवतरण
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

28 फरवरी 1928 को रमन प्रभाव की खोज की हुई। इसी उपलक्ष्य में भारत में 28 फरवरी विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति आकर्षित व प्रेरित करना तथा जनसाधारण को विज्ञान एवं वैज्ञानिक उपलब्धियों के प्रति सजग बनाना है। इस दिन सभी विज्ञान संस्थानों, जैसे राष्ट्रीय एवं अन्य विज्ञान प्रयोगशालाएं, विज्ञान अकादमियों, स्कूल और कॉलेज तथा प्रशिक्षण संस्थानों में विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों से संबंधित प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं। विज्ञान की लोकप्रियता को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय एवं दूसरे पुरस्कारों की घोषणा भी की जाती है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस देश में विज्ञान के निरंतर उन्नति का आह्वान करता है।

1928 में कोलकाता में भारतीय वैज्ञानिक प्रोफेसर चंद्रशेखर वेंकट रमन ने इस दिन एक उत्कृष्ट वैज्ञानिक खोज, जो ‘रमन इफेक्ट/रमन प्रभाव’ के रूप में प्रसिद्ध है, की थी, जिसकी मदद से कणों की आणविक और परमाणविक संरचना का पता लगाया जा सकता है और जिसके लिए उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उस समय तक भारत या एशिया के किसी व्यक्ति को भौतिकी का नोबल पुरस्कार नहीं मिला था। अवार्ड समारोह में इस प्रभाव का प्रदर्शन करने रमन ने अल्कोहल का इस्तेमाल किया था। बाद में रात के खाने के दौरान जब अल्कोहल पेश की गई तो भारतीय परंपराओं के कारण रमन ने उसे हाथ भी नहीं लगाया।

रमन इफेक्ट के अनुसार एकल तरंग-दैर्ध्य प्रकाश (मोनोकोमेटिक) किरणें जब किसी पारदर्शक माध्यम- ठोस, द्रव या गैस में से गुजरती हैं, तब इसकी छितराई हुई किरणों का अध्ययन किया जाए तो उसमें मूल प्रकाश की किरणों के अलावा स्थिर अंतर पर बहुत कमजोर तीव्रता की किरणें भी उपस्थित होती हैं। इन किरणों को रमन-किरणें कहते हैं। ये किरणें माध्यम के कणों के कंपन एवं घूर्णन की वजह से मूल प्रकाश की किरणों में ऊर्जा में लाभ या हानि के होने से उत्पन्न होती हैं। रमन प्रभाव रसायनों की आणविक संरचना के अध्ययन में एक प्रभावी साधन है। इसका वैज्ञानिक अनुसंधान की अन्य शाखाओं, जैसे औषधि विज्ञान, जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान, रासायनिक विज्ञान, खगोल विज्ञान तथा दूरसंचार के क्षेत्र में भी बहुत महत्त्व है।

दररअसल रमन प्रभाव की खोज ने आइन्सटाइन के उस सिद्धांत को भी प्रमाणित कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रकाश में तरंग के साथ ही अणुओं के गुण भी कुछ हद तक पाए जाते हैं। इससे पहले न्यूटन ने बताया था कि प्रकाश सिर्फ एक तरंग है और उसमें अणुओं के गुण नहीं पाए जाते। आइन्सटाइन ने इससे विपरीत सिद्धांत दिया और रमन प्रभाव से वह साबित हुआ।

आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज में भौतिकी के प्रोफेसर सुभाष सिंह ने कहा,‘पदार्थों में मौजूद यौगिकों की आणविक और परमाणविक संरचना का पता चलने के कारण आगे की खोजों के मार्ग प्रशस्त हो सके इसीलिए रमन प्रभाव अपने आप में महत्वपूर्ण है।’


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख