ला बोर्दने

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ला बोर्दने भारत में पहला आंग्ल-फ़्राँसीसी युद्ध छिड़ने के समय मॉरीशस का फ़्राँसीसी गवर्नर-जनरल था। उसमें नेतृत्व की सहज क्षमता थी।

  • भारतीय समुद्रों में कोई फ़्राँसीसी जंगी बेड़ा न होने पर ला बोर्दने ने फ़्राँसीसी व्यापारिक जहाजों और देशी नौकाओं का एक बेड़ा तैयार किया और कोरोमंडल तट पर पहुँचा।
  • उसने पेयटन के नेतृत्व वाले ब्रिटिश जंगी बेड़े को बंगाल की खाड़ी की तरफ़ भगा दिया और सितम्बर, 1745 ई. में मद्रास पर अधिकार कर लिया।
  • फ़्राँसीसियों की यह उल्लेखनीय सफलता थी, परन्तु ला बोर्दने इसके बाद ही डूप्ले से झगड़ बैठा।
  • एक तूफ़ान ने उसके बेड़े को तहस-नहस कर दिया। फिर भी 1748 ई. में एक्स ला शैपेले की संधि होने तक मद्रास फ़्राँसीसी क़ब्ज़े में रहा।
  • 1748 ई. की संधि के अनुसार मद्रास अंग्रेज़ों को वापस मिल गया।
  • 1759 ई. में अवकाश ग्रहण करने पर ला बोर्दने ने अपने संस्मरण प्रकाशित कराये।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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