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         पिघले तारकोल में
 
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         हवा तक चिपक जाती है बहती बहती,
 
         हवा तक चिपक जाती है बहती बहती,
 
         किन्तु इस गर्मी के विषय में किसी से
 
         किन्तु इस गर्मी के विषय में किसी से
         एक शब्द नही कहता हूँ मैं।
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         एक शब्द नहीं कहता हूँ मैं।
  
 
सिर्फ़ कल्पनाओं से
 
सिर्फ़ कल्पनाओं से

12:48, 2 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

विदा के बाद प्रतीक्षा -दुष्यंत कुमार
दुष्यंत कुमार
कवि दुष्यंत कुमार
जन्म 1 सितम्बर, 1933
जन्म स्थान बिजनौर, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 30 दिसम्बर, 1975
मुख्य रचनाएँ अब तो पथ यही है, उसे क्या कहूँ, गीत का जन्म, प्रेरणा के नाम आदि।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
दुष्यंत कुमार की रचनाएँ

परदे हटाकर करीने से
रोशनदान खोलकर
कमरे का फर्नीचर सजाकर
और स्वागत के शब्दों को तोलकर
टक टकी बाँधकर बाहर देखता हूँ
और देखता रहता हूँ मैं।

        सड़कों पर धूप चिलचिलाती है
        चिड़िया तक दिखायी नहीं देती
        पिघले तारकोल में
        हवा तक चिपक जाती है बहती बहती,
        किन्तु इस गर्मी के विषय में किसी से
        एक शब्द नहीं कहता हूँ मैं।

सिर्फ़ कल्पनाओं से
सूखी और बंजर ज़मीन को खरोंचता हूँ
जन्म लिया करता है जो ऐसे हालात में
उनके बारे में सोचता हूँ
कितनी अजीब बात है कि आज भी
प्रतीक्षा सहता हूँ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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