वृषभासुर

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कृष्ण को मारने के उद्देश्य से यह असुर एक दिन गायों के बीच वृषभ का रूप धारण करके आया था। उसके देखते ही गाएँ भयभीत होकर इधर-उधर भागने लगीं। कृष्ण ने उसे पहिचान लिया। वृषभासुर कृष्ण को भी मारने के लिए दौड़ा। लेकिन कृष्ण ने उसे पैर पकड़कर मार डाला। इसे अरिष्टासुर भी कहा गया है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. राजेन्द्र कुमार वर्मा