वेदवती वैदिक

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वेदवती वैदिक
Vedvati Vaidik
पूरा नाम डॉ. वेदवती वैदिक
मृत्यु 04 अप्रैल 2019
मृत्यु स्थान नई दिल्ली
पति/पत्नी वेद प्रताप वैदिक
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र प्राध्यापन एवं शोध निर्देशन
मुख्य रचनाएँ श्वेताश्वतर उपनिषद्ः दार्शनिक अध्ययन’, ‘उपनिषदों के ऋषि’, ‘उपनिषद् वाड्मयः विविध आयाम’, ‘उपनिषदों के निर्वचन’ और ‘उपनिषद्युगीन संस्कृति’
विषय वैदिक संहिताओं, ब्राह्मण ग्रंथों, स्मृतियों, सूत्र ग्रंथों, पुराणों व संस्कृत साहित्य का व्यापक अवलोकन विलोकन
भाषा डॉ. वैदिक संस्कृतहिन्दी भाषा की विद्वान।
शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से संस्कृत में बी.ए (अॉनर्स) और एम.ए.
पुरस्कार-उपाधि 'श्वेताश्वतर उपनिषद के भाष्यों का एक अध्ययन’ विषय पर 1977 में पीएच.डी.
विशेष योगदान दिल्ली विश्वविद्यालय में एम.ए. और एम.फिल. कक्षाओं में प्राध्यापन एवं शोध निर्देशन किया। वे ‘इंण्डियन कौंसिल अॉफ हिस्टोरिकल रिसर्च’ की सीनियर फेलो (1980-83) रहीं
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी डॉ. वैदिक ने अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, आस्ट्रिया, चेकोस्लोवाकिया, त्रिनिदाद, कजाकिस्तान, थाईलैंड, सिंगापुर, मॉरिशस, भूटान, अफगानिस्तान, ईरान, इराक, तुर्की, लेबनान, ताइवान, नेपाल, आदि देशों की यात्राएं कीं
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

विदुषी डॉ. वेदवती वैदिक (अंग्रेज़ी: Ved Vati Vaidik; जन्म- ; निधन-04 अप्रैल 2019) ने प्रमुख उपनिषदों के आख्यानों, अवधारणाओं, पदों, और शब्दों की युक्तियुक्त व्याख्या की है। विदुषी लेखिका ने वैदिक संहिताओं, ब्राह्मण ग्रंथों, स्मृतियों, सूत्र ग्रंथों, पुराणों व संस्कृत साहित्य का व्यापक अवलोकन विलोकन किया है। वे प्रसिद्ध वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और चिंतक डॉ वेदप्रताप जी वैदिक की धर्मपत्नी हैं।

शिक्षा

दिल्ली विश्वविद्यालय से संस्कृत में बी.ए (अॉनर्स) और एम.ए. करने के पश्चात् उन्होंने 'श्वेताश्वतर उपनिषद के भाष्यों का एक अध्ययन’ विषय पर 1977 में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की।

प्रो. वेदवती ने 1986 से दिल्ली विश्वविद्यालय के दक्षिण-परिसर में एम.ए. और एम.फिल. कक्षाओं में प्राध्यापन एवं शोध निर्देशन किया है। वे ‘इंण्डियन कौंसिल अॉफ हिस्टोरिकल रिसर्च’ की सीनियर फेलो (1980-83) रही हैं।

1977 से दिल्ली विश्वविद्यालय के मैत्रेयी महाविद्यालय में अध्यापन तथा श्री अरविन्द महाविद्यालय (सांध्य) में संस्कृत विभागाध्यक्ष रहीं। 2013 में वह सेवानिवृत्त हुई। उन्होंने साउथ एक्सटेंशन, दिल्ली के 'रामेश्वरदास गुप्त धर्मार्थ ट्रस्ट' के प्रबंध न्यासी के रूप में समाज सेवा के अनेक अभियान चलाए। उपनिषद्-विद्या और वेदवती वैदिक एक-दूसरे के पर्याय बन गए।

रचनाएं

उपनिषद् विद्या पर उनके निम्न ग्रंथ प्रकाशित हुए हैं-

  • ‘श्वेताश्वतर उपनिषद्ः दार्शनिक अध्ययन’, ‘उपनिषदों के ऋषि’, ‘उपनिषद् वाड्मयः विविध आयाम’, ‘उपनिषदों के निर्वचन’ और ‘उपनिषद्युगीन संस्कृति’।
  • उन्होंने भगवद्गीता का हिन्दी और अंग्रेजी अनुवाद किया है। इस ग्रंथ के अनेक संस्करण हो चुके हैं।
  • उनका 1500 पृष्ठों का उपनिषद् महाकोश ( एनसाइक्लोपीडिया ऑफ उपनिषद्स ) हिंदी और अंग्रेजी में शीघ्र प्रकाश्य हैं।
  • वे 'निःश्रेयस न्यास' द्वारा प्रकाशित ‘त्वदीयम्’ एवं ‘आधुनिक भारतीय विचारक’ नामक दो ग्रंथों की संपादिका रही हैं।
  • वे 'मंगल मिलन' नामक सामाजिक पत्रिका का कई वर्षों से संपादन करती रही हैं।

शोध पत्र

इसके अतिरिक्त देश और विदेश की प्रतिष्ठित शोध-पत्रिकाओं, संपादित पुस्तकों और अभिनंदन ग्रंथों में वेद, उपनिषद्, भारतीय संस्कृति एवं पर्यावरण पर अनेक शोध-पत्र प्रकाशित। उन्होंने ‘अखिल भारतीय प्राच्यविद्या परिषद’, ‘अखिल भारतीय दर्शन-परिषद्’ तथा ‘वर्ल्ड एसोसिएशन फॉर वैदिक स्ट्डीज’ के अधिवेशनों में सक्रिय भाग लिया। उन्होंने अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध पत्रों की प्रस्तुति की है।

उन्होंने अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, आस्ट्रिया, चेकोस्लोवाकिया, त्रिनिदाद, कजाकिस्तान, थाईलैंड, सिंगापुर, मोरिशस, भूटान, अफगानिस्तान, ईरान, इराक, तुर्की, लेबनान, ताइवान, नेपाल, आदि देशों की यात्राएं की हैं।

निधन

नई दिल्ली, 04 अप्रैल 2019 को उपनिषदों की विख्यात विदुषी प्रो. वेदवती वैदिक का निधन हो गया। उनका उपचार दिल्ली के लीवर इंस्टीट्यूट में चल रहा था। उनकी आयु 70 वर्ष थी। उनका अंतिम संस्कार दयानंद घाट, लोदी इस्टेट पर संपन्न हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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